Move to Jagran APP

आर्थिक तंगी ने ली जान, नहीं मान रहे हुक्मरान

---परिवार का एकमात्र कमाऊ था लालजी, पैसे के अभाव में नहीं करवा पाया इलाज ---विधायक

By JagranEdited By: Updated: Wed, 11 Jul 2018 11:56 AM (IST)
आर्थिक तंगी ने ली जान, नहीं मान रहे हुक्मरान

नारायणपुर (जामताड़ा) : गरीबी और अभाव में नारायणपुर प्रखंड के बुधुडीह में लालजी महतो नामक 70 वर्षीय एक वृद्ध की मौत हो गई। लालजी महतो की अचानक तबीयत खराब हुई तो झोलाछाप डॉक्टर से सोमवार को उनका इलाज हुआ। उसे बाहर इलाज कराने की सलाह दी गई पर आर्थिक तंगी की वजह से परिजन उसे बाहर नहीं ले जा सके। रात में उनका दम टूट गया। वे अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। विधायक व पंचायत समिति सदस्य ने लालजी की मौत को भूख से जोड़ा है, जबकि बीडीओ व पंचायत सचिव ने कहा कि उसकी मौत भूख से नहीं हुई है। परिजन को सरकारी अनाज का लाभ मिल रहा था।

---चार शादीशुदा पुत्रों ने भी नहीं रखा ख्याल : महतो उम्रदराज होने के बावजूद खुद मजदूरी आदि कार्य कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। उनके निधन से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। लालजी महतो को सात पुत्र एवं पांच पुत्री है। तीन पुत्री व चार पुत्रों का भी विवाह हो गया है, जो अपने परिवार के साथ बाहर रहते हैं। पत्नी और पांच छोटे बच्चों का भरण-पोषण का जिम्मा लालजी महतो पर ही था। बाहर रहने वाले उनके पुत्र पिता पर ध्यान नहीं देते थे। ऐसे में वह मजदूरी करके वह परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। सोमवार को उनकी तबीयत खराब हुई थी। झोलाछाप चिकित्सक से उपचार किया और उन्हें बाहर ले जाने की सलाह दी, पर आर्थिक तंगी के कारण परिवार उनका इलाज नहीं करवा पाए। नतीजतन उनका देहांत हो गया। मंगलवार को गांव वालों के सहयोग से उनका अंतिम संस्कार किया गया।

---घर में अनाज का एक दाना तक नहीं : मृतक लालजी महतो की पत्नी काजल देवी ने कहा कि आर्थिक तंगी और गरीबी के कारण अपने पति का इलाज वह नहीं करवा पाई और न ही समय पर भोजन दे पाई, इसलिए उनका निधन हो गया है। घर में अनाज का एक दाना नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पति को वृद्धा पेंशन मिलती थी परंतु तीन माह से पेंशन की राशि भी नहीं मिल रही थी। आवेदन देने के बाद भी पीएम आवास नहीं मिला है। टूटे-फूटे घर में रहते हैं। वर्षा का पानी चूने लगता है, प्लास्टिक लगाकर काम चला रहे हैं। जनवितरण दुकान से राशन मिलने की बात उन्होंने स्वीकार की है कहा कि राशन मिलता था। सरकार से मिले राशन खत्म हो चुका था।

----मरने के बाद मिला पचास किलो सरकारी अनाज : लालजी के परिजनों को जून महीने में बुधुडीह की ही जनवितरण प्रणाली की दुकान से 35 किला अनाज मिला था। परिजनों की संख्या ज्यादा रहने की वजह से वह अनाज पहले की खत्म हो गया। अब जब उसका देहांत हो गया तो जनवितरण दुकानदार ने 35 किलो के बदले पचास किला चावल की एक पूरी बोरी घर भेजवा दी।

---पेंशन की राशि मिलती रहती तो इलाज संभव होता : ग्रामीणों ने कहा कि लालजी को तीन महीने से पेंशन की राशि नहीं मिली। वृद्धापेंशन की राशि अगर नियमित उसे मिलती रहती तो वह उसी पैसे से इलाज करवा सकता था और उसकी जान बच भी सकती थी पर यहां घर में फूटी कौड़ी तक नहीं थी। ---क्या कहते हैं पंचायत सचिव : बुधुडीह के पंचायत फणीभूषण मंडल ने कहा कि लालजी की भूख से मौत नहीं हुई है। जहां तक पीएम आवास की बात है सेक डाटा में नाम नहीं रहने के कारण पीएम आवास नहीं दिया जा सका है। विशेष ग्राम सभा में उनका नाम लेकर भेजा गया है। जनवितरण प्रणाली से राशन उसके परिवार को पिछले माह ही दिया गया था।

--क्या कहते हैं पंचायत समिति सदस्य : बुधुडीह के पंचायत समिति सदस्य कांग्रेस यादव ने कहा कि लालजी महतो की मौत भूख से हुई है। घर में अनाज का एक दाना नहीं है और न ही कोई कमाने वाला ही है। इस गरीब परिवार को पीएम आवास, वृद्धापेंशन कुछ भी सुविधा नहीं मिल रही थी। उन्होंने कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

--क्या कहते हैं बीडीओ : प्रखंड विकास पदाधिकारी मो. जहीर आलम ने कहा कि भूख से मौत की खबर गलत है। उन्हें राशन मिल रहा था। पेंशन किस कारण से रुकी हुई थी, राशि क्यों नहीं मिल पाई, इसकी जांच कराएंगे। ---विधानसभा में गरमायेगा मामला : स्थानीय विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि बुधुडीह के लालजी महतो की जान भूख से गई है। सरकार में सारी व्यवस्था चौपट हो गई है। लोगों को न तो राशन मिल रहा है और न ही वृद्धा पेंशन ही। सरकार बताए कि लालजी महतो को किस कारण से पेंशन नहीं मिली, पीएम आवास नहीं मिला, सारी जानकारी रहने के बाद भी उस परिवार को तंगहाली में क्यों छोड़ दिया गया। जानकारी रहने के बाद भी किसी प्रकार की पहल क्यों नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस मामले को वे विधानसभा के पटल पर रखकर उस गरीब परिवार के लिए न्याय मांगेंगे।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।