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चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं बन पाए तो शुरू किया अपना स्टार्टअप

बीकाम की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोडरमा जिल

By JagranEdited By: Updated: Wed, 05 Jan 2022 06:13 PM (IST)
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चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं बन पाए तो शुरू किया अपना स्टार्टअप

रणजीत कुमार भारती,

जयनगर (कोडरमा):

बीकाम की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोडरमा जिले के अनंतडीह के युवा किसान राहुल पंडित की इच्छा चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने की थी। तीन वर्ष तक इसकी पढ़ाई भी की, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए तो अपना स्टार्टअप शुरू करने की ठानी। आज राहुल अपने गांव में मशरूम की खेती कर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है, बल्कि कई युवाओं को रोजगार से भी जोड़ा है। राहुल ने 2010 में पत्थलडीहा उच्च विद्यालय से मैट्रिक की पढ़ाई की तथा जगन्नाथ जैन कालेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। जब उन्हें लगा अब वे आर्थिक तंगी के कारण आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाएंगे तो उन्होंने वर्ष 2017 में कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर से जुड़े और वहां ट्रेनिग ली। ट्रेनिग लेने के बाद उन्होंने अपने घर पर ही मशरूम की खेती करनाी शुरू की। आज वे प्रतिदिन 40 से 50 किलोग्राम मशरूम उगा कर अपने सूखे जीवन में हरियाली ले आए हैं। इतना ही नहीं, राहुल पंडित ने बताया कि वे कोडरमा जिले के झुमरीतिलैया कोरियाडीह चौक (आश्रम रोड) पर भी मशरूम की खेती करवा रहे हैं। यहां भी प्रतिदिन 50 किलोग्राम मशरूम की खेती की जा रही है। इसके अलावा कांको में भी प्रतिदिन 60 किलोग्राम मशरूम की खेती की जा रही है। साथ ही साथ डोमचांच प्रखंड के गोलवाढाब, नवलशाही तथा जयनगर प्रखंड के पेठियाबागी और नईटांड में भी उनकी प्रेरणा से कई युवा मशरूम की खेती कर रहे हैं। राहुल पंडित ने बताया कि कोडरमा जिले में मशरूम की खेती के बहुत ही बेहतर स्कोप है और जितना उत्पादन होता है उतना प्रतिदिन बिक भी जाता है। उन्होंने कहा कि आज भी थोड़ी उन्हें पूंजी की समस्या हो रही है अगर बैंक के माध्यम से उन्हें बड़ा पूंजी प्राप्त हो जाए तो निश्चित तौर पर कोडरमा जिला में मशरूम की खेती एक बड़ी पहचान बन सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि यहां मशरूम की खेती के लिए गुणवत्तापूर्ण खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। वे खुद से खाद बना रहे हैं और मशरूम की खेती कर रहे हैं। राहुल ने बताया कि आनेवाले दिनों में उनका प्रयास खेती का दायरा बढ़ाकर अपने साथ-साथ दर्जनों लोगों को रोजगार से जोड़ना है।

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से मिली सीख

जयनगर: राहुल पंडित ने बताया कि वर्ष 2017 में किसानों के साथ कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर में ट्रेनिग लेने गए थे। तभी से उनके मन में कुछ करने की लालसा जगी और कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डा. चंचिला कुमारी से मिले। डा चंचिला कुमारी ने उन्हें मशरूम की खेती करने की सलाह दी और तकनीकी ज्ञान भी दिया। तब से वे पूरी लगन के साथ मशरूम की खेती शुरू कर दिए। उन्होंने बताया कि आज वे छह टन की क्षमता का फार्म बनाए हैं जहां मशरूम की खेती कर रहे हैं। फिलहाल 35 से 40 हजार रुपये महीने की आमदनी कर रहे हैं।

क्या कहती हैं विशेषज्ञ

मशरूम की खेती वर्ष भर अपनाकर किसान अपनी आमदनी दुगनी कर सकते हैं। मशरूम की खेती एक ऐसी खेती है जिसमें किसी प्रकार की भूमि की आवश्यकता नहीं होती है। कोडरमा जिले में अभी ओयसटर मशरूम, बटन मशरूम की खेती की जा रही है, जिससे किसान लाभान्वित हो रहे हैं। मशरूम की खेती एक ऐसी खेती है जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

डा. चंचिला कुमारी, प्रभारी, कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर।

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