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अटल जी ने कोडरमा में रखी थीं तीन रेल परियोजनाओं की नींव

अनूप/अरविद कोडरमा उत्तरी छोटानागपुर के प्रमंडलीय मुख्यालय हजारीबाग को रेलवे लाइन

By JagranEdited By: Updated: Wed, 23 Dec 2020 07:16 PM (IST)
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अटल जी ने कोडरमा में रखी थीं तीन रेल परियोजनाओं की नींव

अनूप/अरविद, कोडरमा : उत्तरी छोटानागपुर के प्रमंडलीय मुख्यालय हजारीबाग को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग आजादी के बाद से ही चली आ रही थी, लेकिन इसके साकार होने में साढ़े छह दशक लग गए। 6 मार्च 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कोडरमा के यदुटांड़ में इसकी नींव रखी थी। हजारीबाग के साथ-साथ कोडरमा के लिए भी यह ऐतिहासिक दिन था। इसी दिन कोडरमा-गिरिडीह, कोडरमा-रांची भाया हजारीबाग व कोडरमा-तिलैया (नवादा) रेल परियोजनाओं की आधारशिला प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी। जंगल व नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रेल परियोजनाओं का निर्माण किसी चुनौती से कम नहीं था। जिसे बाद की सरकारों के कार्यकाल में पूरा किया गया। इस दौरान परियोजना से जुड़े लोगों को भारी नक्सल समस्या से भी जूझना पड़ा। अंतत: 2016 के बाद इन नवनिर्मित रेलवे लाइनों पर रेल परिचालन धीरे-धीरे शुरू हुआ। कोडरमा-हजारीबाग व कोडरमा-गिरिडीह रेल परियोजनाओं के अस्तित्व में आने में करीब डेढ़ दशक लग गए। कोडरमा-तिलैया रेल परियोजनाओं पर काम अभी 90 फीसद ही पूरा हो पाया है। इस परियोजना के अस्तित्व में आने में अभी भी करीब एक वर्ष लगेंगे। बहरहाल इन रेल परियोजनाओं के शुरू होने से कोडरमा भारतीय रेलवे के मानचित्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है। कोडरमा-तिलैया रेल परियोजना पर परिचालन शुरू होने के बाद यहां से पांच रूटों के लिए ट्रेनें आनेवाले दिनों में चलेंगी। फिलहाल चार रूटों पर यहां से ट्रेनें चल रही हैं। हजारीबाग के बानादाह रेलवे साइडिग के शुरू होने के बाद हजारीबाग-कोडरमा लाइन कोयला ढुलाई का भी बड़ा माध्यम बन चुका है। तीनों रेल परियोजनाएं विकास के ²ष्टिकोण से जितना कारगर साबित हो रही है, पर्यटन विकास के लिहाज से भी उतना ही महत्वपूर्ण। जंगलों नदियों एवं पहाड़ों के बीच से गुजरी कोडरमा-रांची लाइन में तीन सुरंग काफी आकर्षक तैयार हो रहे हैं। इसकी लंबाई करीब डेढ़ किलोमीटर है। कोडरमा-रांची व कोडरमा-तिलैया लाइन मनोहारी ²श्यों से भरपूर है, जो आनेवाले दिनों में पर्यटन विकास का बड़ा माध्यम बनेगा। कोडरमा गिरिडीह लाइन पत्थर ढुलाई के लिए काफी कारगर साबित होगा। यह लाइन मधुपुर मेल लाइन से जुड़ गई है। इस तरह पूर्व मध्य रेलवे में यह परियोजना तीसरा विकल्प के रूप में तैयार हो चुका है। रेलवे लाइनों के विस्तार के साथ ही कोडरमा एक बड़ा जंक्शन के रूप में स्थापित हो चुका है। आनेवाले दिनों में यहां रेलवे की कई परियोजनाएं शुरू होगी जिसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। बनेगा मल्टी माडल लाजिस्टिक पार्क

मालवाहक ट्रेनों के निर्बाध परिचालन और समय पर गंतव्य स्थानों तक माल की आपूर्ति के लिए पश्चिम बंगाल के डानकुनी से पंजाब के लुधियाना तक निर्माण कराए जा रहे डीएफसी (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) के अंतर्गत कोडरमा में मल्टी माडल लाजिस्टिक पार्क बनाया जाएगा। यह मल्टी माडल लाजिस्टिक पार्क (एमएमएलपी) पूरे देश में प्रस्तावित पांच एमएमएलपी में एक होगा, जहां रेल नेटवर्क को दूसरे एमएमएलपी के साथ-साथ देश के बड़े बंदरगाहों से भी जोड़ा जाएगा।

इस तरह एक बड़ी लाजिस्टिक व्यवस्था कायम की जाएगी। इससे कोडरमा पूरे देश में रेल परिवहन का बड़ा केंद्र बनेगा। एमएमएलपी के लिए कोडरमा का चयन बिहार-झारखंड में सर्वाधिक बेहतर रेल नेटवर्क वाले स्टेशन को देखते हुए किया गया है। कोडरमा स्टेशन से करीब पांच किलोमीटर पश्चिम कोडरमा व गझंडी के बीच प्रस्तावित इंडस्ट्रियल एरिया की 400 एकड़ जमीन में इसे स्थापित किया जाएगा।

कोडरमा से जुड़ी रेल परियोजनाएं एक नजर में:::::

परियाजना का नाम लंबाई वर्तमान लागत 1. कोडरमा-रांची भाया हजारीबाग: 202 किमी., 3031 करोड़

2. कोडरमा-गिरिडीह 111 किमी 928 करोड़ 3. कोडरमा-तिलैया 65 किमी 1624 करोड़

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