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आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर राज ठाकरे ने मांगी माफी, बिहारियों व हिंदी भाषियों को लेकर दिया था विवादित बयान

Raj Thackeray हिंदी भाषियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर जमशेदपुर के अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने राज ठाकरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसी मामले में राज ठाकरे ने न्यायालय में माफी मांगी। जिसके बाद उनपर चल रहा मामला खत्म हो गया।

By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiUpdated: Thu, 11 May 2023 08:47 AM (IST)
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आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर राज ठाकरे ने मांगी माफी
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। बिहारियों समेत हिंदी भाषियों के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी कर क्षेत्रवाद फैलाने और धमकी देने के मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे को न्यायालय में माफी मांगनी पड़ी। जिसके बाद मामला समाप्त हो गया।

बता दें कि मामला 9 मार्च 2007 का है। मुंबई के सायन मुखानंद सभागार में मनसे के स्थापना दिवस पर राज ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र में मराठियों का सम्मान करो वरना थप्पड़ के लिए तैयार रहो। नहीं तो कान पकड़कर खदेड़ दिए जाएंगे।

राज ठाकरे के इस बयान पर उत्तर भारतीयों बिहारियों और हिंदी भाषियों के प्रति गैर संवैधानिक भाषा और आपत्तिजनक टिप्पणी कर सम्मान को ठेस पहुंचाने को लेकर जमशेदपुर के सोनारी थाने में अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने 11 मार्च 2007 को शिकायत दर्ज कराई थी। कोई कार्रवाई नहीं होने पर जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय में अधिवक्ता ने 13 मार्च 2007 को शिकायतवाद दाखिल किया था।

सुधीर कुमार पप्पू बिहार के छपरा जिले के तरैया के मूल रूप से निवासी हैं और जमशेदपुर सोनारी में रहते हैं। मामले की सुनवाई जमशेदपुर न्यायालय के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट डीसी अवस्थी के न्यायालय में हुई, जहां पर शिकायतकर्ता सुधीर कुमार पप्पू और गवाह ज्ञानचंद का परीक्षण और अखबारों की कतरने न्यायालय के समक्ष रखा।

11 अप्रैल 2007 को न्यायालय ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के विरुद्ध धारा 153a 153b एवं 504 भारतीय दंड विधान के तहत संज्ञान लेते हुए समन जारी किया। राज ठाकरे के उपस्थित नहीं होने पर जमानती वारंट, गैर जमानती वारंट और इस्तेहार जारी की गई।

मनसे प्रमुख ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से झारखण्ड उच्च न्यायालय में कई बार याचिका दाखिल की लेकिन राहत नहीं मिलने पर 30 सितंबर 2011 को पुनः मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने उच्चतम न्यायालय, दिल्ली में मामले को स्थानांतरित किए जाने की याचिका दाखिल की।

उन्होंने कहा कि मुझे झारखंड के न्यायालय में उपस्थिति होने के लिए किसी प्रकार की कठिनाई नहीं है लेकिन झारखंड राज्य सरकार से विधि व्यवस्था पर मंतव्य मांग लिया जाए, तब सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार से विधि व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगी तो राज्य सरकार ने अपने मंतव्य में कहा कि अगर राज ठाकरे झारखंड आते हैं तो विधि व्यवस्था में बाधा हो सकती है।

इसी रिपोर्ट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त मुकदमा को जमशेदपुर न्यायालय से मामले को स्थानांतरण कर तीस हजारी न्यायालय, नई दिल्ली भेज दिया।

16 दिसंबर 2012 को तीस हजारी न्यायालय ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी कर दिया और मुंबई कमिश्नर को पत्र जारी कर गिरफ्तारी की सुनिश्चित करने को कहा। न्यायालय के आदेश के विरुद्ध मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने दिल्ली उच्च न्यायालय में गैर जमानती वारंट पर रोक लगाने और मुकदमा निरस्त करने के लिए धारा 482 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत याचिका दाखिल की।

ठाकरे ने किया अफसोस व्यक्त

इस मामले में 10 साल से लंबित याचिका पर सुनवाई हुई। राज ठाकरे ने वकील के माध्यम से कहा कि मेरे भाषण से किसी भी समुदाय के लोगों को ठेस पहुंचाने का काम किया या कार्य किया है तो याचिकाकर्ता राज ठाकरे अपनी बिना शर्त माफी और अफसोस और दुख प्रकट करते हैं।

राज ठाकरे की माफी पर शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनूप कुमार सिन्हा ने अपनी बात रखी कि अगर याचिकाकर्ता राज ठाकरे उत्तर भारतीयों बिहारियों और हिंदी भाषियो पर की गई अभद्र आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर माननीय न्यायालय में माफी मांग लेते हैं तो मुकदमा समाप्त करने का किसी प्रकार की आपत्ति नहीं। इसके बाद ठाकरे के माफीनामा स्वीकृत हो गया और मामला समाप्त हो गया।

(अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू )

ये उत्तर भारतीय और बिहारियों के सम्मान की जीत

दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश आने पर अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने इस फैसले पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ये उत्तर भारतीयों, बिहारियों और हिंदी भाषियों के लिए सम्मान की जीत है।

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