Lok Sabha Elections: JMM का यह नेता खराब न कर दे खेल! इस सीट पर BJP-कांग्रेस के बीच मुकाबले की रही है परंपरा
Lok Sabha Election 2024 लोहरदगा लोकसभा सीट आदिवासी बहुल क्षेत्र है। लोहरदगा-गुमला आदि क्षेत्र में पहाड़ और जंगलों के बीच एक बड़ी आबादी निवास करती है। अनुसूचित जनजाति रिजर्व सीट में हमेशा से सभी प्रमुख दलों की नजर रही है। लोहरदगा लोकसभा सीट में भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला की परंपरा रही है। राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच लोहरदगा के लोगों ने राजनीतिक हलचल भी देखी है।
राकेश कुमार सिन्हा, लोहरदगा। Lok Sabha Election 2024 लोहरदगा लोकसभा सीट आदिवासी बहुल क्षेत्र है। लोहरदगा-गुमला आदि क्षेत्र में पहाड़ और जंगलों के बीच एक बड़ी आबादी निवास करती है। अनुसूचित जनजाति रिजर्व सीट में हमेशा से सभी प्रमुख दलों की नजर रही है।
लोहरदगा लोकसभा सीट में भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला की परंपरा रही है। देश के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर साल 2019 के लोकसभा चुनाव तक में लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने एक मजबूत लोकतंत्र की स्थापना में अपनी भूमिका निभाई है।
राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच लोहरदगा के लोगों ने राजनीतिक हलचल भी देखी है। यहां का चुनाव परिणाम हमेशा ही चौंकाने वाला रहता है। कांग्रेस-भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता है तो कभी निर्दलीय प्रत्याशी की उपस्थिति भी त्रिकोणीय मुकाबला की तस्वीर दिखा देती है।
इस बार भी कुछ वैसे ही हालात नजर आ रहे हैं। झारखंड में कांग्रेस, झामुमो और राष्ट्रीय जनता दल के बीच गठबंधन है। तीनों ही दल आईएनडीआईए के महागठबंधन का हिस्सा भी हैं। झारखंड में लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन के बीच स्थिति सामान्य दिखाई दे रही है। हालांकि, सब कुछ सामान्य नहीं है। इसका एक बड़ा उदाहरण लोहरदगा बन सकता है।
पिछले कई लोकसभा चुनाव से भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा
लोहरदगा लोकसभा सीट में पिछले कई लोकसभा चुनाव से भाजपा-कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है। इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा भी लोहरदगा लोकसभा सीट पर अपना दावा कर रही है। इसके पीछे की वजह यह है कि गुमला जिले के बिशनपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता चमरा लिंडा के लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं।चमरा लिंडा इस क्षेत्र में एक मजबूत पकड़ रखते हैं। उनका अपना वोट बैंक है। यदि चमरा लिंडा लोहरदगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो इसका सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस पार्टी को होगा। अब देखना है यह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के बीच लोहरदगा लोकसभा सीट को लेकर किस प्रकार का समझौता होता है।खैर, लोहरदगा लोकसभा सीट में चमरा लिंडा के दावा करने के पीछे एक वजह भी है। इस क्षेत्र में वह एक मजबूत नेता के रूप में जाने जाते हैं। तीन लोकसभा चुनाव का परिणाम तो कुछ ऐसा ही कहता है। चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2004 के चुनाव से लेकर साल 2014 तक के चुनाव में चमरा लिंडा ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी थी।
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