क्या झारखंड में फिर से खुलेंगे HCL के बंद पड़े मैदान? चंपई सोरेन पर टिकीं गरीब मजदूरों की निगाहें
हिंदुस्तान काॅपर लिमिटेड (एचसीएल) के कई खदान इसलिए बंद हैं क्योंकि इन माइंस की लीज अवधि खत्म हो गई है। इसे लेकर संयुक्त रूप से यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और उनसे खदानों में पुन काम शुरू कराने का आग्रह किया। खदान बंद पड़े रहने से बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हैं और अब भूखमरी की कगार पर हैं।
संस, घाटशिला। हिंदुस्तान काॅपर लिमिटेड (एचसीएल) की सुरदा, केंदाडीह व राखा खदानों के लीज नवीकरण और बंद पड़े मऊभंडार के बंद कारखाना को खोलने के संबंध में संयुक्त रूप से यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा।
बेरोजगारी का दंश झेल रहे मजदूर
प्रतिनिधिमंडल ने सीएम को बताया कि पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला स्थित हिन्दुस्तान काॅपर लिमिटेड की इकाई इंडियन कापर काॅम्पलेक्स की सुरदा खदान की लीज की अवधि विगत 31 मार्च, 2020 को समाप्त हो जाने के कारण उत्पादन कार्य विगत 1 अप्रैल, 2020 से पूरी तरह बंद है । इसके कारण लगभग 1000 मजदूर पिछले 4 वर्षों से बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं और वे आज भूखमरी के कगार पर हैं।
माइंस की लीज अवधि हो गई है समाप्त
इसी तरह केंदाडीह और राखा माइंस की भी लीज की अवधि समाप्त हो गई है। जिसके चलते केंदाडीह माइंस भी पिछले जून, 2023 से बंद है। वहां भी कार्यरत मजदूर पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं। मऊभंडार स्थित काॅपर प्लांट भी पिछले चार वर्षों से बंद है।इसके कारण यहां कार्यरत लगभग 500 ठेका मजदूर रोजगार से वंचित हैं। वे सभी भीषण आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। हमलोग प्रबंधन से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि जब तक आईसीसी की खदानों से पर्याप्त मात्रा में अयस्क उत्पादन शुरू नही होता है तब तक एनोड खरीदकर रिफाईनरी स्टेज से प्लांट में उत्पादन कार्य प्रारंभ किया जाए, लेकिन एचसीएल प्रबंधन के द्वारा अब तक इस पर कोई पहल नही किया गया है ।
सुरदा खदान का माइनिंग चालान निर्गत करने की मांग
सुरदा खदान की 65 हेक्टेयर वन भूमि की पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने के कारण लीज डीड का निष्पादन अब तक नहीं हो सका है। लीज निष्पादन नही होने के कारण खनन विभाग द्वारा माइनिंग चालान निर्गत करना बंद कर दिया गया है।पर्यावरण स्वीकृति हेतु एचसीएल प्रबंधन के द्वारा लगभग एक वर्ष पूर्व इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी गांवों में ग्रामसभा आयोजित की गई थी। जिसमें सभी ग्राम वासियों ने अपनी सहमति प्रदान की और अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति ने अपने अनापत्ति पत्र अनुमंडल प्रशासन के समक्ष सौंप दिया है।
अभी यह जिला स्तरीय वनाधिकार समिति के पास विचाराधीन है। ऐसी परिस्थिति में हम आपसे अनुरोध करते है कि इस संकट से निपटने हेतु सुरदा खदान की मौजूदा 323 हेक्टेयर भूमि, जिसकी पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त है।उतनी भूमि पर खनन कार्य प्रारम्भ करने की अनुमति प्रदान कर अविलंब माइनिंग चालान निर्गत करने का आदेश प्रदान करें ताकि सुरदा खदान में जल्द से जल्द उत्पादन शुरू हो सके और रोजगार से वंचित सभी मजदूरों को रोजगार प्राप्त हो सके।
साथ ही साथ केंदाडीह और राखा खदानों के लीज नवीकरण करने एवं मऊभंडार कारखाना को रिफाइनरी मोड से चलाने का आदेश पारित करने का अनुरोध किया है। प्रतिनिधिमंडल में आईसीसी वर्कर्स यूनियन के महासचिव ओम प्रकाश सिंह, मऊभंडार मजदूर यूनियन के महासचिव काल्टू चक्रवर्ती, झारखंड कापर मजदूर यूनियन के महासचिव देवी प्रसाद मुखर्जी समेत अन्य मौजूद थे।यह भी पढ़ें: झारखंड के इस जिले की चमकेगी किस्मत! करोड़ों की लागत से बनने जा रही हैं चकाचक सड़कें
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