Jharkhand News: जांच के लिए निकले खनन विभाग के अधिकारी, माफिया को पहले ही लग गई भनक; 3 घंटे बाद खाली हाथ लौटे
खनिज के अवैध परिवहन और खनन से जुड़े माफियाओं की जांच के लिए निकले विभाग के अधिकारी जांच करने मौके पर पहुंचे भी नहीं और उससे पहले माफियाओं तक इस बात की सूचना पहुंचा दी गई। बता दें कि लोहरदगा में खनिज के अवैध कारोबारियों की तूती बोलती है और यहां बालू चिप्स पत्थर और बॉक्साइट के अवैध कारोबार होता है।
संवाद सहयोगी, लोहरदगा। खनिज के अवैध परिवहन और खनन से जुड़े माफियाओं की ताकत देखिए, विभाग के अधिकारी ने अभी तक जांच शुरू भी नहीं की और उससे पहले माफियाओं तक सूचना पहुंच गई की अधिकारी जांच के लिए पहुंच रहे हैं।
इसके बाद तीन घंटे तक अधिकारी सड़क पर इंतजार करते रहे, परंतु एक भी बॉक्साइट ट्रक उन्हें नजर नहीं आया। लोहरदगा में खनिज के अवैध कारोबारियों की तूती बोलती है। पूरा का पूरा गिरोह बेहद सुनियोजित तरीके से बालू, चिप्स, पत्थर, और बॉक्साइट के अवैध कारोबार को अंजाम देता है।
खाली हाथ लौटे विभाग के अधिकारी
यह सब कुछ खनन विभाग को भी समझ में आ रहा है। विभाग पहले भी रेकी करने वाले कई मामलों में कार्रवाई कर चुका है। लोहरदगा-गुमला मुख्य पथ में बॉक्साइट के अवैध परिवहन की सूचना पर रविवार की देर रात सहायक खनन पदाधिकारी राजाराम प्रसाद पुलिस की टीम के साथ लोहरदगा और गुमला जिला के सीमावर्ती कंडरा के समीप वाहनों की जांच के लिए पहुंचे थे।
तीन घंटे तक सहायक खनन पदाधिकारी वहां पर खड़े रहे, परंतु बॉक्साइट का एक भी ट्रक नहीं गुजरा। जबकि सभी को पता है कि रात भर बॉक्साइट का परिवहन होता रहता है। बॉक्साइट के अवैध कारोबारी रात के अंधेरे में ही बॉक्साइट का अवैध परिवहन करते हैं, परंतु तीन घंटे जांच अभियान चलाने के बावजूद सहायक खनन पदाधिकारी के हाथ खाली रहे।
घंटे तक सड़क पर रहा सन्नाटा
सहायक खनन पदाधिकारी भी इस बात को मानते हैं कि कहीं ना कहीं जांच अभियान की भनक अवैध कारोबारी तक पहुंच गई होगी, तभी तो एक भी बॉक्साइट का ट्रक वहां से नहीं गुजरा।
यह आश्चर्य का विषय है कि जिस रास्ते से हर दिन चार हजार से ज्यादा बॉक्साइट ट्रक गुजरते हैं, उस रास्ते पर अचानक से कई घंटे तक सन्नाटा नजर आए।
पहले ही लीक हो जाती है जानकारी
दरअसल लोहरदगा में पहले भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है कि खनन विभाग के अधिकारियों की रेकी होती है। अधिकारी अपने आवास या कार्यालय से वहां से निकलते भी नहीं है और वहां से ही उनकी रेकी शुरू हो जाती है। यह देखा जाता है कि अधिकारी किस ओर जा रहे हैं। कहां जांच करने वाले हैं।
उससे पहले ही सूचना पहुंच जाती है। जिसकी वजह से अधिकारियों के हाथ खाली रह जाते हैं। सहायक खनन पदाधिकारी राजाराम प्रसाद का कहना है कि उन्होंने जांच अभियान चलाया था, परंतु कोई वाहन पकड़ में नहीं आया।
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