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Tokyo Olympics 2020 : ओलिंपिक मेडल को खिलाड़ी दांतों से सचमुच काटते हैं या यह सिर्फ आंखों का धोखा होता है

Tokyo Olympics 2020 ओलिंपिक खेलों में अक्सर आपने देखा होगा कि पदक विजेता मेडल को दांतों से काटते हैं। आखिर ऐसा क्यों करते हैं। क्या वह सचमुच पदक को दांतों से काटते हैं या फिर यह आखों का धोखा है...

By Jitendra SinghEdited By: Updated: Wed, 28 Jul 2021 06:00 AM (IST)
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ओलिंपिक मेडल को खिलाड़ी दांतों से सचमुच काटते हैं
जमशेदपुर, जासं। अंतरराष्ट्रीय खेलों का महाकुंभ ओलिंपिक जापान के टोक्यो शहर में शुरू हो चुका है। यह तो आप जानते ही हाेंगे कि इस ओलिंपिक्स-2020 में मणिपुर की मीराबाई चानू ने रजत पदक के साथ भारत को पहला पदक दिला भी दिया है। बात यह नहीं है, बात यह है कि ओलिंपिक में पदक जीतने के बाद लगभग हर खिलाड़ी पदक या मेडल को दांत से काटते हुए क्यों दिखाई देते हैं। यह बात शायद आपको पता नहीं होगा।

सिर्फ दिखावा करते हैं खिलाड़ी

दरअसल, खिलाड़ी सचमुच अपने पदक को दांत से नहीं काटते हैं, बल्कि पदक को दांतों के बीच रखकर ऐसा करने का उपक्रम या दिखावा करते हैं। कहा जाता है कि इसकी शुरुआत फोटोग्राफरों की फरमाइश पर शुरू हुई थी। अमूमन गले में लटके हुए मेडल दिखाते हुए खिलाड़ी फोटोग्राफरों को पोज देते थे। अब भी देते हैं, लेकिन फोटोग्राफरों का मानना है कि जब खिलाड़ी इसे दांत से काटते हुए फोटो खिंचाते हैं, तो फोटो का लुक बढ़िया हो जाता है। इसमें खिलाड़ी का चेहरा और पदक दोनों एक छोटे फ्रेम में अच्छी तरह आ जाते हैं। दोनों का क्लोजअप शॉट फोटो को जानदार बना देता है। इसके बाद से यह परंपरा ही बन गई।

गोल्ड मेडल में भी छिपा होता चांदी व कांसा

दांत से पदक को काटने को लेकर अलग-अलग मिथक हैं। इंटरनेशनल सोसायटी आफ ओलिंपिक हिस्टोरियंस के अध्यक्ष डेविड वालेचिंस्की का कहना है कि इसके बारे में कुछ साल पहले चर्चा हुई थी। इस बारे में उन्होंने कहा था कि मेडल जीतने के बाद अक्सर फोटोग्राफर खिलाड़ियों से ऐसा करने के लिए आग्रह या निवेदन करते हैं। ऐसा अपनी फोटो को बेहतरीन बनाने के लिए करते हैं। कंप्लीट बुक ऑफ द ओलिंपिक के सहलेखक रहे डेविड कहते हैं कि फोटोग्राफर इसे एक बेहतरीन शॉट के रूप में देखते हैं। एक सवाल के जवाब में डेविड ने कहा कि मेरी समझ से खिलाड़ी जान-बूझकर या अपनी मर्जी से ऐसा नहीं करते होंगे। खिलाड़ी अपने पदक को जूठा करना कभी पसंद नहीं करेंगे।

पदक को दांत से काटने को लेकर कई मिथक भी

एक मिथक यह भी है कि सोने की शुद्धता जांचने के लिए ऐसा करते होंगे। चूंकि सोना काफी मुलायम धातु है, इसलिए दांत गड़ाने से यदि उसमें दाग पड़ गया तो माना जाता है कि सोना असली है। हालांकि यह बात भी सही नहीं है, क्योंकि मेडल पर सोने की परत ही चढ़ाई जाती है। यह पूरी तरह सोने का नहीं बना होता है। दांत से काटने के बावजूद मेडल पर दांत के निशान नहीं पड़ते हैं। ओलिंपिक के गोल्ड मेडल में एक प्रतिशत से कुछ अधिक ही सोने का इस्तेमाल किया जाता है। कम से कम 2016 के रियो ओलंपिक में इसका यही पैमाना सामने आया था। गोल्ड मेडल में 93 प्रतिशत चांदी या सिल्वर, एक प्रतिशत सोना और छह प्रतिशत कांसे या ब्रांज का इस्तेमाल किया जाता है।

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