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ठंड में टी शर्टधारी राहुल को कांग्रेसी समझने लगे देवदूत, पार्टी कार्यकर्ताओं के मन में गढ़ी नेता की अलग छवि

पलामू कांग्रेस कार्यालय में जिले भर के कांग्रेसियों ने जुटकर तरह-तरह की चर्चाएं कीं। इस दौरान राहुल गांधी का भी जिक्र उठा तो एक ने कहा कि 5 डिग्री तापमान में राहुल टी शर्ट पहन दिल्ली में घूम रहे हैं। ऐसा कोई देवदूत ही कर सकता है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 30 Dec 2022 05:03 PM (IST)
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ठंड में टी शर्टधारी राहुल का पलामू कांग्रेस कार्यालय में चर्चा
मृत्युंजय पाठक, पलामू। पलामू कांग्रेस कार्यालय में जिले भर के कांग्रेसियों का जुटान था। मौका था स्थापना दिवस का। भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेसियों का जोश उफान पर है। असर दिखा। कुछ ज्यादा ही लोग जुटे। युवा से लेकर बुजुर्ग तक। भोजन की व्यवस्था थी। लोग भोजन के प्लेट पर टूट पड़े। कम पड़ा तो दुबारा बना। चावल पकने के इंतजार में बैठे कांग्रेसियों के बीच चर्चा चलती रही। बात राहुल गांधी पर गई। बुजुर्ग ने कहा- 5 डिग्री तापमान में राहुल टी शर्ट पहन दिल्ली में घूम रहे हैं। ऐसा कोई देवदूत या लोहे का शरीर वाला ही कर सकता। सबने हां में हां मिलाया। बात पूर्व विधायक और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके नेताओं पर गई। ये सभी अनुपस्थित थे। एक ने कहा- मौके पर कोई नहीं दिखता। चुनाव के समय टिकट लेकर आ जाते। दूसरे ने कहा-भैया, यह कांग्रेस है। यहां फसल लगाता कोई और काटता कोई है।

इस प्रोग्रामिंग से सावधान

स्वास्थ्य विभाग का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। चले भी कैसे? इसका प्रोग्रामिंग जो खराब है। दो-दो सिविल सर्जन खामियाजा भुगत चुके हैं। एक केस-मुकदमे में फंसे तो दूसरे डाक्टरों की सहानुभूति लायक भी नहीं रहे। ऐसा आदेश निर्गत हुआ कि सारे के सारे डाक्टर नाराज। उन्हें अनुबंधकर्मी को रिपोर्टिंग करने को जो कह दिया गया। कोई भी स्वाभिमानी इस आदेश को कैसे मानेगा। दबी जुबान में विरोध किया। अपर मुख्य सचिव के आदेश का हवाला देकर पत्र न निर्गत हुआ होता तो हंगामा तय था। लगातार बिगड़ रहे स्वास्थ्य के लिए खराब प्रोग्रामिंग को जानकार जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। खैर अब नए वाले डाक्टर साहब से सबको उम्मीद है। वे कुछ करेंगे। ऐसा रास्ता निकालेंगे कि डाक्टरों के स्वाभिमान को ठेस न पहुंचे। इसके लिए जरूरी है कि सिस्टम के प्रोग्रामिंग को ठीक करें। यह ठीक न हुआ तो गुड़ गोबर तय है।

हथियार नहीं, विकास की बात

महागठबंधन के नेतागण बेचैन हैं। बेचैनी का कारण हथियार और बाडीगार्ड का शौक है। इस शौक को आधा दर्जन से ज्यादा लोग जल्द से जल्द पूरा करना चाहते हैं। वैसे आवेदनकर्ताओं की संख्या ज्यादा है। जिनके पास बाडीगार्ड नहीं है वो तो चाहते ही हैं, जिनके पास है भी चाहते हैं। वे एक से दो चाहते हैं। यहां हथियार और बाड़ीगार्ड का बड़ा क्रेज है। जब भी मुख्यमंत्री और मंत्री जिले में आते हैं तो उनका खुद को नजदीकी दिखाने और साबित करने की महागठबंधन के नेता पुरजोर कोशिश करते हैं। इसके बाद अपनी शौक को पूरा करने के लिए समाहरणालय पहुंचते हैं। साहब से मिलते हैं। इधर-उधर की बात करते हैं। फिर मुद्दे पर आते हैं। सर, बहुत खतरा है। आर्म्स लाइसेंस और बाडीगार्ड का आवेदन दिया है। देख लेते तो कृपा होती। जवाब मिलता है-विकास की बात कीजिए।

अंत भला तो सब भला

पुराने साल की विदाई और नए के आगमन की बेला में कप्तान साहब ऐसा करेंगे किसी को उम्मीद नहीं थी। पिकनिक और छुट्टी का मौसम चल रहा है। अचानक ट्रांसफर-पोस्टिंग का तुषारापात हो गया। साहब ने ताश के पत्ते की तरह फेंट दिए। 20 का तबादला किया गया जिसकी जद में 9 थानेदार भी आए हैं। इस अदला-बदली के बाद पुलिसकर्मियों के बीच तरह-तरह की चर्चा है। आखिर इतनी जल्दबाजी क्या थी? साल बीत जाता तो होता। कहा भी गया है कि अंत भला तो सब भला। एक चर्चा तबादले के मौसम में खुद की चिंता को लेकर भी। कहीं अपना न हो जाए इसी चिंता में विधि-व्यवस्था ठीक करना मुनासिब समझा। खैर, जिसकी थानेदारी गई वह दुखी तो जिसे मिली वह खुशी। इन सबके बीच दो थानेदारों का तबादला खास है। भाजपा विधायक ने विधानसभा में सवाल उठाया था। साहब ने भाजपा को भी साध लिया।

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