झारखंड की दो बेटियां पद्मश्री से सम्मानित, एक ने खेल के नाम कर दी जिंदगी तो दूसरे में पर्यावरण को लेकर है जुनून
75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जिन 34 गुमनाम नायकों को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनमें जमशेदपुर के बिरसानगर की रहने वाली अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी कोच पूर्णिमा महतो व सरायकेला-खरसावां की आदिवासी पर्यावरणविद चामी मुर्मू भी शामिल हैं। इनमें से एक ने देश को एक से बढ़कर एक तीरंदाज समर्पित किए हैं और दूसरे ने कुदरत के नाम अपनी जिंदगी लिख दी है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर (पू. सिंहभूम)। गुरुवार की शाम कोल्हान के लिए तब दोहरी खुशी लेकर आई, जब केंद्र सरकार ने जमशेदपुर के बिरसानगर की रहने वाली अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी कोच पूर्णिमा महतो व सरायकेला-खरसावां की आदिवासी पर्यावरणविद चामी मुर्मू को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की। यह पुरस्कार पूर्णिमा को खेल के क्षेत्र में तथा चामी को पर्यावरण संरक्षण व महिला सशक्तीकरण की दिशा में कार्य करने के लिए देने की घोषणा हुई है।
मैं बहुत खुश हूं: पूर्णिमा महतो
उधर, पुरुलिया (बंगाल) के दुखु मांझी का भी चयन पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने के लिए इस पुरस्कार के लिए किया गया है। इधर, दैनिक जागरण से बातचीत में पूर्णिमा महतो ने कहा कि मैं काफी खुश हूं।केंद्र सरकार और टाटा स्टील के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि पद्मश्री मिलने की घोषणा मात्र से और अधिक जिम्मेवारी महसूस कर रही हूं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत अन्य शख्सियतों ने पूर्णिमा व चामी को बधाई दी है।
चामी मुर्मू।
पूर्णिमा ने देश के नाम किए अनगिनत तीरंदाज
टाटा तीरंदाजी अकादमी की कोच पूर्णिमा को 29 अगस्त, 2013 को उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें द्रोणाचार्य के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।बिरसानगर के गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली पूर्णिमा ने अपनी जीवटता व जुनून से तीरंदाजी की दुनिया में अलग पहचान बनाई और पद्मश्री दीपिका कुमारी, जयंत तालुकदार और डोला बनर्जी जैसे अनगिनत तीरंदाज देश के नाम समर्पित किए।
तीरंदाज लिंबा राम के साथ पूर्णिमा महतो।
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