हत्यारों ने शीतल को चार और उसकी पत्नी को मारी एक गोली Khunti News
हत्यारों ने घर में प्रवेश करते ही कुर्सी पर बैठे शीतल को लक्ष्य कर गोलियां दागनी शुरू कर दीं। तीन गोली शीतल के पेट में और एक गोली छाती में लगी।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Sun, 20 Oct 2019 12:15 PM (IST)
रांची, जासं। खूंटी सायको थाना क्षेत्र के आड़ा गांव में अज्ञात नकाबपोशों द्वारा कुड़ापूर्ति पंचायत के उप मुखिया शीतल मुंडा व उनकी पत्नी की जिस प्रकार से हत्या की गई है, उससे प्रतीत होता है कि नकाबपोश लूटपाट करने नहीं, उनकी हत्या करने आए थे। हत्यारों ने घर में प्रवेश करते ही कुर्सी पर बैठे शीतल को लक्ष्य कर गोलियां दागनी शुरू कर दीं। तीन गोली शीतल के पेट में और एक गोली छाती में लगी। वहीं, प्रतिरोध करने पर नकाबपोशों ने उनकी पत्नी मादे मुंडाइन को कनपटी में एक गोली मारी। गोलियों की आवाज गांव के ग्रामीणों ने भी सुनी, लेकिन भयवश कोई अपने घर से बाहर नहीं निकला। जब नकाबपोश चले गए, जब शीतल की बेटी पड़ोस के घर में गई और घटना की जानकारी दी।
मृदुभाषी थे शीतल मुंडाग्रामीणों ने बताया कि मृतक शीतल मुंडा मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्ति था। वे गांव के लोगों के हर सुख-दुख में शामिल होते थे। आड़ा सहित आसपास के गांवों में उनकी अच्छी छवि थी। चुनाव पूर्व उनकी हत्या से भाजपा को इस क्षेत्र में तगड़ा झटका लगा है।
अनाथ हो गए तीनों बच्चेमृतक शीतल मुंडा के तीन बच्चे हैं। इनमें एक लड़का व दो लड़कियां हैं। बड़ी लड़की कस्तूरबा विद्यालय, मुरहू में इंटर की छात्रा है और दूसरे नंबर का बेटा कदमा, खूंटी में छात्रावास में रह कर कक्षा सात में पढ़ाई कर रहा है। वहीं, छोटी बेटी 12 वर्षीया बासुकी माता-पिता के साथ रहकर गांव में ही स्थित स्कूल में कक्षा छह में पढ़ती है। माता-पिता का साया सिर से उठ जाने के बाद अब इन बच्चों की परवरिश कैसे होगी, यह बड़ा सवाल है।
परिजनों के विलाप से माहौल हुआ गमगीनशीतल मुंडा व उनकी पत्नी की हत्या की सूचना मिलते ही खूंटी के हुटार में रहने वाली शीतल मुंडा की बड़ी बहन व अन्य परिजन पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। पुलिस की गाड़ी से जब दोनों शव नीचे उतारे गए, तो उन्हें देखकर बड़ी बहन व अन्य परिजन दहाड़ मारकर रोने लगे। परिजनों के विलाप से पूरा माहौल गमगीन हो गया।गांव में की गई अंत्येष्टि
पोस्टमार्टम हाउस से दोनों शवों को परिजन गांव ले गए, जहां उनका मुंडा रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान आड़ा व आसपास के गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में मौजूद थे।
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