Palamu News: सरकारी संचिका में सड़क पर ब्लैक स्पाट नहीं, बावजूद हर माह 18 लोगों की मौत
Jharkhand Road Accident झारखंड के पलामू जिले में सड़कों पर मौत नाचती है। यहां हर माह बड़ी संख्या में वाहन चालकों की मौत होती है। हैरानी की बात यह कि सरकारी संचिकाओं में यहां सड़क पर एक भी ब्लैक स्पाट नहीं है।
By Jagran NewsEdited By: M EkhlaqueUpdated: Wed, 16 Nov 2022 08:03 PM (IST)
पलामू, (मृत्युंजय पाठक)। Road Accident in Palamu Jharkhand इस चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से जून, 2022 के बीच 72 सड़क दुर्घटनाओं में 62 लोग अकाल मौत के शिकार हुए। इसके बाद जुलाई से सिंतबर के बीच 57 दुर्घटनाओं में 46 लोगों की मौत हुई। छह माह में 108 मौत यानी पलामू जिले में हर माह सड़क दुर्घटना में औसतन 18 लोगों की मौत हो रही है। यह तब का हाल जब जिला परिवहन विभाग की फाइलों में साल 2019 के बाद एक भी ब्लैक स्पाट नहीं हैं। मुख्य सड़कें भी अच्छी हैं। उनमें गड्ढे नहीं हैं। हां, यहां तीखे और उतार-चढ़ाव वाले मोड़ खूब हैं। यह हादसों का एक प्रमुख कारण है लेकिन 90 फीसद दुर्घटनाएं तेज गति से वाहनों को दौड़ाने (रेस ड्राइविंग) के कारण हो रही हैं।
हर जगह तीखे मोड़ का करना होगा सामना
पलामू जिले में दैनिक जागरण की टीम ने सड़क सुरक्षा अभियान के तहत 300 किमी से ज्यादा की सड़कों का सर्वे किया। हालांकि यहां राष्ट्रीय राजमार्ग, राष्ट्रीय उच्च पथ और राज्य उच्च पथ की सड़कों की कुल लंबाई करीब 800 किमी है। ग्रामीण सड़कों की लंबाई को जोड़ दी जाय तो बहुत अधिक होगी। राजधानी रांची और मेदिनीनगर को जोड़ने वाला एनएच-75 पलामू जिले में करीब 33 किमीटर का सफर तय करता है। पलामू-लातेहार की सीमा हुरहुरी मोड़ से मेदिनीनगर तक। सर्वे के दौरान इस सड़क पर 31 तीखे मोड़ पाए गए। दोनों तरफ से चाहे मेदिनीनगर या हुरहुरी मोड़ से अगर आप चलेंगे तो सड़क आपका तीखे मोड़ से ही स्वागत करता है। जोरकट, सुआ मोड़, दुबियाखांड, पोखराहा, पोलपोल मोड़, खामडीह, रजडेरवा, तुम्बागढ़ा, बकोरिया इन स्थानों पर खतरनाक मोड़ हैं। हालांकि गढ़े खोजन से नहीं मिलते हैं। एक बड़ा गड्ढा सिर्फ पोलपोल बाजार में है। इसके बाद बकोरिया में छोटे-छोटे तीन गढ़े हैं। तीखे मोड़ पर जरा भी लापरवाही होने पर दुर्घटना तय है और आए दिन होती भी हैं।सड़क दुर्घटनाएं रोकने की पूरी तैयारी भी
इस खतरनाक सड़क पर दुर्घटनाएं रोकने को पूरी तैयारी की गई है। प्रोपर साइन बोर्ड, कानवेक्स मिरर, रम्बल स्ट्रीप वगैर-वगैर लगाए गए हैं। रेड़मा चौक पर दो और जोरकट मोड़ पर एक कानवेक्स मिरर लगाए गए हैं। हर तीखे मोड़ से पहले गो स्लो, दुर्घटना से देर भली, दुर्घटना संभावित क्षेत्र के साइन बोर्ड दिख जाते हैं।ओवर स्पीड के कारण ज्यादातर घटनाएं
जिला सड़क सुरक्षा प्रबंधक विनित कुमार कहते हैं कि पलामू में सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण ओवर स्पीड है। राष्ट्रीय राजमार्ग और राष्ट्रीय उच्च पथ से ज्यादा अन्य सड़कों पर दुर्घटनाएं हो रही है। 90 फीसद दुर्घटनाओं का कारण ओवर स्पीड है। खासकर युवा वर्ग काफी तेज गति से बाइक चलाते हैं। इससे हादसे हो रहे हैं। इसे रोकने के लिए जागरूकता अभियान समय-समय पर चलाया जाता है।ओवर स्पीड के खिलाफ जागरूकता जरूरी
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के सदस्य रवींद्र तिवारी कहते हैं कि खराब सड़कों से ज्यादा अच्छी सड़कों पर दुर्घटनाएं हो रही हैं। यमुना एक्सप्रेसवे इसका उदाहरण है। अच्छी सड़कों पर लोग ओवर स्पीड में गाड़ी चला रहे हैं। इस कारण हादसे हो रहे हैं। सड़क दुर्घटना को तो रोकी नहीं जा सकती लेकिन ओवर स्पीड के खिलाफ जागरूकता अभियान-खासकर युवाओं में चलाकर हम पलामू में दुर्घटनाओं को न्यूनतम कर सकते हैं।पलामू जिले की प्रमुख सड़कों पर एक नजर
- राष्ट्रीय राजमार्ग-90 किमी
- राष्ट्रीय उच्च पथ-22 किमी
- स्टेट हाइवे-687 किमी
जिले में वर्ष 2022 में हुए सड़क हादसे
- अप्रैल से जून-72
- जुलाई से सितंबर-57
- कुल मौत-108