Kurmi Protest: कुड़मी समुदाय का आंदोलन पांचवें दिन समाप्त, बेपटरी हो गई थी रेल सेवा; 300 से अधिक ट्रेनें रद
Kurmi Protest आदिवासी कुर्मी समाज पांच अप्रैल से रेल का चक्का जाम करके बैठे थे। इस कारण पिछले पांच दिनों में रेलवे ने कई ट्रेनों को रद किया था। अब रविवार सुबह आदिवासी कुर्मी समाज ने अपना आंदोलन वापस ले लिया।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। आदिवासी कुर्मी समाज का आंदोलन पांचवें दिन समाप्त हो गया। कुर्मी समाज ने रविवार सुबह 11 बजे आंदोलन खत्म करने की घोषणा की। कुड़मी समुदाय अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने सहित अन्य मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे।
आदिवासी कुर्मी समाज पांच अप्रैल की सुबह पांच बजे से आगरा डिवीजन के कुसतौर और खड़कपुर डिवीजन के फेमस पुलिस स्टेशन पर रेल चक्का जाम कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे। कुर्मी समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर समाज के लोग रेलवे ट्रैक जाम कर बैठ गए थे।
इस आंदोलन के कारण हावड़ा से मुंबई और हावड़ा से नई दिल्ली जाने वाली रूट पूरी तरह से बाधित थीं। आंदोलन को देखते हुए दक्षिण पूर्व रेलवे ने पिछले पांच दिनों में 307 से अधिक ट्रेनों को रद किया था। इसके कारण यात्रियों को परेशानी हो रही थी। इसके साथ ही, रेलवे को भी हर दिन करोड़ों रुपया का नुकसान उठाना पड़ रहा था।
रेल प्रबंधन और कुर्मी समाज के बीच से वसूली और आगरा डिवीजन के कुसतौर में लंबी वार्ता का दौर चला। इसके बाद कुर्मी आंदोलन की नेतृत्वकर्ता मुख्य सलाहकार अजीत प्रसाद महतो ने आंदोलन को रद्द करने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार से बात कर उनकी मांगों को लेकर जल्द रणनीति तैयार की जाएगी। आंदोलन समापन के बाद अब रेल प्रबंधन वापस ट्रेनों की आवाजाही शुरू करने की तैयारी कर रही है।
वहीं, पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खेमाशुली स्टेशन पर आंदोलन अभी जारी रहेगा। समुदाय के प्रतिनिधियों का कहना है कि अब केंद्रीय कमेटी की बैठक में आंदोलन की आगे की रूपरेखा तय की जाएगी।
इस बीच कुड़मी समुदाय ने सोमवार को बंगाल के मुख्य सचिव के साथ बैठक के लिए एक पत्र दिया है। दरअसल, कुड़मी समुदाय ने बुधवार सुबह से ही बंगाल के दो रेलवे स्टेशनों कस्तौर व खेमाशुली में रेलवे ट्रैक को अवरूद्ध कर रखा था।