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Ratan Tata News: कोई ऐसे नहीं बन जाता रतन टाटा, घर की रसोई से आसमान तक टाटा का राज; पढ़ें रोचक बात

Ratan Tata Passes Away रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 में हुआ था। उन्होंने 1991 से 2021 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में कार्य किया और समूह को नए मुकाम तक पहुंचाया। वे एक उद्योगपति होने के साथ-साथ सादगी और दरियादिली के लिए जाने जाते थे। वह अपने कर्मचारियों को परिवार मानते थे और उनका काफी ख्याल रखते थे।

By Jagran News Edited By: Mukul Kumar Updated: Thu, 10 Oct 2024 09:23 AM (IST)
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कोई ऐसे नहीं बन जाता रतन टाटा। फोटो- सोशल मीडिया
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 में हुआ था। वे साल 1991 से 2021 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे और इस दौरान उन्होंने बिजनेस सेक्टर में कई कीर्तिमान स्थापित करते हुए देश के सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक टाटा समूह को बुलंदियों तक पहुंचाया।

रतन टाटा सिर्फ एक उद्योगपति ही नहीं, बल्कि सादगी से भरे एक नेक व दरियादिल इंसान भी थे। वो देश के लिए हमेशा आदर्श आरैर प्रेरणास्रोत रहेंगे। वे अपने समूह से जुड़े छोटे से छोटे कर्मचारी को भी अपना परिवार मानते और उनका ख्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते। 

कमान संभालने से पहले जमशेदपुर में किया था काम 

साल 1868 में शुरू हुए कारोबारी घराने की कमान अपने हाथों में लेने से रतन टाटा ने 70 के दशक में टाटा स्टील जमशेदपुर में काम किया।

जब कारोबार की सभी बारीकिया समझ में आ गई फिर उन्होंने ग्रुप में अपनी दमदार एंट्री की और अपनी मेहनत और काबिलियत की दम पर घरेलू कारोबार को आसमान की बुलंदिों पर पहुंचाने का काम किया। रतन टाटा ने 1991 में पूरे ग्रुप की कमान अपने हाथों में ली थी।

रतन टाटा।  फोटो- सोशल मीडिया

समूह के लिए रतन टाटा चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे : चंद्रशेखरन 

मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने भी अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।

उन्होंने कहा है- हम अपूर्णीय क्षति की भावना के साथ रतन नवल टाटा को अंतिम विदाई दे रहे हैं। वे असाधारण नेतृत्वकर्ता थे जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह को आकार दिया बल्कि हमारे राष्ट्र का मूल ताना-बाना बूना। वे मेरे लिए एक गुरु, मार्गदर्शक, मित्र के रूप में थे।

उन्होंने आगे कहा कि टाटा समूह के लिए श्री टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। उन्होंने हमेशा हमारे सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया जिससे हमने प्रेरणा ली। समूह के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के साथ उन्होंने नेतृत्व किया। टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में उत्कृष्टता, अखंडता और नवाचार का विस्तार किया।

वैश्विक पदचिंह्न भी हमेशा अपने नैतिक दिशा-निर्देश के प्रति सच्चे रहते हुए परोपकार और समाज के विकास के प्रति समर्पण की भावना ने सभी को प्रभावित किया। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, लाखों लोगों के जीवन में उन्होंने गहरी जड़े जमाई थी। इसका लाभ आने वाली पीढ़ी को मिलेगा।

रतन टाटा। फोटो- सोशल मीडिया

रतन टाटा ने अपने कार्यों से हमेशा उन कार्यों को सुदृढ़ किया। व्यक्तिगत बातचीत में वे वास्तविक रूप से काफी विनम्र थे। पूरे टाटा परिवार की ओर से मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।

उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी क्योंकि हम उनके सिद्धांतों को कायम रखते हुए उत्साहपूर्वक अपना समर्थन देने का प्रयास करते रहेंगे।

रतन टाटा का आगमन चैंबर भवन में भी हुआ था : विजय आनंद मुनका 

सिंहभूम चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विजय आनंद मुनका ने प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा की रतन टाटा का निधन देश के साथ-साथ जमशेदपुर के लिए अपूरणीय क्षति है।

उन्होंने कहा कि वे औद्योगिक जगत के कोहिनूर थे। रतन टाटा जी का आगमन चैंबर भवन में भी हुआ था। उस आगमन की स्मृतियां आज भी चैंबर परिवार का मार्गदर्शन कर रही है। उनके निधन से पूरे विश्व के व्यवसायिक मानचित्र पर एक शून्यता आ गई है।

रतन टाटा का जाना भारतीय उद्योग जगत के लिए बड़ी क्षति : डा. अजय 

पूर्व सांसद सह कांग्रेस नेता डॉ. अजय कुमार ने टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन नवल टाटा के निधन पर गहरा शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारतीय उद्योग जगत के अपूर्णीय क्षति है।

जमशेदपुर के विकास में रतन टाटा का बड़ा योगदान है। रतन टाटा ने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्ती भूमिका निभायी थी। उन्होंने अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए अन्य उद्योग समूहों के लिए एक मानक स्थापित किया।

कोरोना के समय में रतन टाटा ने बड़ा दिल दिखाते हुए देश के लोगों के बेहतरी के 1500 करोड़ रुपये खर्च किए थे। ईश्वर उनको अपने श्रीचरणों में स्थान दें।

रतन टाटा जैसा व्यक्तित्व विरले होते हैं पैदा : अध्यक्ष 

रतन टाटा जैसा व्यक्तित्व विरले ही पैदा होते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश व समाज के विकास पर समर्पित किया था। वे बेहद सरल व जमीन से जुड़े हुए नेतृत्वकर्ता थे। इतनी उम्र में भी सामाजिक सरोकार की उनकी भावना हम सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत की तरह है। -संजीव कुमार चौधरी, अध्यक्ष, टाटा वर्कर्स यूनियन

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