'यह टाटा के डीएनए में है...', पद्म विभूषण Ratan Tata की चाहत और चेयरमैन का पद, लोगों को देते थे बस एक ही सलाह
Ratan Tata News रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं हैं। परंतु उनकी कहानी प्रेरणाओं से भरी हुई है। उन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और नैनो कार बनाकर देशवासियों का भी सस्ती कार का सपना पूरा किया। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे समाज को कुछ वापस देने के लिए प्रयासरत रहे। उनकी जीवनशैली और निजी अनुभवों के बारे में आइए जानते हैं।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। Ratan Tata Passes Away : टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रतन टाटा ने फेसबुक पेज 'ह्यूमंस आफ बंबई' पर अपनी जिंदगी के कई अनछुए पहलुओं पर खुल कर बात की है। मार्च 2020 में इसकी तीसरी कड़ी में उन्होंने कहा था कि अब मैं रिटायर हो चुका हूं।
अब लोग अक्सर मुझसे सलाह मांगते हैं कि आगे क्या करना चाहिए। मैं कहता हूं कि जो चीज अपरिवर्तित रहती है, वह है सही करने की इच्छा। इसलिए मैं यही कहता हूं कि सलाह को भूल जाओ। वही करो जो तुम्हें सही लगता है।
जब आप अपने जीवन को देखते हैं तो यह सबसे ज्यादा मायने रखता है कि आपने क्या सही काम किया। आगे वह कहते हैं, मैंने अपने पूरे जीवन में टाटा समूह की कंपनियों के विकास के बारे में सोचा। जब मैं टाटा समूह का चेयरमैन बना तो सभी ने यही माना कि यह पद मुझे मेरे उपनाम 'टाटा' की वजह से मिला, लेकिन मैं कुछ बड़ा करना चाहता था।
इतना बड़ा जो हम सभी से बड़ा हो। यह टाटा के डीएनए में है। समाज को कुछ वापस देने की चाहत ने ही मुझे नैनो बनाने के लिए प्रेरित किया। रतन टाटा ने फेसबुक पेज 'ह्यूमंस आफ बंबई' में अपनी कहानी की तीसरी व अंतिम कड़ी को साझा किया है।
उन्होंने चेयरमैन रहते हुए अपनी जीवन शैली, तीन महिलाओं से शादी के करीब पहुंचने, नैनो निर्माण के सोच सहित सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को साझा किया है।
उन्होंने साझा किया कि जमशेदपुर में कार्यरत टाटा स्टील व टाटा मोटर्स के हमारे कर्मचारी काफी संपन्न थे, लेकिन आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोग काफी गरीब थे। हमलोगों ने इन इलाकों का जीवन स्तर सुधारने का बीड़ा उठाया और सफल भी रहे।
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नैनो बनाने की परिकल्पना भी ऐसे ही साकार हुई। एक दिन बंबई की भारी बारिश में मैंने एक ही परिवार के चार सदस्यों को जोखिम लेते एक मोटरसाइकिल पर जाते देखा। वे विकल्प के अभाव में अपना और अपने परिवार की जान जोखिम में डाल रहे थे।इसे देखते हुए मैंने देशवासियों के लिए सस्ती कार नैनो बनाई, लेकिन जब इसे लॉन्च किया तो इसकी लागत बहुत अधिक थी। मैं वादा कर चुका था कि मध्यम वर्ग के लिए कार बनाऊंगा तो बनाया। आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे अब भी अपनी नैनो कार पर गर्व महसूस होता है।दो-तीन से शादी के लिए करीब आया
रतन टाटा बताते हैं कि मेरा काम ही मेरा जीवन रहा। यही मेरी जीवन शैली बन गई। मैं अधिकतर बांबे हाउस में रहता था या कहीं यात्रा कर रहा होता था।व्यक्तिगत रूप से मैं दो-तीन अलग-अलग पार्टनर के साथ शादी के करीब आया, लेकिन अलग-अलग कारणों से यह संभव न हो सका। शादी के बाद मुझे वास्तव में उन्हें बदलना होता। उन्हें अपनी जीवन शैली के अनुरूप समायोजित करना होता। मेरी जीवन शैली में वह मेरे साथ फिट नहीं बैठती।यह भी पढ़ेंRatan Tata: भारत पर अपनी छाप छोड़ गए रतन टाटा, पढ़ें सूरत के लाल का बड़ा उद्योगपति बनने का सफरRatan Tata Death News: रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन, मुंबई के अस्पताल में भर्ती थे; 2 दिन पहले कहा था- 'ठीक हूं, चिंता की बात नहीं'
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