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Ratan Tata Passed away: जमशेदपुरवासियों के लिए भगवान की तरह थे पद्म विभूषण रतन, टाटा का फैसला सुनते ही बजने लगी थीं तालियां

Ratan Tata Passes Away टाटा स्टील के कर्मचारियों के दिलों में पद्म विभूषण रतन टाटा बसते थे। वह यहां जब भी आते तो पुराने कर्मचारियों से मुलाकात करना नहीं भूलते। यहां तक कि इस शहर में रहने वाले लोग भी उन्हें भगवान की तरह मानते थे। इस शहर से जुड़े उनके अनेक किस्से हैं। कई खट्टी-मीठी यादें हैं। एक तरह से यह उनका दूसरा घर ही था।

By Nirmal Prasad Edited By: Yogesh Sahu Updated: Thu, 10 Oct 2024 02:11 AM (IST)
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Ratan Tata : रतन टाटा की एक पुरानी तस्वीर (सोर्स- एक्स)
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए पद्म विभूषण रतन टाटा भगवान की तरह थे। वे बेहद ही सरल स्वभाव वाले थे। समूह के चेयरमैन होने के बावजूद उन्हें कई कर्मचारियों का नाम मुंह जुबानी याद रहती थी।

इसलिए जब भी वे जमशेदपुर आते, कंपनी के शाप फ्लोर पर जाकर अपने साथ काम कर चुके पुराने कर्मचारियों से जरूर मिलते थे। टाटा स्टील ही नहीं बल्कि टाटा समूह के सभी कर्मचारियों के लिए रतन टाटा का जाना एक अपूरणीय क्षति के समान है।

टाटा स्टील के पुराने कर्मचारियों का कहना है- रतन टाटा धरातल से जुड़े हुए व्यक्तित्व थे। वे टीम वर्क पर विश्वास करते थे। चेयरमैन होने के बावजूद वे बेहद सरल स्वभाव वाले शख्स थे, इसलिए कर्मचारी उसे कंपनी का अधिकारी नहीं बल्कि अपने बीच का साथी मानते थे।

रतन टाटा दो मार्च 2021 को अंतिम बार जमशेदपुर आए थे। इस दौरान वे संस्थापक जेएन टाटा की जयंती पर आयोजित संस्थापक दिवस समारोह में सम्मिलित हुए और हमेशा की तरह सभी कर्मचारियों से मुलाकात की थी।

कोविड-19 के दौर के बावजूद रतन टाटा ने सभी को हाथ हिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया था। कर्मचारी से लेकर उनके आश्रित भी रतन टाटा की एक झलक पाने के लिए लालायित रहते थे।

जमशेदपुर से की थी करियर की शुरुआत

रतन टाटा ने वर्ष 1965 में बतौर ट्रेनी के रूप में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (पूर्व में टिस्को, वर्तमान में टाटा स्टील) में काम किया। उस समय में उन्हें इंजीनियरिंग विभाग में बतौर टेक्निकल आफिसर के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। उन्होंने कंपनी के कई प्लांट के विस्तारीकरण में डिजाइन टीम के साथ भी काम किया है।

ट्रेनी से चेयरमैन तक का किया सफर

रतन टाटा ने टाटा समूह में वर्ष 1962 में बतौर ट्रेनी के रूप में अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत की। वे नेल्को और एम्प्रेस मिल में बतौर नेतृत्वकर्ता के रूप में काम किया और वर्ष 1991 में अपनी नेतृत्व क्षमता के दम पर समूह के चेयरमैन भी बने। वे वर्ष 1991 से वर्ष 2012 तक टाटा समूह के चेयरमैन के पद पर काम किया।

समारोह के दौरान संस्थापक को श्रद्धांजलि देते हुए साइरस मिस्त्री।

जब बतौर चेयरमैन साइरस से कराया था शहरवासियों का परिचय

रतन टाटा वर्ष 2012 में बतौर चेयरमैन जब अंतिम बार संस्थापक दिवस पर शहर आए तो अपने उत्तराधिकारी के रूप में साइरस मिस्त्री को साथ लाए थे। तीन मार्च की सुबह साढ़े नौ बजे बिष्टुपुर पोस्टल पार्क से उन्होंने साइरस मिस्त्री का शहरवासियों से बतौर चेयरमैन परिचय कराया।

रतन टाटा ने शहरवासियों को आधिकारिक रूप से बताया कि उनके बाद टाटा समूह का नेतृत्व अब साइरस मिस्त्री संभालेंगे। उस समय रतन टाटा के इस निर्णय का शहरवासियों ने तालियां बजाकर स्वागत व अभिनंदन किया था।

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