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परदेस से प्लास्टिक में पैक होकर घर आ रहे पलामू के मजदूर, पेट की खातिर लगा रहे जान की बाजी, कब सुधरेंगे हालात

पलामू में बेरोजगारी और भूखमरी चरम पर है इसलिए यहां के मजदूर दूसरे शहरों या देशों का रूख करते हैं ताकि अपना और अपने परिवार का पेट पाल सके। काम के दौरान यहां के औसतन प्रतिमाह 5 मजदूरों की मौत परदेस में हो रही है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 02 Jun 2023 03:35 PM (IST)
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पलामू के मजदूरों की दूसरे शहरों और देशों में नियति।
मृत्युंजय पाठक, मेदिनीनगर (पलामू)। चार दिन पहले की बात है। 29 मई को हावड़ा-नई दिल्ली रेल खंड पर धनबाद के नजदीक झारखोर रेल फाटक के पास लोहे का पोल गाड़ने के दौरान करंट लगने से 6 मजदूरों की अकाल मौत हो गई। इनमें चार मजदूर पलामू प्रमंडल के थे।

परदेस में दम तोड़ रहे हैं पलामू के मजदूर

दो मजदूर-गोविंद सिंह और श्यामदेव सिंह सहोदर भाई थे। ये दोनों पलामू जिले के सतबरवा थाना क्षेत्र के पोलपोल के घोरही खुरचुपवा टोला के रहने वाले थे। इनके अलावा, दिनेश भुइंया और संजय भुइंया लातेहार के रहने वाले थे।

पोस्टमार्टम के बाद चारों का शव प्लास्टिक में पैक कर धनबाद से मजदूरों के घरों को भेज दिया गया। यह घटना पलामू के मजदूरों के हालात को बयां करती सिर्फ एक बानगी भर है। काम के दौरान यहां के औसतन प्रतिमाह 5 मजदूरों की मौत परदेस में हो रही है।

पलामू में बेरोजगारी और भूखमरी आम बात

दरअसल, झारखंड के पलामू प्रमंडल में रोजगार के कोई साधन नहीं हैं। यह नई बात भी नहीं है। बिहार के जमाने से ही यह समस्या है। इस कारण यहां बेरोजगारी और भुखमरी आम बात है। इस पर बहुत कुछ लिखा-पढ़ा गया, लेकिन परिणाम सिफर रहा। रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में यहां से लोगों का महानगरों में पलायन होता है।

पेट पालने के खातिर दूसरे शहरों का करते हैं रूख

दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के होटलों में काम करते यहां के मजदूर मिल जाएंगे। अहमदाबाद से लेकर चेन्नई और बेंगलुरू में कंस्ट्रक्शन कंपनियों में यहां के मजदूर बहुतायत में काम करते हैं और जोखिम भरे काम के दौरान हादसे के शिकार होते हैं। कई मामलों में तो परदेस से शव लाने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। ठेकेदार भी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। इसके बाद इनके घर-परिवार पर आफत आन पड़ती है।

  • पलामू के निबंधित मजदूर।
  • असंगठित मजदूरों की संख्या-50, 605।
  • भवन निर्माण संबंधित मजदूर की संख्या-57,456।
  • प्रवासी मजदूरों की संख्या-6970।

केस स्टडी-एक

एक सप्ताह पूर्व पलामू जिले के छतरपुर थाना क्षेत्र के हुटुकदाग पंचायत के 28 वर्षीय राजेश उरांव का निधन केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार में हो गया। वह वहां की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। काम के दौरान हादसे में उनकी मौत हो गई। कुछ महीने पहले हुटुकदाग पंचायत के प्रदीप भुइयां की मौत काम के दौरान गुजरात में हो गई थी। मौत के बाद परिवार के लोगों का हाल बेहाल है।

केस स्टडी-दो

हरिहरगंज प्रखंड क्षेत्र के अररूआ खुर्द पंचायत के बिशुनपुर गांव निवासी नथुनी सिंह के 45 वर्षीय गणेश सिंह का निधन इसी साल जनवरी महीने में मुंबई में हो गया। वह एक कंपनी में काम करता था। वह अपने घर का इकलौता कमाऊ सदस्य था। कार्य के दौरान पेट दर्द की शिकायत पर साथी कामगारों ने उसे इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मौत हो गई।

केस स्टडी-तीन

हैदरनगर प्रखंड के बरडंडा पंचायत के नौका टोला निवासी 55 वर्षीय बुधन रजवार की मौत इंदौर में काम के दौरान मार्च, 2023 में हो गई थी। वह यूआरसी कंपनी के अंदर काम कर करता था। हाइवा की चपेट में आने से घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई थी। काफी जद्दोजहद के बाद उनका शव इंदौर से हैदरनगर लाया गया था।

केस स्टडी-चार

हैदरनगर के पतरिया गांव निवासी धीरेंद्र पासवान की मौत एक सितंबर, 2022 को महाराष्ट्र में हो गई थी। वह हैदरनगर से लेबर ठेकेदार इमरान अंसारी के साथ महाराष्ट्र के लिए निकले थे। तीन दिन बाद ही उनका प्लास्टिक में पैक शव एंबुलेंस से गांव में पहुंचा। एंबुलेंस ड्राइवर से प्राप्त कागजात के अनुसार उनका शव नासिक के पास म्यांमार स्टेशन पर लावारिश हालत पड़ा मिला था।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में 117 मजदूरों की मौत

श्रम विभाग पलामू के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 117 मजदूरों की मौत हुई। इस अवधि में श्रम विभाग की ओर से मृतकों के स्वजनों को अंत्येष्टि सहायता योजना के तहत 10.90 लाख रुपये का भुगतान किया गया। मरने वाले 117 मजदूरों में काम के दौरान मृत्यु के साथ ही सामान्य मृत्यु भी शामिल है।

सरकारी योजनाओं का मजदूरों को ऐसे मिलेगा लाभ

पलामू के श्रम अधीक्षक एतवारी महतो कहते हैं, धनबाद हादसे में मरने वाले मजदूरों के निबंधन के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। ऐसे मामलों में एफआइआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर 1.50 लाख रुपये देने का प्रावधान है। शव लाने के लिए 50 हजार रुपये तक दिया जाता है। मजदूरों से अनुरोध है कि वे श्रम विभाग में अपना निबंधन जरूर कराएं। निबंधन कराने पर ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।

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