झारखंड के इस जिले में चल रहा मतांतरण का गंदा खेल, 90 फीसद पहाड़िया बन चुके हैं ईसाई
झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों में ईसाई मिशनरियों का मतांतरण का खेल अब भी बेरोकटोक जारी है। ईसाई मिशनरियों के इस खेल से पाकुड़ की पहाड़ी संस्कृति भी अछूती नहीं है। पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा और हिरणपुर के पहाड़ों की सभ्यता-संस्कृति में धीरे-धीरे बड़ा बदलाव हो रहा है। मिशनरी के सदस्य गरीब आदिवासी पहाड़िया परिवार के लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा का प्रलोभन देकर उन्हें ईसाई बना रहे हैं।
रोहित कुमार, पाकुड़। झारखंड के पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा और हिरणपुर के पहाड़ों की सभ्यता-संस्कृति में धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है। इस बदलाव का मुख्य कारण ईसाई मिशनरियों के द्वारा सुनियोजित तरीके से किया जा रहा मतांतरण बताया जा रहा है।
मिशनरी के लोग गरीब आदिवासी, पहाड़िया परिवार के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और अन्य आर्थिक प्रलोभन देकर उन्हें ईसाई धर्म से जोड़ रहे हैं। यही कारण है कि इन क्षेत्रों में नई नई मिशनरी स्कूल खोले जा रहे हैं। गांव गांव में चर्च का निर्माण किया गया है।
90 फीसद पहाड़िया बने ईसाई
लिट्टीपाड़ा व हरिणपुर के पहाड़ों पर रहने वाले 90 फीसद पहाड़िया समुदाय के लोग ईसाई बन गए हैं। उनके घरों पर ईसाई धर्म के चिन्ह देखे जा सकते हैं। ये सभी पहाड़िया पहले सनातनी थे।लिट्टीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र के जामजोड़ी पंचायत में दसगोडा पहड़िया गांव को छोड़कर सभी पहाड़िया गांव के अधिकतर लोग मिशनरी के प्रभाव में आ चुके हैं। सफाहोड़ समुदाय के विरोध के कारण कुछ लोग अभी मतांतरण से बचे हुए हैं।
करमाटार पंचायत क्षेत्र में मांसधारी, बड़ा कचना, छोटा कचना, पोड़ाम, सीधाघाटी,लब्दाघाटी,छोटा पोखरिया, बड़ा पोखरिया, दुरयो, अमरबिठा, जलोकुंडी गांव के गरीब जन जाति समुदाय के लोगों को मिशनरीज शिक्षा और स्वास्थ्य का लाभ पहुंचाकर मतांतरण करा रही है।
इसके अलावा, कुंजबोना पंचायत के कुंजबोना, एजगो ,मांसपडा, मुसबिल, छोटा घघरी,बड़ा मालिपाड़ा, छोटा मालिपाड़ा, पकटोटी गांव में भी ऐसा ही मतातंरण का खेल चल रहा।
वहीं, जामजोड़ी पंचायत के चोड़गो, कामची, अमरबिठा, छोटा तेलोपाड़ा तथा जोरडीहा पंचायत के सिमलोंग पहाड़, कुटलो पहाड़, बड़ा चटकम पहाड़, चालबिठा समेत प्रखंड क्षेत्र के पहाड़िया गांव के गरीबी में जी रहे जन जाति समुदाय के लोगों को मिशनरीज शिक्षा व स्वास्थ्य का लाभ पहुंचाकर मतांतरण करवा रही है।साफाहोड़ के एक सदस्य ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि इलाके में मिशनरी सक्रिय हैं। 90 फीसद पहाड़िया व 60 फीसद आदिवासियों का मतांतरण कराया गया है। जो इससे बचे हैं, उनको हमलोग मतांतरण से रोक रहे हैं, ताकि हमारी सांस्कृतिक विरासत बच सके।
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