पारंपरिक रूप से की गई आषाढ़ी पूजा
सदियों से चली आ रही परंपरा के तहत रविवार को कालेट में सरना धर्मावलंबियों ने अषाढ़ी पूजा की। पूजा में गांव के धनी पाहन की पत्नी शंकरी पहनाई के नेतृत्व में कई महिलाएं शामिल हुईं।
संवाद सूत्र, तोरपा : सदियों से चली आ रही परंपरा के तहत रविवार को कालेट में सरना धर्मावलंबियों ने अषाढ़ी पूजा की। पूजा में गांव के धनी पाहन की पत्नी शंकरी पहनाई के नेतृत्व में कई महिलाएं शामिल हुईं। पारंपरिक परिधान में महिलाएं सिर पर लोटा में पानी भरकर पीपल व इमली के संयुक्त पेड़ के पास पूजा स्थल पर सूर्योदय से पहले पहुंचे। जहां विधिविधान के साथ सरना माता की पूजा की गई। इसके तहत सिदूर, अरवा सूता, अनुष्ठान, जलाभिषेक कर मानसून का स्वागत करते हुए भगवान सिगबोगा से अच्छी बारिश की कामना की गई। इस अवसर पर शंकारी पहनाई ने कहा कि एक स्थान पर पीपल व इमली का संयुक्त पेड़ कोई साधारण पेड़ नहीं है, सैकड़ों साल पुरानी है। विधिविधान से पूजा-अर्चना करने के बाद शुद्ध जल चढ़ाने के बाद क्षेत्र में झमाझम बारिश होती हैं। इसका सकारात्मक प्रभाव धान खेती पर पड़ता हैं। मानसून के साथ-साथ खेती भी अच्छी होती है। पूजा-अनुष्ठान में मुख्य रूप से ओनदाय गुड़िया, खुशबू धान, पालो पहनाई, एतवारी पहनाई, देवगी गुडिया, बीजी गुडिया, बसंती गुडिया, बुदा मुंडा, निकोदिम पाहन, मसीह गुड़िया, बुधराम गुडिया, सुमित गुडिया सहित कई लोगों का सहयोग रहा।
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