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असम में मंदिर के पुजारियों को राज्य सरकार देगी 15,000 रुपये की आर्थिक सहायता, हिंदू जनजागृति समिति ने किया निर्णय का स्वागत

कोरोना महामारी की वजह से झारखंड में भी आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद हैं। देश भर में मंदिर बंद थे जिससे पुजारियों-पुरोहितों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी। अब असम सरकार ने मंदिर के पुजारियों को 15000 रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Wed, 25 Aug 2021 05:00 PM (IST)
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हिंदू जनजागृति समिति के राज्य समन्वयक (पूर्व व पूर्वाेत्तर भारत) शंभू गवारे ।
जमशेदपुर, जासं। कोरोना महामारी की वजह से झारखंड में भी आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद हैं। देश भर में मंदिर बंद थे, जिससे पुजारियों-पुरोहितों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी। अब असम सरकार ने मंदिर के पुजारियों को 15,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया है। हिंदू जनजागृति समिति का कहना है कि अन्य राज्य भी इसकी पहल करें।

समिति के राज्य समन्वयक (पूर्व व पूर्वाेत्तर भारत) शंभू गवारे कहते हैं कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा कोरोना के कारण बाधित हुए राज्य के हिंदू पुजारी और छोटे मंदिरों को 15 हजार रुपये की कोरोना सहायता राशि देने का निर्णय प्रशंसनीय है। हिंदू जनजागृति समिति उनके इस निर्णय का स्वागत करती है। पहले भी उन्होंने धार्मिक स्थल के आसपास के पांच किलोमीटर परिसर में मांस बिक्री करने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया था। इस प्रकार के निर्णयों से अन्य राज्य भी बोध लें।

हिंदू जनजागृति ने महाराष्ट्र के लिए की थी मांग

कोरोना महामारी के कारण विगत डेढ वर्ष से सबकुछ लगभग ठप हो गया था। अनेकों ने अपने रोजगार गंवा दिए। सभी क्षेत्रों की आय घट गई है, जिसमें मंदिरों का भी समावेश है। कोरोना के कारण मंदिर में आनेवाले श्रद्धालुओं की संख्या अत्यल्प हो जाने के कारण मंदिर की आय भी अत्यल्प हो गई है। इस कारण अनेक मंदिरों से पुजारियों को निलंबित करना पड़ा। इसलिए मंदिरों पर निर्भर पुजारियों को बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे समय में पुजारियों को 15 हजार रुपये की सहायता करने से कुछ मात्रा में संबल मिलेगा। हिंदू जनजागृति समिति ने कोरोना काल में महाराष्ट्र के मंदिरों के लिए इस प्रकार की सहायता की मांग की थी।

पुजारियों को मिले मासिक भत्ता

हिंदू जनजागृति समिति का कहना है कि एक बार आर्थिक सहायता देने से काम नहीं चलेगा। मदरसों-मस्जिदों की तरह पुजारियों को भी नियमित मासिक भत्ता या मानदेय मिलना चाहिए। केवल अल्पसंख्यक के नाम पर देश के अनेक राज्यों के मदरसे और मस्जिदों में काम करनेवाले इमाम, मौलवी, अजान देने वाले इत्यादि को प्रतिमास विविध राज्यों की सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। किंतु वैसी सहायता किसी भी सरकार द्वारा बहुसंख्यक हिंदू पुजारियों को और मंदिरों को नहीं दी गई है। इसके विपरीत हिंदुओं के अधिकांश समृद्ध और विशाल मंदिरों का सरकारीकरण कर, वहां की संपत्ति लूटने का कार्य विविध राज्य शासनों ने किया है। ऐसी स्थिति में मंदिर के पुजारियों और छोटे मंदिरों-नामघरों को अनुदान देने का निर्णय बहुसंख्यकों की भावनाओं का आदर करता है। इस निर्णय की पृष्ठभूमि पर अन्य राज्य सरकारें भी मंदिरों और वहां के पुजारियों की सहायता करने का निर्णय ले, ऐसी समिति की आकांक्षा है।

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