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Lok Sabha Election: वो 'हॉट सीट' जहां दौड़े-दौड़े चले आए थे Rajiv Gandhi, हर लोकसभा चुनाव में मिले चौंकाने वाले नतीजे

Lok Sabha Election 2024 झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक ऐसा है जहां के मतदाताओं को भांपना मुश्‍किल है। यहां अमुमन कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला होता रहा है। हालांकि कई बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यह इतनी महत्‍वपूर्ण सीट है कि 1989 के चुनाव में खुद राजीव गांधी यहां प्रचार के लिए दौड़े-दौड़े आए थे।

By Vikram Chouhan Edited By: Arijita Sen Updated: Fri, 15 Mar 2024 03:23 PM (IST)
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1989 के लोकसभा चुनाव के प्रचार में आए राजीव गांधी।
विक्रम चौहान, लोहरदगा। लोहरदगा लोकसभा सीट हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। राजनीतिक दलों के लिए भी यह सीट काफी महत्व रखती है। इसके पीछे की वजह यह है कि यह आदिवासी बहुल क्षेत्र है। इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के विकास को आधार बनाकर राजनीतिक दल एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते रहे हैं। यहां अमुमन कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला होता रहा है। हालांकि, कई बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

यहां मतदाताओं का मिजाज भांपना मुश्‍किल

लोहरदगा लोकसभा सीट को लेकर कहा जाता है कि यहां कब कौन सा दल चुनाव जीत जाए, यह कहा नहीं जा सकता। मतदाताओं का मिजाज भांपना काफी मुश्किल होता है। कुछ ऐसी ही स्थिति वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में लोहरदगा में देखने को मिली थी।

राजीव गांधी को चुनाव प्रचार के लिए लोहरदगा आना पड़ा था। जिसके बाद चुनावी गणित ही बदल गया था। तब राजीव गांधी की एक चुनावी सभा ने पूरे चुनावी गणित को बदलकर रख दिया था। यह वर्ष राजीव गांधी का लोकसभा का आखरी चुनावी वर्ष भी था।

राजीव गांधी को सुनने के लिए उमड़ी थी भीड़

राजीव गांधी वर्ष 1984 से वर्ष 1989 तक देश के छठे प्रधानमंत्री के रूप में अपना योगदान दिया था। वर्ष 1989 के चुनाव में लोहरदगा के मन्हों में राजीव गांधी की चुनावी सभा से कांग्रेस की सुमति उरांव को जीत मिली थी।

इस चुनावी सभा में राजीव गांधी को सुनने के लिए काफी भीड़ उमड़ी थी। राजीव गांधी सुबह-सुबह सात बजे ही लोहरदगा में चुनावी सभा में पहुंचे थे।

उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता लोहरदगा निवासी हरिनारायण प्रसाद कांग्रेस के तत्कालीन बिहार प्रदेश कांग्रेस के वरीय उपाध्यक्ष थे। वह भी चुनावी सभा में राजीव गांधी के साथ थे।

महत्वपूर्ण बात यह है कि तब तत्कालीन बिहार में मात्र चार सीट पर कांग्रेस पार्टी चुनाव जीत पाई थी, जिसमें लोहरदगा के अलावे चाईबासा में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत मिली थी। इसके अलावे बिहार के कटिहार और एक अन्य सीट पर कांग्रेस पार्टी उम्मीदवारों को जीत मिली थी।

कांग्रेस के लिए चुनाव जीतना था मुश्‍किल

लोहरदगा लोकसभा सीट में वर्ष 1989 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से सुमति उरांव को 148320 वोट मिले थे। जबकि भाजपा के ललित उरांव को 19248 वोट मिले थे। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत सुनिश्चित माना जा रहा था।

बावजूद राजीव गांधी की चुनावी सभा ने भाजपा की जीत को हार में बदल दिया था। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि तब कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता सहित कई अन्य नेताओं के विरोध के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने लोहरदगा सीट पर अपना प्रत्याशी खड़ा किया था।

उस समय जनता दल से करमचंद भगत भी चुनाव मैदान में उतरे थे। सभी को लग रहा था कि कांग्रेस के लिए यहां चुनाव जीतना मुश्किल है, फिर भी कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया था। कांग्रेस की यह जीत लोहरदगा लोकसभा सीट के लिए एक संजीवनी साबित हुई थी।

हालांकि, इसके बाद दो चुनावों में भाजपा के ललित उरांव चुनाव जीते थे, परंतु वर्ष 1991 और साल 1996 के चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण जनता दल बनी थी। दोनों ही चुनाव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी, वहीं तीसरे नंबर पर जनता दल का प्रत्याशी रहा था।

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