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अलग झारखंड राज्य जयपाल सिंह मुंडा की देन : नीलकंठ

स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि भाजपा सरकार ने पहले ही मारंग गोमके की जयंती मनाई गई।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 04 Jan 2020 06:22 AM (IST)
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अलग झारखंड राज्य जयपाल सिंह मुंडा की देन : नीलकंठ

खूंटी : स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि भाजपा सरकार ने पहले ही मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के गाव टकरा को आदर्श गाव के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी टकरा के सर्वागीण विकास की बात कही है। मुंडा बुधवार को मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 117वीं जयंती के अवसर पर उनके पैतृक गाव टकरा में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोल रहे थे। नीलकंठ ने कहा आज यदि हमें अलग झारखंड राज्य मिला है, तो इसका सारा श्रेय जयपाल सिंह मुंडा को जाता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने ने ही अलग झारखंड आदोलन की नींव डाली थी। उन्होंने कहा कि जयपाल सिंह अकेले ऐसे अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी थे, जिन्हें 1925 में आक्सफोर्ड ब्लू के सम्मान से नवाजा गया था। उन्होंने कहा कि जयपाल सिंह ने 1928 में पहली बार ओलंपिक में भारत को हॉकी में स्वर्ण पदक दिलाया था। विधायक ने कहा कि स्वस्थ और समृद्ध झारखंड के साथ आदिवासियों के चेहरे पर मुस्कान लाने से ही मारग गोमके के प्रति सच्ची श्रद्धाजलि होगी। भाजपा जिलाध्यक्ष काशीनाथ महतो ने कहा कि विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा जिस समय ग्रामीण विकास मंत्री थे, उस समय पूरे विधानसभा क्षेत्र के विकास का काम किया। उन्होंने कहा कि अब भी विधायक पूरे क्षेत्र के विकास के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा जयंती समारोह आयोजन समिति के अध्यक्ष जॉन कच्छप, सचिव जैतुन कच्छप, दिलीप तिर्की, रूपचंद्र भेंगरा, जयराम पाहन, मार्शल कच्छप, कुलदीप तिर्की, सुमित कच्छप सहित गाव के अन्य लोगों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। संचालन महेंद्र पाहन ने किया।

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समारोहपूर्वक टकरा में मनाई गई जयपाल सिंह मुंडा की जयंती

खूंटी : झारखंड राज्य के स्वप्नद्रष्ट्रा, महान हॉकी खिलाड़ी, शिक्षाविद्, कुशल राजनेता और संविधान सभा के सदस्य रहे मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की 117वीं जयंती शुक्रवार को उनके पैतृक गाव टकरा में शुक्रवार को मनाई गई। सुबह से ही टकरा गाव में उत्सव का माहौल था। आसपास के गांवों के सैकड़ों ग्रामीण टकरा गांव में अपने महान नेता रहे जयपाल सिंह मुंडा को श्रद्धाजलि अर्पित करने पहुंचे थे। पारंपरिक गीत और नृत्य की गूंज से माहौल और उत्सवपूर्ण लग रहा था। पर्यटन, खेलकूद, युवा मामले विभाग और जिला प्रशासन के सौजन्य से गाव में क्रिकेट और फटबॉल की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। क्रिकेट में आठ और फुटबॉल में 36 टीमों ने भाग लिया। गाव में लगे मेले का भी लुत्फ लोगों ने जमकर उठाया। समारोह के मुख्य अतिथि खूंटी के भाजपा विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, भाजपा के जिलाध्यक्ष काशीनाथ महतो, पूर्व विधायक बहादुर उराव, एसटी मोर्चा के जिलाध्यक्ष लीलू पाहन, झामुमो नेत्री डॉ. महुआ माजी, झामुमो के जिलाध्यक्ष जुबैर अहमद, उपाध्यक्ष मकसूद अंसारी, सुनील चौधरी, महिला मोर्चा अध्यक्ष स्नेहलता कंडुलना सहित कई गणमान्य लोगों ने टकरा में उनके समाधिस्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को याद किया। मौके पर मुख्य अतिथि नीलकंठ सिंह मुंडा ने प्रतियोगिता की विजेता और उप विजेता टीमों को पुरस्कार प्रदान कर उनकी हौसलाआफजाई की।

