Ratan Tata : रतन टाटा के बाद अब एक ही व्यक्ति टाटा संस और टाटा ट्रस्ट का कमान नहीं संभाल सकता, जानिए क्यों
Tata Group टाटा ग्रुप ने अपने बोर्ड में बड़ा बदलाव किया है।अब एक ही व्यक्ति टाटा संस व टाटा ट्रस्ट का नेतृत्व नहीं कर सकता। इस तरह रतन टाटा अंतिम शख्स होंगे जिन्होंने दोनों पदों को एक साथ सुशोभित किया....
जमशेदपुर : टाटा संस में अब एक ही व्यक्ति टाटा संस व टाटा ट्रस्ट की जिम्मेदारी नहीं संभाल सकता है। 11 फरवरी को टाटा संस की बैठक की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। यह वही बैठक है जिसमें एन चंद्रशेखरन के कार्यकाल को अगले पांच वर्षों के विस्तार को मंजूरी दी गई थी। टाटा संस के अधिकारियों की माने तो इस नए संशोधन को टाटा संस के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में शामिल किया जाएगा।
बैठक में रतन टाटा भी थे मौजूद
इस बैठक में टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा भी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल थे। बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार बेहतर कॉरपोरेट गवर्नेंस सुनिश्चित करने के लिए इस तरह की पहल की गई है ताकि दोनो पदों पर अलग-अलग व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी संभाल सके। हालांकि रतन टाटा टाटा संस और टाटा ट्रस्ट दोनों के अध्यक्ष बनने वाले अंतिम व्यक्ति थे। हालांकि इस मामले में टाटा ट्रस्ट की ओर से कोई कमेंट्स नहीं मिल पाया है। टाटा समूह के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य कॉर्पोरेट गर्वेनेंस को बेहतर बनाना ही हमारा उद्देश्य है।
नोएल टाटा भी टाटा ट्रस्ट में शामिल
ट्रेंट इंटरनेशनल के चेयरमैन नोएल टाटा को पिछले दिनों ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में एक ट्रस्टी के रूप में शामिल किया गया था, जो टाटा के दो प्रमुख ट्रस्टों में से एक है। इस कदम को टाटा ट्रस्ट में उत्तराधिकार योजना के हिस्से के रूप में देखा जाता है, जो टाटा समूह को नियंत्रित करने वाले परोपकारी निकाय में टाटा परिवार के निरंतर जुड़ाव के लिए जाना जाता है।
इस बीच संभावना जताई जा रही है कि टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस के सबसे बड़े शेयरधारक के रूप में, दोनों के बीच तालमेल को मजबूत करने के लिए जल्द ही टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी के बोर्ड में नए निदेशकों को नामित कर सकता है।
नॉमिनी की उम्र सीमा बढ़ाई गई
'मूव विल इंसुलेट टाटा फैमिली, ट्रस्ट्स फ्रॉम एनी टाटा संस डिस्प्यूट' टाटा ट्रस्ट्स ने हाल ही में टाटा संस के बोर्ड में ट्रस्ट नॉमिनी की आयु सीमा भी 70 वर्ष से बढ़ाकर 75 वर्ष कर दी है। टाटा संस के बोर्ड ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। इससे पहले, टाटा समूह के कार्यकारी निदेशकों को 65 पर कार्यकारी पदों से और 70 में सभी बोर्ड पदों से सेवानिवृत्त होना पड़ता था।
टाटा ट्रस्ट के वाइस प्रेसिडेंट सह टाटा संस के बोर्ड सदस्य वेणु श्रीनिवासन 70 के करीब हैं। टाटा ट्रस्ट के एक अन्य वाइस प्रेसिडेंट विजय सिंह, जिन्होंने 2018 में 70 पर पहुंचने के बाद टाटा संस के बोर्ड को छोड़ दिया, को बोर्ड में फिर से नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा टाटा ट्रस्ट द्वारा टाटा संस में एक और व्यक्ति को नामित किए जाने की संभावना है।
अलग-अलग व्यक्ति रखने के पीछे ये है कारण
टाटा ट्रस्ट के अधिकारियों की माने तो अलग-अलग व्यक्ति रहने से काम के प्रबंधन और शेयरधारकों के बीच शक्ति का उचित संतुलन सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि यह कदम उसी तरह है जैसे सेबी सुशासन के लिए चेयरमैन और प्रबंध निदेशक की भूमिका को अलग-अलग करता है।
कैपस्टोन लीगल के मैनेजिंग पार्टनर आशीष के सिंह कहते हैं: इस फैसले का कारण टाटा ट्रस्ट्स और टाटा परिवार को टाटा संस के कामकाज में उत्पन्न होने वाले विवादों और मुद्दों से बचाना हो सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए भी है कि टाटा संस और अन्य टाटा कंपनियों के अन्य शेयरधारक टाटा ट्रस्ट द्वारा लिए गए निर्णयों की स्वतंत्रता के बारे में कोई आपत्ति नहीं उठाते हैं।
रतन टाटा दोनों के थे चेयरमैन
आपको बता दें रतन टाटा टाटा संस और टाटा ट्रस्ट दोनों के चेयरमैन थे और संभवत: दोनों भूमिकाओं पर काम करने वाले अंतिम चेयरमैन होंगे। रतन टाटा का कहना है कि मैं इन ट्रस्टों का वर्तमान चेयरमैन हूं। यह कोई और हो सकता है, जरूरी नहीं कि भविष्य में 'टाटा' उपनाम वाला व्यक्ति ही चेयरमैन हो। क्योंकि एक व्यक्ति का जीवन सीमित है, जबकि ये संगठन भविष्य में संचालित होते रहेंगे।
टाटा परिवार के सदस्यों के पास उस पद पर या यहां तक कि टाटा संस की अध्यक्षता का कोई निहित अधिकार नहीं है, टाटा ने मिस्त्री परिवार द्वारा नियंत्रित कंपनी साइरस इन्वेस्टमेंट्स द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में कहा था।
जहां तक टाटा परिवार के सदस्यों (संस्थापकों के वंशजों/रिश्तेदारों) का संबंध है, कंपनी (टाटा संस), या इसके प्रबंधन में उन अधिकारों के अलावा कोई विशेष अधिकार या भूमिका कभी निर्धारित या प्रदान नहीं की गई है। कंपनी में एक शेयरधारक के रूप में उनके पास कानून के तहत होगा। इस तथ्य का जिक्र करते हुए कि वह और उनके रिश्तेदार टाटा संस में 3 प्रतिशत से कम के मालिक हैं। टाटा संस की इक्विटी पूंजी का लगभग 66 प्रतिशत टाटा परिवार के सदस्यों द्वारा संपन्न परोपकारी ट्रस्टों के पास है।