Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

ताकत वतन की हमसे है..

ताकत वतन की हमसे है.. हिम्मत वतन की हमसे है..। देश की स्वाधीनत

By JagranEdited By: Updated: Fri, 21 Jan 2022 07:03 PM (IST)
Hero Image
ताकत वतन की हमसे है..

अनूप कुमार, कोडरमा : ताकत वतन की हमसे है.. हिम्मत वतन की हमसे है..। देश की स्वाधीनता के 15 वर्षों बाद ही पड़ोसी देश चीन के साथ 1962 में हुए युद्ध में मिली शिकस्त के बाद ही तत्कालीन रक्षामंत्री वीके कृष्ण मेनन ने यह महसूस किया कि देश को सैन्य सेवाओं के लिए जांबाज अधिकारी तैयार करने के लिए एक ऐसे शिक्षण संस्थान की जरूरत है, जहां से पढ़ाई कर छात्र शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से कुशल सैन्य अधिकारी बन सकें। वीके कृष्ण मेनन ने अपनी इस परिकल्पना को तत्कालीन प्रधनमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समक्ष रखा। इसके बाद पंडित नेहरू की स्वीकृति मिलने पर 16 सितंबर 1963 को देश के पहले सैनिक स्कूल की स्थापना झारखंड के कोडरमा जिले के तिलैया डैम में हुई। बाद में देश के अलग-अलग स्कूलों में 18 सैनिक स्कूल खुले। अपने नाम के अनुसार ही सैनिक स्कूल पिछले आठ दशकों से देश की रक्षा सेवाओं के लिए योग्य अधिकारी तैयार कर रहा है। यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अनुशासन, खेलकूद, धैर्य, वीरता और पराक्रम का प्रशिक्षण मिलता है।

पिछले स्कूल से निकले हजारों पूर्व छात्र विभिन्न रक्षा सेवाओं में योगदान देकर देश की सेवा में लगे हैं। विभिन्न सैन्य अभियानों में अपने अदम्य साहस का परिचय देकर स्कूल के करीब डेढ़ दर्जन छात्र वीरगति को प्राप्त हुए। स्कूल के मुख्य स्थल पर बने शहीद स्मारक में विभिन्न सैन्य अभियानों में वीरगति को प्राप्त हुए पूर्व छात्रों का नाम अंकित है। स्कूल के आदर्श वाक्य 'अग्रे सरत सर्वदा' को आत्मसात करते हुए सैनिक स्कूल से निकले छात्र केवल सेना ही नहीं, भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा, न्यायिक सेवा, फिल्म निर्माण, राजनीति, खेलकूद सहित हर क्षेत्र में आगे बढ़कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। आज भारतीय सेना के लिए एक बड़ी नर्सरी बना है सैनिक स्कूल। सैनिक स्कूल की इस सफलता को देखते हुए पिछले दिनों देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देशभर में 100 नए सैनिक स्कूल खोलने की घोषणा की है। आजादी के अमृत वर्ष में सरकार के इस कदम से देश रक्षा के क्षेत्र में निश्चित रूप नए मिसाल स्थापित करेगा।

लड़कियों के प्रवेश के लिए खुला स्कूल का द्वार

रक्षामंत्रालय के आदेश पर वर्ष 2021 से सैनिक स्कूलों में 10 फीसद सीट लड़कियों के लिए आरक्षित की गई है। इसी वर्ष से सैनिक स्कूल में लड़कियों का नामांकन शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि आनेवाले दिनों में सरकार का यह निर्णय नारी सशक्तीकरण के लिए अहम होगा। अब सैन्य सेवाओं के लिए यहां से महिला अधिकारी तैयार होंगी।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें