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Lohardaga Crime : इंसास राइफल के निशाने पर थीं 14 जिंदगियां, 11 घंटे बाद आरोपी जवान को काबू कर पाई पुलिस

लोहरदगा में एएसआइ को गोली मारकर हत्या करने और फिर फायरिंग करने के आरोपित जवान को पकड़ने में पुलिस और सीआरपीएफ को ग्यारह घंटे लग गए। बताया जा रहा है कि आरोपी जवान काफी अच्छा शूटर है। वह एसपी का बॉडीगार्ड भी रह चुका है। यही वजह है कि उसे काबू करने के दौरान एसपी और पुलिस-सीआरपीएफ के जवान कई बार बाल-बाल बचे।

By Vikram Chouhan Edited By: Yogesh Sahu Updated: Thu, 06 Jun 2024 07:55 PM (IST)
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Lohardaga Crime: इंसास रायफल के निशाने पर थीं 14 जिंदगियां, 11 घंटे बाद आरोपी जवान को काबू कर पाई पुलिस

विक्रम चौहान, लोहरदगा। एक अच्छा निशानेबाज, एसपी का बॉडीगार्ड रह चुका जिला पुलिस बल का जवान आनंद सिंह मुंडा रात भर पुलिस और सीआरपीएफ को नचाता रहा।

पुलिस और सीआरपीएफ के लिए आनंद सिंह मुंडा को पकड़ना आसान नहीं था। आनंद सिंह पुलिस की सर्विस इंसास राइफल और 100 गोली के साथ अपने घर के कमरे में बैठकर पुलिस और सीआरपीएफ को निशाने पर लिए हुए था।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां पर सवाल सिर्फ एक व्यक्ति की जान का नहीं था, बल्कि यहां सवाल उस बिल्डिंग में मौजूद 14 जिंदगियों का था। नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष बलराम कुमार के इस घर में कुल तीन किराएदार रहते हैं। इनमें से एक सीसीआर में प्रतिनियुक्त पुलिस का जवान आरोपित आनंद सिंह मुंडा है।

दूसरे लोहरदगा कोर्ट में प्रतिनियुक्त सहायक अवर निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह और तीसरा पुलिस का जवान सुबोध कुमार शामिल है। इस मकान में आनंद सिंह मुंडा अकेले ही रह रहा था।

वह पिछले कई सालों से यहां पर था। गर्मियों की छुट्टी में आनंद की पत्नी सरबला अपने दो बच्चों के साथ यहां आई हुई थी। जबकि सुबोध अपने परिवार के साथ रहते थे।

वहीं, धर्मेंद्र सिंह अकेले रहते थे। जब यह घटना हुई तो आनंद ने सबसे पहले सहायक अवर निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह को गोली मार दी। उसके बाद उस मकान में 14 लोग फंस गए।

इन्हें निकालना पुलिस के लिए प्राथमिकता थी। यह करने में पुलिस को आठ घंटे का समय लग गया। गोली कांड की घटना बुधवार की रात लगभग 8:30 बजे हुई थी।

जबकि, उस बिल्डिंग में फंसे हुए 14 लोगों को गुरुवार की सुबह 4.30 बजे सुरक्षित निकाला गया। इसके बाद आरोपित जवान से आत्मसमर्पण कराने और उसे पकड़ने में पुलिस और सीआरपीएफ को 11 घंटे का समय लग गया।

कई बार आनंद सिंह के इंसास राइफल के निशाने पर एसपी हारिस बिन जमां, सीआरपीएफ के कमांडेंट राहुल कुमार भी रहे। इस दौरान रात भर पुलिस और सीआरपीएफ की टीम पुलिस जवान का आत्मसमर्पण करने को लेकर परेशान रही।

कई बार आरोपित जवान को उसकी पत्नी से भी बात कराई गई। घंटों की मशक्कत, लोहरदगा एसपी के धैर्य और बेहतर रणनीति की वजह से पुलिस ने बिना एक भी गोली चलाए आरोपित जवान को पकड़ लिया।

चुनाव ड्यूटी से वापस लौटने के बाद हथियार जमा नहीं करने के मामले में कई अधिकारी, पुलिसकर्मियों पर गाज गिरेगी। एसपी हारिस बिन जमां ने स्पष्ट किया है कि लापरवाह और दोषी किसी भी हाल में नहीं बख्शे जाएंगे।

ऑपरेशन के दौरान पांच स्टन ग्रेनेड, पांच टीयर गैस और तीन-चार राउंड रबर बुलेट हवाई फायर किए गए

आरोपित जिला पुलिस बल के जवान ने अपने इंसास राइफल से सिर्फ एक गोली चलाई थी। इसी गोली से सहायक अवर निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह की मौत हुई।

जबकि, पुलिस ने आरोपित जवान को पकड़ने को लेकर पांच स्टन ग्रेनेड, पांच टियर गैस और तीन-चार राउंड रबर बुलेट भी हवाई फायर किए थे। स्टन ग्रेनेड का इस्तेमाल तेज धमाका और तेज रोशनी करते हुए सामने वाले को दिमागी रूप से कब्जे में लेने के लिए किया जाता है।

