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Vishwakarma Puja 2020: इसबार कोरोना के कारण विश्‍वकर्मा पूजा का उत्‍साह रहेगा फीका, सादगी से होगी पूजा

Vishwakarma Puja 2020. कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष विश्वकर्मा की पूजा सादगी से होगी। इस दौरान जमशेदपुर शहर में कहीं भी किसी प्रकार का कार्यक्रम नहीं होगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Updated: Tue, 15 Sep 2020 04:56 PM (IST)
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Vishwakarma Puja 2020: इसबार कोरोना के कारण विश्‍वकर्मा पूजा का उत्‍साह रहेगा फीका, सादगी से होगी पूजा

जमशेदपुर, जासं।  कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा सादगी से होगी। इस दौरान शहर में कहीं भी किसी प्रकार का कार्यक्रम नहीं होगा। पूजा का आयोजन मुख्‍यरूप से तकनीकी या अभियंत्रण क्षेत्र से जुडे़ लोगों द्वारा औद्योगिक प्रतिष्ठानों या औद्योगिक ईकाइयों में धूमधाम व उत्साह के साथ मनाया जाता है।

वर्तमान के आधुनिक मशीनी व कंप्यूटर युग में सुखोपभोग, संचार एवं मनोरंजन के आधुनिक साधन बढ़ते जा रहे हैं, जिनका प्रयोग अधिकतर लोग कर रहे हैं। इस प्रकार वर्तमान में भगवान विश्वकर्मा के कृपा प्रसाद की जरूरत प्राय: सभी को है। लौहनगरी में भगवान विश्वकर्मा की पूजा धूमधाम के साथ की जाती है, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी ने लोगों का उत्साह फीका कर दिया है। बाजार में सजावट की सामग्री तो सज गई, लेकिन खरीदारों की भीड़ अपेक्षाकृत कम देखी जा रही है। 

कन्या संक्रांति के दिन हुआ था भगवान विश्वकर्मा का जन्म

देवलोक के मुख्य अभियंता एवं ब्रह्मांड के निर्माण में ब्रह्मा जी के मुख्य सहयोगी भगवान विश्वकर्मा ही हैं। आधुनिक मशीनी युग में जिस पर भी इनकी कृपा दृष्टि बन जाय उसे तकनीकी ज्ञान एवं अभियंत्रण के क्षेत्र में कुछ भी अप्राप्य व दुर्लभ नहीं है। इनकी कृपा से भक्तों को संबंधित क्षेत्र में उन्नति, लाभ, यश एवं ख्याति मिलती है। इस वर्ष भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी। वार्षिक गोचरीय गति के अनुसार सूर्य देव के कन्या राशि में प्रवेश होता है। कन्या संक्रांति के साथ वर्षा ऋतु का अंत व शरद ऋतु का प्रारंभ होता है। प्रति वर्ष प्राय: 17 सितंबर को सूर्य देव का प्रवेश कन्या राशि में होता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य के इस संक्रांति के दिन ही शिल्पकला ज्ञान प्रदाता भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। 

सूर्यदेव करेंगे कन्‍या राशि में प्रवेश

ज्योतिषाचार्य पंडित रमा शंकर तिवारी के अनुसार इस वर्ष भी सूर्य देव 17 सितंबर को दिन में 10:19 बजे कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार श्री विश्वकर्मा का पूजन भक्ति एवं श्रद्घा के साथ 17 सितंबर गुरुवार को ही करना श्रेयस्कर रहेगा।

ऐसे करें विश्वकर्मा पूजा

शिल्पदेव भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए स्नान के बाद थाली में पूजन सामग्री रखकर जल द्वारा शुद्धि एवं आचमनी करके धूप दीप जलाकर श्री गणेश व माता गौरी का ध्यान करना चाहिए। ध्यान के बाद हाथ में अक्षत, पुष्प, द्रव्य व जल लेकर पूजन का संकल्प करना चाहिए। संकल्प के बाद सर्वप्रथम श्री गणेश जी एवं माता गौरी का ध्यान, आवाहन व पूजन के बाद कलश में वरुण देव का ध्यान आवाहन व पूजन करना चाहिए। इसके बाद नवग्रहों की कृपा के लिए सूर्य देव के साथ नवग्रहों का ध्यान आवाहन व पूजन के बाद अंत में प्रधान देवता भगवान विश्वकर्मा का ध्यान आवाहन एवं पूजन करना चाहिए। पूजन के उपरांत हवन, आरती, पुष्पांजली एवं क्षमा प्रार्थना करना श्रेयस्कर रहता है।

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