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नसबंदी महिलाओं की, प्रोत्साहन राशि पुरुषों के खाते में; कोडरमा में जननी सुरक्षा योजना में बड़ा गड़बड़झाला!

Janani Suraksha Yojana कोडरमा में स्वास्थ्य मिशन के जननी सुरक्षा योजना के तहत महिलाओं की दी जाने वाली सहायता राशि में बड़ा घपला हुआ है। जांच के बाद इसकी परतें अब खुल रही है। मिली जानकारी के अनुसार घोटाले का मास्टरमाइंड स्वास्थ्य विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करने वाला संबलडीह निवासी बीटीटी दिनेश चौधरी है। फिलहाल मामले की जांच जारी है।

By Anup Kumar Sinha Edited By: Shashank Shekhar Updated: Sun, 21 Jul 2024 09:21 PM (IST)
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जननी सुरक्षा योजना में घोटाला! प्रतीकात्मक तस्वीर
अनूप कुमार, कोडरमा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जननी सुरक्षा योजना के तहत सुरक्षित मातृत्व लाभ के लिए महिलाओं की दी जाने वाली सरकारी सहायता राशि के गबन की अब परतें खुल रही है।

घोटाले का मास्टरमाइंड सतगावां के संबलडीह निवासी बीटीटी दिनेश चौधरी है, जो स्वास्थ्य विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर का भी काम करता है।

यह शख्स जननी सुरक्षा योजना के तहत महिलाओं की दो जाने वाली मातृत्व लाभ की राशि अपने, अपनी पत्नी, पुत्र व अन्य रिश्तेदारों के खाते में डालकर लाखों का गबन कर लिया।

इतना ही नहीं, महिलाओं को नसबंदी के बाद दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि के भी लाखों रुपये अपने, अपने पुत्र अतुल चौधरी व परिवार के अन्य सदस्यों के खाते में एसएनए (सिंगल नोडल एकाउंट) ई-जोहार पोर्टल के माध्यम से ट्रांसफर ले रहा था।

जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में करीब 1024 लाभुकों को 1400 रुपये प्रति लाभुक के हिसाब से 14,33,600 रुपये का भुगतान किया गया है। इसमें से करीब 5 से 7 लाख रुपये दिनेश चौधरी ने अपने, अपने पुत्र अतुल चौधरी व अन्य रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर कर दिए।

वर्ष 2023-24 में 176 महिला लाभुकों को प्रति लाभुक 2000 रुपये की दर से इनके खाते में कुल 352000 रुपये का भुगतान किया गया था।

कैसे हुआ घपला

दरअसल, 2022 तक जननी सुरक्षा की राशि पीएफएमएस (पब्लिक फिनांसियल मैनेजमेंट सिस्टम) पोर्टल के माध्यम से बैंक के मार्फत लाभुकों के खाते में भेजी जाती थी। कुछ दिनों तक आरटीजीएस के माध्यम से भी भुगतान किया गया।

बाद में एसएनए (सिंगल नोडल एकाउंट) ई-जोहार पोर्टल के माध्यम से इसका भुगतान किया जाने लगा। भुगतान की जिम्मेदारी वैसे एनआरएचएम के ब्लाक एकाउंट मैनेजर की होती है, जिसके प्रभार में जिला स्थापना के कर्मचारी अजीत कुमार थे।

अजीत कुमार के अनुसार, उन्हें कंप्यूटर की कोई जानकारी नहीं है। सारा काम दिनेश चौधरी उनके लॉगिन में कर ओटीपी मोबाइल पर भेजता था। फिर यह चेक के लिए चिकित्सा प्रभारी के लागिन में जाता था, लेकिन दोनों ही इस मामले में चौधरी पर अंधा विश्वास करते थे। इसलिए, बिना जांच के लिए अपना लॉगिन छोड़ देते थे।

ऐसे में अब घोटाले की लपट इन दोनों तक भी पहुंच रही है। बीटीटी दिनेश चौधरी का मूल काम सहियाओं को ट्रेनिंग देना है लेकिन अधिकारियों की कृपा से वह कंप्यूटर आपरेटर का काम करता था।

गांवा में भी किया था 18 लाख का गबन

गत माह सतगावां प्रखंड से सटे गिरिडीह जिला के गांवा प्रखंड में वेंडर पेमेंट के तहत करीब 18.5 लाख का भुगतान दिनेश चौधरी अपने व अपने रिश्तेदारों के खाते में ट्रांसफर ले लिया था। यह भुगतान दवा खरीद, पेट्रोल सहित अन्य खर्च का था।

ऑडिट में इस मामले का खुलासा के बाद दिनेश चौधरी से राशि की रिकवरी करा ली गई। दिनेश चौधरी और उसका पुत्र अतुल चौधरी सतगावां के गांवा जाकर वहां के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को ई-जोहार पोर्टल के माध्यम से से भुगतान में मदद करता था।

यहां मामला खुलने के बाद जिले के अधिकारियों को शक हुआ तो सतगावां में जननी सुरक्षा समेत अन्य योजनाओं की भुगतान की जांच की गई तो एक ही नाम के खातों में 10-15 बार राशि भुगतान का मामला पाया गया।

इसमें अधिकतर खाते दिनेश चौधरी व उनके रिश्तेदारों के नाम के थे। बहरहाल उपायुक्त कोडरमा के स्तर से मामले की जांच का जिम्मा डीडीसी ऋतुराज के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी को सौंपी गई है।

दस वर्षों से पदस्थापित है दिनेश

बीटीटी दिनेश चौधरी सतगावां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 10-12 वर्षों से पदस्थापित है। वैसे तो गबन का सारा इलजाम दिनेश चौधरी पर मढ़कर राशि के रिकवरी की तैयारी की जा रही है।

सतगावां के चिकित्सा पदाधिकारी सत्यनारायण के अनुसार, गबन प्रारंभिक जांच में गबन 6 से 8 लाख का लग रहा है, लेकिन जांच के बाद सही राशि का पता चलेगा।

इधर, जानकारी यह भी मिल रही है कि इसी तरह एनएचएम की राशि का घोटाला जिले के मरकच्चो एवं दूसरे प्रखंडों में भी है।

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