Lok Sabha Election 2024: खूंटी लोकसभा सीट पर देशभर की नजर, दो मुंडाओं में होगा तगड़ा घमासान; 13 मई को है मतदान
Lok Sabha Election 2024 झारखंड में खूंटी लोकसभा सीट पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। यहां अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा के बीच जबरदस्त टक्कर होने की संभावना है। पिछले चुनाव में अर्जुन मुंडा ने कांग्रेस के कालीचरण मंंडा को कम अंतर से सही लेकिन मात दी थी। खूंटी क्षेत्र में 13 मई को मतदान है। आज से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
चंद्रशेखर, खूंटी। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में खूंटी सीट खास है। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित खूंटी सीट पर एक बार फिर दो मुंडाओं के बीच दिलचस्प मुकाबला तय है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के यहां से चुनाव लड़ने की वजह से देशभर की नजर इस सीट पर है। 2019 के पहले तक यहां से भाजपा के वयोवृद्ध नेता और लोकसभा के पूर्व उपसभापति कड़िया मुंडा चुनाव जीतते रहे थे। वहीं, 2019 में अर्जुन मुंडा यहां से जीते, उन्होंने कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को हराया था, लेकिन जीत का अंतर काफी कम था।
एक बार फिर आमने-सामने दो मुंडा
इस बार फिर अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। ऐसे में यहां का चुनाव काफी दिलचस्प होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा ने कालीचरण मुंडा को कड़े मुकाबले में 1445 वोटों के अंतर से मात दी थी। पिछले चुनाव में भाजपा के अर्जुन मुंडा को 3,82,638 मत मिले थे। वहीं, कालीचरण मुंडा ने 3,81,193 मत हासिल किए थे।
खूंटी में 13 मई को होगा मतदान
बता दें कि खूंटी क्षेत्र में 13 मई को मतदान है। गुरुवार 18 अप्रैल को अधिसूचना जारी होने के साथ ही यहां नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में अर्जुन मुंडा सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा हैं।इस साल फरवरी महीने के आरंभ में पंजाब और हरियाणा की शंभू बार्डर पर किसान आंदोलन शुरू हुआ तो कृषि मंत्री के नाते किसान संगठनों से वार्ता के मोर्चे पर अर्जुन मुंडा आगे रहे। इससे उनकी छवि को राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा आयाम मिला। अब अर्जुन मुंडा के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है।
कड़िया मुंडा आठ बार जीते, तीन बार कांग्रेस को मिली जीत
खूंटी संसदीय सीट पर हुए 15 चुनावों में भाजपा के कड़िया मुंडा यहां से आठ बार चुनाव जीत चुके हैं, जबकि कांग्रेस को तीन बार सफलता मिली है।शुरुआती दौर में यहां से जयपाल सिंह मुंडा ने भी लगातार तीन बार जीत हासिल की थी। वह 1952, 1957 और फिर 1962 में जीते थे, लेकिन कड़िया मुंडा ने इस लोकसभा सीट को भाजपा के अभेद्य किले के रूप में बदल दिया।
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