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Champai Soren: 'आदिवासी बहू-बेटी पर जो बुरी नजर डाले फोड़ दो उसकी आंखें', चंपई सोरेन ने क्यों कही ऐसी बात?

Champai Soren झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने सोमवार को आदिवासी समाज के लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ धर्मांतरण लव-जिहाद और लैंड-जिहाद जैसे मुद्दों पर चिंता जाहिर की। उन्होंने समाज के लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया। सोरेन ने कहा कि आदिवासियों की परंपरागत रीतियों-नीतियों को संजोकर ही समाज का अस्तित्व बचा पाना संभव है।

By Jagnath Bauri Edited By: Yogesh Sahu Updated: Mon, 07 Oct 2024 08:44 PM (IST)
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नाला के नतुनडीह में चंपई सोरेन ने आदिवासी समाज को संबोधित किया।
संवाद सहयोगी, नाला। बांग्लादेशी घुसपैठिया हो या कोई और समाज की बहू-बेटियों की ओर कोई भी बुरी नजर डाले तो उसकी आंखें फोड़ दो। हमें अपना अबुआ राज चाहिए, जाहेर थान और मांझीथान सुरक्षित चाहिए। संताल परगना में आदिवासी समाज काफी कमजोर हो रहा है।

समाज को आगे बढ़ाने को लेकर लोगों को जागरूक करना है। जो भी बांग्लादेशी घुसपैठिया हमारी जमीनों पर जबरन कब्जा जमाने की कोशिश करे उसे उस जमीन से सीधे उखाड़ फेंको। तभी हमसब का अस्तित्व बचेगा।

ये बातें पूर्व सीएम और वर्तमान के वरीय भाजपा नेता चंपई सोरेन ने कहीं। चंपई सोमवार को नाला के नतुनडीह में आदिवासी समाज की ओर से आयोजित मांझी परगना बाईसी की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

कल तक चंपई सोरेन की तबीयत थोड़ी नासाज रहने की वजह से भले ही उनके ना पहुंच पाने के कयास लगा रहे थे, लेकिन झारखंड के टाइगर कहे जाने वाले चंपई यहां पहुंचे भी और बांग्लादेशी घुसपैठ, धर्मांतरण, लव-जिहाद व लैंड-जिहाद जैसे मुद्दों पर दहाड़ भी लगाई।

घुसपैठ को लेकर समाज के लोग रहें सतर्क

चंपई सोरेन ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद हमें अपना अलग प्रदेश मिला है। आदिवासी समाज को देश की आजादी और अपने हक के लिए लड़ने समुदाय माना जाता है।

संताल परगना की धरती शहीद आदिवासी वीरों की धरती रही है। सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो की कुर्बानियां हमारा गौरवशाली इतिहास बयां करता है। लेकिन आज बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से इस समाज का उनके वंशजों की स्थिति ही बद से बदतर होती जा रही है।

हमें हक ओर हुकुम को छीनकर हासिल करने की जरूरत है। इन बाहरी घुसपैठियों को लेकर पूरे समाज को सजग और सतर्क रहना होगा।

आदिवासी परंपरागत रीतियों-नीतियों को संजोकर ही बचेगा समाज

पूर्व सीएम ने कहा कि आदिवासियों की परंपरागत रीतियों-नीतियों को संजोकर ही समाज का अस्तित्व बचा पाना संभव है। नई पीढ़ी को अपने हक, अधिकार और रीतियों से अवगत करवाना होगा।

मांझी हड़ाम, जोगमांझी, नाइकी, गोड़ैत, पारानिक और समाज के अन्य पदधाकियों की भी इसमें अहम भूमिका है। सबकी मिली-जुली जिम्मेदारी से ही समाज का अस्तित्व बचेगा और हमारी संस्कृति का भविष्य उज्ज्वल होगा।

पूर्व कृषि मंत्री बाटुल झा की सभा में नहीं होने दी इंट्री

मांझी परगना के इस आदिवासी महाजुटान में आयोजन के दौरान स्थानीय भाजपा के पूर्व विधायक व कृषि मंत्री बाटुल झा भी शामिल होने को नतुनडीह पहुंचे। लेकिन समाज के लोगों ने उनकी गाड़ी को सभा स्थल पर प्रवेश ही नहीं करने दिया और उन्हें बैरंग लौटना पड़ा।

इससे पूर्व इसके पूर्व लगभग दो चंपई साेरेन के पहुंचते ही आदिवासी महिलाओं ने पारंपरिक नृत्य-गीत से उनका भव्य स्वागत किया। साथ ही मंच पर पारंपरिक आदिवासी पगड़ी पहनाकर उन्हें सम्मानित किया।

इस अवसर पर देवघर जिले से पहुंचे मांझी हाकिम टुडू, दुमका से सुनील हेम्ब्रम, नाला प्रखंड अध्यक्ष राजीव हेम्ब्रम, सचिव सोनालाल, सोरेन, प्रभात टुडू, सुकमुनी हेम्ब्रम आदि ने भी सभा को संबोधित किया। मौके पर समाज के मांझी हड़ाम, जोगमांझी, नाइकी, लासेरसेल, गोड़ैत, पारानिक समेत हजारों की भीड़ जुटी रही।

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