Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज की डेट नजदीक, पूजा के समय किन-किन बातों का रखना है ध्यान? पढ़ें आचार्य का सुझाव
हरतालिका तीज 2024 की तिथि महत्व और पूजा विधि के बारे में जानें। यह व्रत अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस व्रत की कथा सुनने से देवी पार्वती के त्याग धैर्य और एकनिष्ठ पतिव्रत की भावना का पता चलता है।
संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा)। चतुर्थी तिथि से युक्त तृतीया हरतालिका तीज व्रत वैधव्य दोष नाशक और पुत्र-पौत्रादि की वृद्धि करने वाला है।
शास्त्रानुसार द्वितीया युक्त तृतीया व्रत के लिए उपयुक्त नहीं होता। इसे प्रत्यवाय दोष कहा है। अत: अखंड सौभाग्य एवं पति के लंबी आयु की कामना से किया जाने वाला हरितालिका तीज व्रत 6 सितंबर को किया जाएगा।
मां तारा ज्योतिष संस्थान के आचार्य अनिल मिश्रा ने कहा कि यह व्रत पति की लंबी आयु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय होने के कारण संध्या काल में खुले में पूजन न करें, क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित माना गया है। इस दिन चंद्रमा दर्शन करने से कलंक दोष लगता है। गणपति की स्थापना उदया तिथि के अनुसार 7 सितंबर को होगा।
व्रत को करने से देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त किया
हरितालिका तीज व्रत कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर प्राप्ति की कामना से करती हैं। उन्होंने कहा कि पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त किया था। इस व्रत में महिलाएं अन्न-जल ग्रहण किए बिना निर्जला उपवास रखती हैं।
बालू का शिवलिंग निर्माण कर माता पार्वती संग भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के साथ मां पार्वती की कथा भी सुनती हैं। इसमें देवी पार्वती के त्याग, धैर्य एवं एकनिष्ठ पतिव्रत की भावना को जानकर उनका मन विभोर हो उठता है। यह व्रत वैधव्य दोष नाशक है तथा सभी सौभाग्यवती स्त्रियों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
व्रत के दिन महिलाएं प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन स्थल पर जाकर शिव के साथ माता पार्वती, गणेश नंदी सहित परिवार की प्रतिमा बनाकर स्थापित करें। दूध, गंगाजल चढ़ाएं। बिल्वपत्र भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। बिल्वपत्र अर्पण करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
उसके बाद गंध अक्षत पुष्प पत्र धूप दीप नैवेद्य आदि से विधिवत पूजन करें। हरितालिका तीज व्रत की कथा सुने और आरती करें।