सरायकेला छऊ की शैली है कुछ खास, अब तक छह कलाकारों को मिल चुका पद्म सम्मान
छऊ के कारण सरायकेला की ख्याति पूरी दुनिया में है । अबतक छह कलाकारों को पद्म पुरस्कार मिल चुका है।
By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Wed, 10 Oct 2018 02:56 PM (IST)
जमशेदपुर (जेएनएन)। कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला-खरसावां जिले की पहचान छऊ नृत्य के लिए है। छऊ नृत्य की शैली खास है। छऊ के कारण सरायकेला की ख्याति पूरी दुनिया में है और अबतक छह कलाकारों को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म पुरस्कार मिल चुका है। यहां छऊ नृत्य सीखने दूसरे देशों से भी लोग आते हैं और यहां के कलाकारों को दूसरे देशों से प्रदर्शन का बुलावा आता ही रहता है।
इन्हें मिल चुके पद्मश्री पुरस्कारशुभेंदु नारायण सिंहदेव, केदारनाथ साहू, श्यामाचरण पति, मंगलाचरण पति, मकरध्वज दारोघा और पंडित गोपाल प्रसाद दूबे को पद्मश्री पुरस्कार मिल चुका है। शुभेंदु नारायण सिंहदेव को सबसे पहले छऊ कला के संबद्र्धन के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला था। शुभेंदु नारायण सिंहदेव सरायकेला राजघराने से आते थे। वे छऊ के बेहतरीन कलाकार थे। उन्होंने छऊ कला के संबंद्र्धन के लिए काफी काम किया। उनके नेतृत्व में छऊ कलाकारों की टीम आजादी के पहले ही विदेशों का दौरा कर चुकी थी। छऊ नृत्य के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शुभेंदु नारायण सिंहदेव और उनकी टीम को सराह चुके।
रानी अरुणिमा सिंहदेव हैं छऊ की ड्रेस डिजाइनर
सरायकेला राजघराने की बहू रानी अरुणिमा सिंहदेव छऊ की ड्रेस डिजाइनर हैं। उन्होंने सरायकेला छऊ के लिए ड्रेस डिजाइन किए हैं। अरुणिमा सरायकेला नगर पंचायत की अध्यक्ष भी रही हैं। उनके पति राजा आदित्य सिंहदेव छऊ की विरासत को संजोन के प्रयास में निरंतर जुटे हैं। राजभवन में छऊ से जुड़ी बेहतर लाइब्रेरी है जहां छऊ से जुड़ी ऐतिहासिक तस्वीरें हैं। राजभवन में हर वर्ष छऊ महोत्सव का आयोजन भी होता है।सरकार ने दिया राजकीय महोत्सव का दर्जा
इधर कुछ वर्षों से सरायकेला में सरकारी स्तर पर छऊ महोत्सव का आयोजन होता है। सरकार ने महोत्सव को राजकीय महोत्सव का दर्जा दिया है। महोत्सव के दौरान छऊ के दलों के बीच प्रतियोगिताएं होती हैं और दलों को पुरस्कृत किया जाता है। सरकार की कोशिश छऊ कला और कलाकारों को प्रोत्साहित करना है। सोनल मान सिंह भी सीख चुकी छऊ
प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना सोनल मानसिंह ने भी छऊ नृत्य सीखा था। उन्होंने गुरु कुलचरण महापात्रा से छऊ नृत्य का प्रशिक्षण लिया था।
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