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रामदास सोरेन ने रघुवर दास के खिलाफ लड़ा था पहला चुनाव, अब हेमंत के बन चुके हैं खास; मंत्रिमंडल में होंगे शामिल

घाटशिला से विधायक रामदास सोरेन का सियासी सफर संघर्षों से भरा रहा है। पहली बार 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ा था। 2009 में पहली बार विधानसभा पहुंचे और 2014 में हार का सामना करना पड़ा। 2019 में जोरदार वापसी की और अब वह हेमंत सोरेन के करीबी नेता बन चुके हैं। अब वह हेमंत मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में शपथ लेंगे।

By Ch Rao Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 30 Aug 2024 11:28 AM (IST)
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घाटशिला विधायक रामदास सोरेन रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने से लेकर मंत्री बनने तक का सफर।

जासं, जमशेदपुर/घाटशिला। घाटशिला विधायक रामदास सोरेन ने सबसे पहले जमशेपुर पूर्वी विधानसभा सीट से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था। यह वर्ष 1995 की बात है, जब रघुवर दास पहली बार चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी।

1995 के इस चुनाव में रामदास को 14 हजार वोट प्राप्त हुए थे। इसके बाद रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा में सक्रिय हो गए।

2004 में राज्य में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन होने के कारण घाटशिला से उन्हें टिकट नहीं मिला, तो वे नाराज होकर निर्दलीय ही झूड़ी छाप पर चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहे।

2009 में पहली बार पहुंचे विधानसभा

2009 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस-झामुमो का गठबंधन टूटा, तो रामदास सोरेन झामुमो के प्रत्याशी बनाए गए। उस समय रामदास सोरेन ने कांग्रेस के तीन बार के विधायक रहे कद्दावर नेता डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे।

2014 में मिली हार, 2019 के चुनाव में की जोरदार वापसी

इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में रामदास सोरेन को भाजपा के प्रत्याशी लक्ष्मण टुडू से हार का सामना करना पड़ा था।

2019 के विधानसभा चुनाव में रामदास सोरेन ने भाजपा प्रत्याशी लखन मार्डी को हराकर जोरदार वापसी की। विधायक के बाद मंत्री के रूप में शुक्रवार को अब वे शपथ ग्रहण करेंगे।

झारखंड आंदोलन के दौरान घाटशिला थी छुपने की जगह

जब झारखंड आंदोलन चरम पर था। कई तरह के हिंसक आंदोलन हुए तो उस छुपने की सबसे सुरक्षित जगह के रूप में घाटशिला को चुना।

चूंकि, घाटशिला का खरसती उनका पैतृक आवास था, इस कारण लोगों ने उन्हें छुपाये रखा तथा झारखंड आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने में सहयोग किया।

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