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अब इंदिरा गांधी नहर का भी नाम बदलने की हो रही मांग, 1920 में बीकानेर के महाराजा ने बनवाया था

जीव गांधी खेल रत्न सम्मान का नाम बदलकर जैसे ही ध्यानचंद खेल रत्न सम्मान किया गया अब अन्य ऐतिहासिक धरोहरों का नाम बदलने की मांग शुरू हो गई है। भारतीय जन महासभा ने अब इंदिरा गांधी नहर का नाम पूर्ववत गंग नहर करने की मांग उठाई है।

By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Fri, 13 Aug 2021 05:40 PM (IST)
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गंग नहर का नाम 1984 में इंदिरा गांधी नहर किया गया था।
जमशेदपुर, जासं। राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान का नाम बदलकर जैसे ही ध्यानचंद खेल रत्न सम्मान किया गया, अब अन्य ऐतिहासिक धरोहरों का नाम बदलने की मांग शुरू हो गई है। भारतीय जन महासभा ने अब श्रीगंगानगर (राजस्थान) स्थित गंग नहर, जिसका नाम अचानक सन 1984 में इंदिरा गांधी नहर कर दिया गया, का नाम पूर्ववत गंग नहर करने की मांग उठाई है। भारतीय जन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मचंद्र पोद्दार ने बताया कि गंग नहर जिसे बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी ने बनवाया था। इसका नाम अचानक सन 1984 में स्वार्थवश इंदिरा गांधी नहर किया जाना दुखद है।

पेयजल संकट दूर करने के लिए बनाई थी नहर

पोद्दार ने कहा कि महाराजा गंगा सिंह जी ने जब देखा कि जनता को पानी की दिक्कतें हो रही है। पीने का पानी नहीं मिल रहा है, किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है, तो उन्होंने इस नहर का निर्माण करवाया। अब यह नहर पेयजल, सिंचाई, उद्योग, सेना व ऊर्जा परियोजनाओं के काम आती है।

हुआ था सतलुज घाटी समझौता

सतलुज नदी के जल को राजस्थान में लाने के लिए चार दिसंबर 1920 को बीकानेर, भावलपुर और पंजाब राज्यों के बीच सतलुज नदी घाटी समझौता हुआ था। गंग नहर की आधारशिला फिरोजपुर हेडबाक्स पर 5 सितंबर 1921 को महाराजा गंगा सिंह जी के द्वारा रखी गई। 26 अक्टूबर 1927 को श्रीगंगानगर के शिवपुर हेडबॉक्स पर इस नहर का उद्घाटन किया गया था। यह नहर सतलुज नदी से पंजाब के फिरोजपुर के हुसैनीवाला से निकाली गई है। श्रीगंगानगर के सखा गांव से यह राजस्थान में प्रवेश करती है। फिरोजपुर से शिवपुर हेड तक नहर की लंबाई 129 किलोमीटर है , जिसमें से पंजाब में 112 किलोमीटर एवं राजस्थान में 17 किलोमीटर है।

प्रधानमंत्री से किया आग्रह

पोद्दार ने बताया कि भारतीय जन महासभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि इस नहर का नाम उसके निर्माता बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह जी के नाम पर 'गंग नहर' ही वापस रखा जाए। ऐसा होने से आने वाली पीढ़ी को पता चलेगा कि इस नहर को किसने और क्यों बनाया था। यदि इसका नहीं बदला गया तो लोग यही जानेंगे कि इसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बनाया होगा।

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