यह एक ऐसा धमाका होता है, जिसकी वजह से संबंधित व्यक्ति की इंद्रियां एक प्रकार से काम करना बंद कर देती हैं। इसके अलावा पुलिस ने टियर गैस भी छोड़े थे। टियर गैस से आंखों में तेज जलन होती है।

इसके बावजूद आरोपित जवान हथियार लेकर अपने कमरे में टहलता रहा। यही नहीं आरोपित जवान को डराने के लिए तीन-चार राउंड रबर बुलेट भी फायर किए गए थे।

एसपी और आरोपित जवान की पत्नी माइक से लगातार आरोपित जवान से सरेंडर करने को कह रहे थे, फिर भी वह सरेंडर करने को तैयार नहीं था।

पत्नी और बच्चों को घर से बाहर निकलने से रोक रहा था जवान

इस पूरी घटना के बारे में दैनिक जागरण ने आरोपित जवान आनंद सिंह मुंडा की पत्नी सरबला से बात की थी। सरबला ने पूरे घटनाक्रम को लेकर बताया कि आनंद सिंह मुंडा कई बार मानसिक रूप से बीमार हो जाता था। उसका इलाज भी कराया गया था।

फिलहाल वह दुमका, बोकारो, गिरिडीह और लोहरदगा में चुनाव की ड्यूटी करके लौटा था। आनंद सिंह मुंडा हथियार जमा करने के लिए भी गया हुआ था, परंतु उसका हथियार जमा नहीं किया गया। इसके बाद वह हथियार और गोली लेकर घर आ गया था।

घर आने के बाद से ही वह अजीब-अजीब हरकत कर रहा था। उसकी पत्नी ने बताया कि उन्होंने सुबह में ही आस-पड़ोस के लोगों से कहा था कि उनके पति की तबीयत ठीक नहीं है। उन्हें किसी डॉक्टर से दिखा दें। इसके बाद जैसे-जैसे शाम होने लगी, उनके पति की तबीयत और भी खराब हो रही थी।

वह अजीब हरकत कर रहे थे। उन्होंने बच्चों को और उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दिया। साथ ही अपनी राइफल भी लोड करके बैठे हुए थे। इसके बाद सरबला ने इस बिल्डिंग में रहने वाले पुलिसकर्मी सुबोध और सहायक अवर निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह से मदद मांगी।

सुबोध के अलावा सहायक अवर निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह और दो-तीन अन्य पुलिस के जवान आनंद सिंह मुंडा के घर गए। उन्होंने आनंद सिंह मुंडा की पत्नी और बच्चों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाला।

इसके बाद धर्मेंद्र सिंह ने प्रयास किया कि वह आनंद सिंह मुंडा को समझा-बुझाकर उससे हथियार ले लेंगे और उसे बाहर ले आएंगे, जैसे ही वह आनंद सिंह मुंडा के कमरे के बाहर गलियारे में पहुंचे, वैसे ही कमरे में बैठे हुए आनंद सिंह ने फायर कर दिया। इससे धर्मेंद्र वहीं पर ढेर हो गए।

इसके बाद पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया था। सूचना मिलते ही पुलिस की टीम हरकत में आ गई थी। आनंद सिंह मुंडा की पत्नी अपने छोटे से बच्चे को गोद में लिए हुए रात भर घटनास्थल पर मौजूद रही।

वह बार-बार अपने पति से बात कर उसे सरेंडर करने के लिए कह रही थी। परंतु आनंद सिंह मुंडा अपनी पत्नी से भी बात करने को तैयार नहीं था। वह सिर्फ अपनी बेटी को बुलाने के लिए कह रहा था।

किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटते थे धर्मेंद्र

धर्मेंद्र काफी बहादुर पुलिसकर्मी थे। उनके साथी पुलिसकर्मी कहते हैं कि धर्मेंद्र हमेशा ही किसी भी परिस्थिति में पहले मोर्चे पर रहना पसंद करते थे।

वह कहते थे कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, वह कभी पीछे नहीं हटेंगे। ड्यूटी के दौरान कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जहां पर विधि-व्यवस्था संभालने की अहम जिम्मेदारी थी।

वहां पर भी धर्मेंद्र ने हमेशा आगे रहकर अपनी ड्यूटी निभाई। धर्मेंद्र वर्ष 2016 में लोहरदगा के कुडू थाना में सिपाही के पद पर स्थानांतरित होकर आए थे।

उसके बाद वर्ष 2018 में उनकी सहायक अवर निरीक्षक के पद पर प्रोन्नति हुई थी। इसके बाद वर्ष 2021 में उनका कैरो थाना में स्थानांतरण हो गया था।

जहां से वर्ष 2023 में लोहरदगा व्यवहार न्यायालय में उनका स्थानांतरण हुआ था। फिलहाल वह यहीं पर ड्यूटी कर रहे थे। धमेंद्र को धार्मिक आयोजनों में भी हमेशा शामिल होना पसंद था।

वह शिवरात्रि के मौके पर झांकी में भगवान शिव का रूप धरा करते थे। धर्मेंद्र सिंह के दो बच्चे हैं। इस घटना को लेकर धर्मेंद्र सिंह के स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

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