Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

पहाड़ पर चढ़ने से पहले थक गया विकास

लिट्टीपाड़ा(पाकुड़) उदलबनी लिट्टीपाड़ा प्रखंड का आदिवासी बहुल गांव है। यह वहीं प्रखंड है

By JagranEdited By: Updated: Wed, 20 Nov 2019 08:52 AM (IST)
Hero Image
पहाड़ पर चढ़ने से पहले थक गया विकास

लिट्टीपाड़ा(पाकुड़): उदलबनी लिट्टीपाड़ा प्रखंड का आदिवासी बहुल गांव है। यह वहीं प्रखंड है, जिसकी गिनती देश के दस पिछड़े प्रखंडों में होती है। प्रखंड मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूर स्थित उदलबनी जामजोड़ी पंचायत का हिस्सा है। चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा है। यहां विकास की किरणें नहीं पहुंच सकी है। लोग अभाव का जीवन जीने को विवश हैं। गांव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है। ग्रामीण सिमलजोड़ी गांव से तीन किमी पैदल चलने के बाद एक पहाड़ी नदी पार कर जंगली रास्ते से गांव पहुंचते हैं। बरसात के मौसम में नदी भर जाने से ग्रामीण गांव में ही कैद हो जाते हैं। यह क्षेत्र लिट्टीपाड़ा विधानसभा के अंतर्गत आता है। यहां की सत्ता पर चार दशक से साइमन परिवार के हाथों में रहा है।

गांव के ग्रामप्रधान प्रधान हांसदा का कहना है कि ग्रामीण आज भी नदी का पानी पीकर जिदगी बिता रहे हैं। सड़क नहीं रहने की वजह से चापाकल भी नहीं लगा है। कुआं तो बना ही नहीं हैं। चुनाव के दौरान विभिन्न पार्टियों के नेता गांव पहुंच कर विकास का वादा कर वोट लेते हैं। वोट के बाद कोई भी नेता घुमकर दोबारा गांव नहीं आते। इस बार वादा खिलाफी करने वाले को सबक सिखाएंगे।

ग्रामीण प्रेम बास्की का कहना है कि गांव में बिजली का खम्भा गाड़े हुए दशक बीत गया। आज तक बल्ब भी नहीं जला है। गांव में 23 परिवार हैं। आधा दर्जन परिवार को राशन कार्ड नहीं मिला है। मजबूरी में ऊंच्ची कीमत पर मिट्टी तेल खरीदकर ढिबरी जला कर रात्रि व्यतीत करते हैं।

मुखिया ने कहा:

जामजोड़ी पंचायत की मुखिया मालजा मालतो कहती हैं कि उदलबनी गांव के विकास के लिए जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन को कई योजना क्रियान्वयन के लिए प्रस्ताव दिया गया था। पहल नहीं किये जाने की वजह से गांव की मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति नहीं की जा सकी है।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें