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कुड़मी एक बार फिर से करने जा रहे रेल चक्का जाम, 20 सितंबर को झारखंड के चार जगहों से शुरू होगा आंदोलन

Jharkhand News in Hindi आदिवासी कुड़मी (कुर्मी) समाज ने 20 सितंबर को झारखंड के चार स्थानों पर रेल चक्का जाम करने की घोषणा की है। आदिवासी कुड़मी समाज के केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो ने कहा कि कुड़मी को 20 सितंबर से पहले अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए वरना उस दिन झारखंड के चार स्थानों पर रेल चक्का जाम आंदोलन शुरू किया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 21 Aug 2023 02:25 PM (IST)
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झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला स्थित मनोहरपुर में जुटे कुड़मी समाज के लोग।
जमशेदपुर, जासं। आदिवासी कुड़मी (कुर्मी) समाज एक बार फिर रेल चक्का जाम आंदोलन करने वाले हैं। समाज ने 20 सितंबर को झारखंड के चार स्थानों पर रेल चक्का जाम करने की घोषणा की है।

इन चार जगहों पर शुरू होगा आंदोलन

पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर में सोमवार को हुई बैठक के बाद आदिवासी कुड़मी समाज के केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो ने कहा कि कुड़मी को 20 सितंबर से पहले अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए, वरना उस दिन झारखंड के चार स्थानों पर रेल चक्का जाम आंदोलन शुरू किया जाएगा।

जहां यह आंदोलन होगा, उसमें मनोहरपुर के अलावा रांची जिला के मुरी, गिरिडीह जिला के गोमो और सरायकेला-खरसावां जिला स्थित नीमडीह है। यहां कुड़मी समाज के लोग 'रेल टेका आंदोलन' शुरू करेंगे।

महतो ने कहा कि हम इसके लिए भाजपा के सांसद विद्युत वरण महतो और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से मांग करते हैं कि वह हमारी बात केंद्र सरकार के शीर्ष स्तर तक पहुंचाएं और हमें अनुसूचित जनजाति में शामिल कराएं।

आदिम जनजाति में शामिल था कुड़मी

हरमोहन महतो ने कहा कि 1913 तक कुड़मी (कुर्मी) समाज प्रिमिटिव ट्राइब या आदिम जनजाति की सूची में शामिल था। इसके बाद 6 दिसंबर 1950 को संविधान संशोधन में कुर्मी को इससे बाहर कर दिया गया।

हालांकि इसके बाद भी केंद्र सरकार का जनजातीय मंत्रालय कई अन्य समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे चुका है, लेकिन कुड़मी समाज को इससे बाहर रखा गया है। हमारी मांग है कि कुड़मी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा अविलंब मिले और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज किया जाए।

दो बार हो चुका रेल रोको आंदोलन

हरमोहन महतो ने कहा कि कुड़मी को आदिवासी का दर्जा दिलाने की मांग पर इससे पहले भी बंगाल में पांच दिवसीय रेल रोको आंदोलन चला था।

इसमें बंगाल सरकार ने आश्वासन दिया था कि कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए वह अनुशंसा करेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्री ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इस बार हम किसी भी मौखिक आश्वासन पर आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।

पूरे विश्व में यहांं से जाता है लोहा

महतो ने कहा कि झारखंड का कोल्हान प्रमंडल पूरे देश ही नहीं, पूरे विश्व को लौह अयस्क (आयरन ओर) की आपूर्ति करता है। यदि रेल चक्का जाम हुआ तो अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। हम नहीं चाहते हैं कि हमारी वजह से कोल्हन, झारखंड या देश को कोई आर्थिक नुकसान हो, लेकिन हमारे पास अपनी मांग रखने का कोई विकल्प नहीं बचा है।

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