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देश को एकता के सूत्र में पिरोने का मध्यम बने हिदी

संवाद सहयोगी झुमरीतिलैया (कोडरमा) भारत विविधताओं में एकता वाला देश है। यहां हर राज्य

By JagranEdited By: Updated: Mon, 13 Sep 2021 07:42 PM (IST)
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देश को एकता के सूत्र में पिरोने का मध्यम बने हिदी

संवाद सहयोगी, झुमरीतिलैया (कोडरमा): भारत विविधताओं में एकता वाला देश है। यहां हर राज्य की अपनी अलग सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक पहचान है। यही नहीं, सभी जगह की बोली भी अलग है। इसके बावजूद हिन्दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। यही वजह है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था। लेकिन आज इतने वर्षो के बाद भी हिदी को स्वीकार्यता राष्ट्रभाषा के रूप में पूरे देश में नहीं है। हिदी दिवस पर प्रस्तुत है हिदी के विद्वानों व बुद्धिजीवियों की राय।

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हिदी राजभाषा भी है और जनभाषा भी है। महर्षि दयानंद ने कहा था कि हिदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। इसकी प्रासंगिकता आज भी है। बावजूद इसके आज भी केंद्र व राज्य सरकार के कई कार्यालयों में संचिका अंग्रेजी में ही लिखी जाती है और कई अधिसूचनाएं भी अंग्रेजी में जारी की जाती है। जिससे आम आदमी को दिक्कत होती है। हालांकि बैंक, डाकघर इत्यादि में हिदी का प्रचलन बढ़ा है, लेकिन कई प्रपत्र आज भी अंग्रेजी में होते हैं, जिसे भरने के लिए अधिकतर लोगों को दूसरों की सहायता लेनी पड़ती है। इसमें सुधार की आवश्यकता है।

-प्रो. बीएनपी वर्णवाल, अध्यक्ष, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन।

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हिन्दी भारत की मुख्य भाषा है लेकिन आज की वर्तमान परिस्थिति में कुछ लोग इस भाषा को अपनाने में कतराते हैं, क्योंकि अंग्रेजी बोलना-पढ़ना अपने आप को उन्नत और प्रगतिशील दिखाने का जरिया बन गया है। यही कारण है कि आज के अभिभावक अपने बच्चों को बचपन से हिन्दी की अपेक्षा अंग्रेजी पढ़ाना ज्यादा पसंद करते है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र व राज्य सरकार भी अपने सरकारी आदेशों में अंग्रेजी भाषा का उपयोग कर हिन्दी को कमजोर कर रही है। सरकार को हिन्दी दिवस के अवसर पर निर्देश जारी करनी चाहिए कि बच्चों को प्रारंभ में एक सीमित अवधि तक हिन्दी की शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जाय ताकि देश का हरेक नागरिक हिन्दी भाषा से पूरी तरह परिपूर्ण हो।

-अजीत चौरसिया, शाखा प्रबंधक, बीओआई हीरोडीह।

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स्वतंत्रता आंदोलन में देश के हिदी साहित्यकारों ने अपनी लेखनी से पूरे आंदोलन को धारदार बनाया, आजादी के लिए वो अपनी आहुति देने को तत्पर रहते थे, लेकिन वही हिदी भाषा आज अपने ही घर के एक कोने में उपेक्षित हैं। जरूरत है कि अपनी मातृभाषा से हम प्रेम करें न कि हीन भावना से ग्रसित रहें। हिदी दिवस पर आज यह संकल्प लेने की जरूरत है कि देश की एकता के लिए और आम आदमी की सहूलियत के लिए अपनी प्यारी भाषा को बढ़ावा दें। हिदी के वर्णों, शब्दों, अलंकारों और छंद के भावों का श्रृंगार लिए मनमोहनी भाषा अपने आप में अद्वितीय है।

-प्रो. रिमझिम रुखरियार, जेजे कॉलेज।

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हमारी राष्ट्रीय भाषा हिदी को और अधिक बढ़ावा देने तथा इसे जन-जन तक पहुचाना है। अंग्रेजी भाषा या कोई अन्य भाषा सीखना गलत नहीं है, लेकिन अपनी राष्ट्रभाषा का अपमान नहीं होना चाहिए क्योंकि देश की आत्मा हिदी भाषा में बसती है। देश में जिस प्रकार से अंग्रेजी भाषा के प्रति झुकाव बढ़ रहा है। कहीं हमारी आने वाली पीढ़ी की जुबान से हिदी विलुप्त ना हो जाए। हमसभी को अपने आने वाली पीढ़ी को हिदी की महत्ता बताकर इसके प्रति जागरूक कर उनसे भाषा को आत्मसात करवाने की जरूरत है। हिदी दिवस के इस पर्व को गर्व के साथ मनाते हुए इस अनमोल उपहार के लिए देश के हिदी साहित्यकारों को नमन करते हैं।

सागर वर्मा, शिक्षक, द एजुकेशन सेंटर, झुमरीतिलैया।

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