Ratan Tata Biography : रतन टाटा की जीवनी वाली किताब ने नन-फिक्शन कैटेगरी में बनाया रिकार्ड, कई अनछुए पहलू होंगे उजागर
Ratan Tata Biography रतन टाटा उस पारस पत्थर के समान हैं जो किसी चीज को छू देते हैं तो वह सोना बन जाता है। अभी तक देश के सम्मानित उद्योगपति का कोई आधिकारिक जीवनी नहीं थी। उनकी पुस्तक नवंबर में बाजार में आएगी तो कई अनछुए पहलू उजागर होंगे...
जमशेदपुर, जासं। भारत के सबसे प्रसिद्ध उद्योगपतियों व परोपकारी में एक टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा की अधिकृत जीवनी ने भारत में नन-फिक्शन पब्लिकेशन में एक रिकार्ड स्थापित किया है। यह पुस्तक एक पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह और सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारी थॉमस मैथ्यू द्वारा लिखी गई है, जिन्हें निजी कागजात, पत्राचार और तस्वीरों तक पहुंच प्राप्त हुई थी।
रतन टाटा की आधिकारिक जीवनी
इस किताब में रतन टाटा के बचपन, कालेज के दिनों और टाटा के शुरुआती प्रभावों के बारे में समृद्ध विवरण के साथ एक आधिकारिक जीवनी है। इसमें टाटा की नैनो परियोजना, टाटा स्टील लिमिटेड द्वारा कोरस समेत किए गए अधिग्रहण, साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने आदि का विवरण भी शामिल है, जो पहले प्रकाशित नहीं हुए हैं।
बताया जाता है कि प्रिंट, ई-बुक और आडियोबुक प्रारूपों के विश्वव्यापी अधिकारों के लिए विजयी बोली 2 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। लेखक द्वारा ओवर-द-टॉप (ओटीटी) और फिल्म के अधिकार बरकरार रखे गए हैं, जिसका प्रतिनिधित्व लेबिरिंथ लिटरेरी एजेंसी के अनीश चांडी ने किया है। इसे प्रकाशित करने वाले हार्पर कोलिंस इंडिया ने इस संबंध में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेखक मैथ्यू ने भी इस पर कुछ नहीं कहा है।
इससे पहले सचिन की किताब ने बनाया था कीर्तिमान
भारत में पुस्तक प्रकाशन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसके सौदे के आंकड़े ज्यादा स्पष्ट तरीके से सामने नहीं आते हैं। इसके बावजूद बताया जाता है कि इससे पहले जीवित किंवदंती बन चुके क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की 2014 में प्रकाशित पुस्तक ‘प्लेइंग इट माई वे’ नन-फिक्शन बुक में एक कीर्तिमान बनाया था।
यहां बता दें कि प्रकाशक आमतौर पर किसी लेखक से किसी पुस्तक के अधिकार प्राप्त करने के लिए अग्रिम भुगतान करते हैं। एक बार जब वे पुस्तक की बिक्री से उस राशि की वसूल लेते हैं, तो लेखक को रायल्टी मिलनी शुरू हो जाती है, जो बिक्री मूल्य के 5-15% के बीच होता है। विभिन्न मंत्रालयों में सेवा देने के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अतिरिक्त सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए मैथ्यू ने दो अन्य पुस्तकें ‘द विंग्ड वंडर्स ऑफ राष्ट्रपति भवन’ और ‘एबोड अंडर द डोम’ भी लिखी है। वह एक नियमित ऑप-एड कमेंटेटर भी हैं।
रतन टाटा पर इस वर्ष आई कई किताबें
1937 में जन्मे रतन नवल टाटा, जो अभी 84 वर्ष के हैं, 1964 में कंपनी में शामिल हुए। अपने चाचा जेआरडी टाटा, जो 1981 में टाटा समूह के अध्यक्ष के थे, के नेतृत्व में समूह में शामिल हुए। उन्होंने लंदन स्थित टेटली टी, कोरियाई कंपनी देवू मोटर्स, यूरोप की स्टील निर्माता कोरस ग्रुप पीएलसी और जगुआर लैंडरोवर समेत कई कंपनियों का अधिग्रहण किया।
यह टाटा समूह पर पुस्तकों का एक वर्ष रहा है, जिसने 2018 में अपनी 150वीं वर्षगांठ को चिह्नित किया। जून 2021 में पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने कंपनी के ब्रांड संरक्षक हरीश भट द्वारा लिखित समूह के बारे में प्रेरणादायक कहानियों का एक संग्रह #TataStories प्रकाशित किया।
इसके बाद जुलाई में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस से मिर्सिया रायानु द्वारा लिखित ‘टाटा : द ग्लोबल कॉरपोरेशन दैट बिल्ट इंडियन कैपिटलिज्म’ अाई। अगस्त में पेंगुइन रैंडम हाउस ने आयरिश-अमेरिकी व्यवसायी पीटर केसी द्वारा टाटा परिवार की अधिकृत जीवनी, ‘द स्टोरी ऑफ टाटा : 1868 से 2021’ तक जारी की।
वेस्टलैंड की एक पुस्तक जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई, द टाटास, फ़्रेडी मर्करी। इसके अलावा कूमी कपूर द्वारा लिखित किताब आया, जिसमें पारसियों का एक अंतरंग इतिहास, उद्योगपति परिवार और उनके झगड़ों पर भी विस्तार से चर्चा की गई है।