राजनीतिक गलियारे में खूब हो रहे चमरा के चर्चे, चुनाव के बाद कांग्रेस-BJP की बढ़ी टेंशन !
बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चमरा लिंडा लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इसकी चर्चा राजनीतिक गलियारे में खूब हो रही है। लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड के भैया गांव चौरा में विगत दो मई को चमरा लिंडा की चुनावी सभा हुई थी। जिसमें हजारों की भीड़ पहुंची थी।इससे चमरा को हल्के में लेने वाले भाजपा-कांग्रेस ने सबक ले ली है।
विक्रम चौहान, लोहरदगा। Chamra Linda : लोहरदगा लोकसभा सीट में मतदान होने से पहले और मतदान होने के बाद एक नाम की चर्चा हो रही है, वह हैं निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा। लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा की भूमिका की चर्चा न सिर्फ मतदाता और उनके समर्थन कर रहे हैं, बल्कि राजनीतिक गलियारे में भी इसकी खूब चर्चा है।
चमरा लिंडा का वोट बैंक एक खास वर्ग
इसके पीछे की वजह यह है कि लोहरदगा लोकसभा सीट में चमरा लिंडा ने वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2024 तक में अपना वोट बैंक जबरदस्त तरीके से बढ़ाया। हालांकि चर्चा इस बात की भी है कि लोहरदगा लोकसभा सीट में चमरा लिंडा का वोट बैंक एक खास वर्ग है।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत में चमरा लिंडा को हल्के में लिया था। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो चमरा लिंडा ने इस बार जो अपनी पहली चुनावी सभा आयोजित कर शक्ति प्रदर्शन किया, उससे भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी को एक सबक मिल गया। दोनों दलों को समय रहते संभलने का मौका मिल गया।
चमरा लिंडा के वोट बैंक से कांग्रेस को अधिक नुकसान
लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड के भैया गांव चौरा में विगत दो मई को चमरा लिंडा की चुनावी सभा हुई थी। जिसमें हजारों की भीड़ पहुंची थी।
जिसमें लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के सभी पांच विधानसभा से कार्यकर्ता पहुंचे हुए थे। इस भीड़ को देखकर कांग्रेस और भाजपा अलर्ट हो गए। दोनों दलों ने अपने-अपने वोट बैंक को बचाने को लेकर तेजी से काम करना शुरू कर दिया था।
कहा यह भी जा रहा है कि चमरा लिंडा यदि सिर्फ अपने वोट बैंक को मजबूत करते तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती थी, परंतु चमरा लिंडा ने कांग्रेस पार्टी को सबसे अधिक नुकसान दिया है।
चमरा लिंडा ने अपने वोट बैंक के बजाय कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश की। इस बात की भनक भारतीय जनता पार्टी को भी लग चुकी थी, यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी अपने वोट बैंक को बचाने में कामयाब हुई।
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