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ढुकू परंपरा के तहत लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों को पूर्ण रूप से सम्मान दिलाना आवश्यक : उपायुक्त

ढुकू परंपरा को लेकर डीसी ने कार्यशाला का आयोजन किया।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 06 Aug 2022 09:21 PM (IST)
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ढुकू परंपरा के तहत लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों को पूर्ण रूप से सम्मान दिलाना आवश्यक : उपायुक्त

ढुकू परंपरा के तहत लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों को पूर्ण रूप से सम्मान दिलाना आवश्यक : उपायुक्त

जासं, खूंटी : डीआरडीए सभागार में शनिवार को निमित्त संस्था द्वारा कार्यशाला सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यशाला में पारंपरिक ढुकू व्यवस्था के तहत लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार एवं उनके विकास को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। कार्यशाला में उपायुक्त, शशि रंजन ने कहा कि समाजिक कुरीतियों के कारण लिव इन रिलेशनशिप जोड़ों को बिना शादी किए साथ रहने को मजबूर होना पड़ता है। ऐसे जोड़ों को समाज से दांपत्य संबंध की मान्यता नहीं मिल पाती, जिससे जीवन भर इन जोड़ों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा नुकसान गांव की महिलाओं एवं उनके बच्चों को उठाना पड़ रहा है। उपायुक्त ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन से इन्हें पूर्ण रूप से सम्मान दिलाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इन जोड़ों को जिला प्रशासन की ओर से सभी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास है। साथ ही इनका विवाह निबंधन भी सुनिश्चित कराया जा रहा है। उपायुक्त ने महिलाओं को उत्साहित करते हुए कहा कि वे आत्मविश्वास के साथ आर्थिक व सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में अग्रसर हो। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जेएसएलपीएस की योजना से जोड़ा जाएगा। हमारा प्रयास है कि इसे एक अभियान के रूप में व्यापक स्तर पर चलाया जाए, जिससे नवजागरण के उद्देश्यों को पूर्ण किया जा सके। कार्यशाला में एलडीएम एवं डीडीएम, नाबार्ड ने भी बैंकिंग योजनाओं एवं अन्य आर्थिक विकास से जुड़ी जानकारियां साझा की। उन्होंने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं से जुड़कर महिलाओं में आत्मविश्वास जागृत होगा। मौके पर निमित्त संस्था की सचिव निकिता सिन्हा द्वारा समारोह के उद्देश्यों को साझा किया गया। उन्होंने कहा कि झारखंड के सुदूर गांवों के ऐसे जोड़े लिव इन रिलेशन में रहने को मजबूर है और अपने समाज से दूर रहकर कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं। जिला प्रशासन एवं निमित्त संस्था द्वारा गत पांच वर्षों से ऐसे जोड़ों को सामाजिक एवं कानूनी मान्यता दिलाने के लिए सामूहिक शादी कराई जा रही है। जिससे ये जोड़े और खासकर महिलाएं और बच्चे शांति और सुरक्षा महसूस कर सकें। साथ ही सामान्य परिवारों की तरह सरकार और समाज की परिवारोन्मुखी सभी योजनाओं और प्रक्रियाओं का लाभ ले सकें। संस्था के इस पहल से हजारों जोड़े खुशीपूर्वक मुख्यधारा में जुड़कर अपनी जिंदगी जी रहे हैं।

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