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सरहुल महोत्सव: खौलते तेल में हाथ डालकर बनाए पकवान, पाहान-पुजार ने परंपरा का किया निर्वहन; लोगों का लगा तांता

Sarhul Mahotsav जिले के कैरो प्रखंड अंतर्गत उतका गांव में शुक्रवार को प्रकृति का पर्व सरहुल के पूर्व संध्या पर एक अनूठी परंपरा का निर्वहन गांव के पाहन-पुजार व महतो द्वारा किया गया। इस परंपरा को देखने के लिए लोग दूर-दराज से उतका झखरा स्थल पहुंचते हैं।

By Vikram ChouhanEdited By: Prateek JainUpdated: Fri, 24 Mar 2023 10:24 PM (IST)
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सरहुल महोत्सव: खौलते तेल में हाथ डालकर बनाए पकवान।
कैरो (लोहरदगा),  संवाद सूत्र: जिले के कैरो प्रखंड अंतर्गत उतका गांव में शुक्रवार को प्रकृति का पर्व सरहुल के पूर्व संध्या पर एक अनूठी परंपरा का निर्वहन गांव के पाहन-पुजार व महतो द्वारा किया गया। उतका गांव स्थित झखरा स्थल में पाहन समेल उरांव, पुजार धनु उरांव व महतो ललित उरांव द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना किया गया।

सबसे पहले क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना किया गया, जिसके बाद पाहन-पुजार व महतो द्वारा आदिकाल से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए खौलते तेल में हाथ से भोग लगाने के लिए पकवान बनाए गए, जिसके बाद झखरा स्थल में पूजा-अर्चना कर पूरे गांव में प्रसाद का वितरण किया गया।

इस परंपरा को देखने के लिए लोग दूर-दराज से उतका झखरा स्थल पहुंचते हैं। इस बार परंपरा का निर्वहन पाहन समेल उरांव, पुजार धनु उरांव व महतो ललित उरांव द्वारा किया गया।

पाहन-पुजार व महतो 48 घंटे उपवास रखने के बाद पूजा-अर्चना किया जाता है। वहीं, पूजा से 15 दिन पहले गांव में आदिवासी समाज के लोग किसी भी व्यक्ति की छुई हुई सामग्री नहीं खाते हैं। इस अनूठी परंपरा को देखने में लोगों की सांसें थम जाती है। मौके पर पन्ना उरांव, बलदेव उरांव आदि मौजूद थे।

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