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खूंटी में भी दी गई श्रद्धाजलि

खूंटी बाजारटाड़ पर प्रस्तावित जयपाल सिंह मुंडा चौक पर भी सरना संगोम समिति द्वारा कार्यक्रम का आयोजन कर जयपाल सिंह मुंडा को भावभीनी श्रद्धाजलि दी गई। मौके पर बसंत सुरीन, दुर्गावती ओड़ेया, काग्रेस के पूर्व विधायक काली चरण मुंडा, जिलाध्यक्ष रामकृष्णा चौधरी, बैजनाथ मुंडा, सुशील सागा, पुनित हेमरोम, झारखंड पार्टी के योगेश राम वर्मा, जॉन मार्शल नाग, मानसिंह पाहन, सुबोध हस्सा, सनिका नाग, बीरसिंह हास्सा, सामुएल पूर्ति, रेव याकुब मुंडू सहित कई लोगों ने स्व. जयपाल सिंह को नमन किया।

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झारखंड राज्य आदोलन की नींव रखी

जयपाल सिंह मुंडा असाधारण और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे संविधान सभा के सदस्य के अलावा पाच बार खूंटी के सासद रहे। वे झारखंड की मुंडा जनजाति के थे। मिशनरीज की मदद से वह ऑक्सफोर्ड के सेंट जॉन्स कॉलेज में पढ़ने के लिए गए। वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के टॉपर और गोल्डमेडलिस्ट भी रहे। उनका चयन भारतीय सिविल सेवा 'आईसीएस' में हो गया था। आईसीएस का उनका प्रशिक्षण प्रभावित हुआ, क्योंकि वह 1928 में एम्सटर्डम में ओलंपिक हॉकी में पहला स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान के रूप में नीदरलैंड चले गए थे। वापसी पर उनसे आईसीएस का एक वर्ष का प्रशिक्षण दोबारा पूरा करने को कहा गया, पर उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया। 1938 की आखिरी महीने में जयपाल ने पटना और राची का दौरा किया। इसी दौरे के दौरान आदिवासियों की खराब हालत देखकर उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया। 1938 जनवरी में उन्होंने आदिवासी महासभा की स्थापना की और अलग झारखंड राज्य की माग की। इसके बाद जयपाल सिंह मुंडा देश में आदिवासियों के अधिकारों की आवाज बन गए। उनके जीवन का सबसे बेहतरीन समय तब आया, जब उन्होंने संविधान प्ररूप सभा के सदस्य के रूप में बेहद वाकपटुता से देश के आदिवासियों के बारे में सकारात्मक ढंग से अपनी बात रखी। जयपाल सिंह मुंडा खूंटी से 1952 1957 1962 में झारखंड पार्टी के सासद चुने गए। 1962 में उन्होंने झारखंड पार्टी का काग्रेस में विलय कर दिया और 1967 का लोकसभा चुनाव में उन्होंने काग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी।

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जयंती पर समाधि स्थल का नहीं हुआ रंगरोगन

झारखंड के महान सपूतों तथा शहीदों को सम्मान देने के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेता बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन सच्चाई इसके उलट है। यह नजारा अलग राज्य के स्वप्न द्रष्टा मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के जयंती समारोह में शुक्रवार को उनके पैतृक गाव टकरा गाव में नजर आया। प्रत्येक वर्ष टकरा गाव में मारंग गोमके की जयंती समारोह उल्लासपूर्वक मनाई जाती है। शुक्रवार को भी यह समारोह धूमधाम से मनाया गया। गाव में स्थित जयपाल सिंह के समाधिस्थल को ग्रामीणों ने अपने स्तर से बैलून आदि लगा कर सजावट की थी, लेकिन समाधिस्थल की चारदीवारी वह गेट की रंगाई प्रशासन द्वारा नहीं कराई गई। इससे समाधिस्थल बेरंग नजर आ रहा था। जयंती समारोह को लेकर गाव में उत्सव सा माहौल था। मराग गोमके की याद में मेला भी लगा था। हर और उत्सव सा नजारा था। अगर समाधि स्थल का कायदे से रंगरोगन किया जाता, तो समारोह में चार चाद लग जाता।