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गुदड़ी के लाल: उधार के जूते पहनकर दौड़ने वाली गुरुबारी ने जीता गोल्‍ड, कभी माड़ भात तो कभी खाली पेट रहकर होता है गुजारा

मंगलवार को रांची में आयोजित राज्य स्तरीय एसजीएफआई खेलो झारखंड एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 100 और 200 मीटर की दौड़ प्रतियोगिता में 12 साल की गुरुबारी बंकिरा सबको हराकर गोल्‍ड जीता है। चौंकानेवाली बात यह है कि वह नंगे पैर दौड़ लगाने आई थी। बाद में जैसे-तैसे उधार में लिए एक प्‍लास्टिक सोल का जूता पहनकर उसने जीत का परचम लहराया।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 01 Nov 2023 11:00 AM (IST)
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जीत के बाद ली गई 12 साल की गुरुबारी बंकिरा की तस्‍वीर।

संजीव रंजन, रांची। प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। झारखंड की गुदड़ी की लाल चैंपियन बेटियां गाहे-बगाहे यह प्रमाणित करती रहती हैं। गरीबी में पले-बढ़े यहां के होनहार मांड़-भात खाकर, खेत की मेड़ों और पगडंडियों पर दौड़कर तथा भूखे पेट बिना संसाधनों के अभ्यास कर मेहनत तथा हौसले के दम पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते रहे हैं।

आंखों में थे सपने, थी मेडल जीतने की ललक

मंगलवार को रांची में आयोजित राज्य स्तरीय एसजीएफआई खेलो झारखंड एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी यह देखने को मिला।

पश्चिमी सिंहभूम के हरिमारा गांव की 12 वर्ष की गुरुबारी बंकिरा भी यहां प्रतियोगिता में भाग लेने पहुंची थी। उसे अपनी क्षमता और अभ्यास पर भरोसा था। आंखों में सपने थे और मेडल जीतने की ललक थी।

जीत के लिए जज्बा और जुनून भी था। दुख की बात यह कि इस गरीब बेटी के पांव में जूते नहीं थे। वह नंगे पांव एथलेटिक्स ट्रैक पर दौड़ने को तैयार थी, लेकिन आयोजकों ने खाली पैर दौड़ने की इजाजत नहीं दी। लड़की मायूस हो गई।

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हर बार साबित की अपनी काबिलियत

फिर किसी तरह उसे एक फुटबाल का बूट किसी से उधार में मिला, जिसे पहनकर उसने ट्रैक पर दौड़ लगा दी। आयोजकों का भी ध्यान जूते पर नहीं गया। यह 100 मीटर की दौड़ प्रतियोगिता थी।

गुरुबारी सरपट भागी और स्वर्ण पदक जीतने में सफल रही। इस जीत से उसका हौसला बढ़ा और वह अगली दौड़ के लिए तैयार हुई।

इस बार उसके लिए साथियों ने कहीं से प्लास्टिक सोल वाले जूते की व्यवस्था की। इस धाविका ने इस बार भी कमाल दिखाते हुए 200 मीटर दौड़ में भी स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।

अहम बात यह है कि उसने सुविधाओं से लैस झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसायटी के प्रशिक्षुओं को पराजित कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

गरीबी के आगे नहीं मानी हार

आर्थिक रूप से कमजोर गुरुबारी के पिता पलटन बंकिरा पेशे से किसान हैं। गुरुबारी का एक छोटा भाई व दो बड़ी बहनें हैं। हरिमारा विद्यालय में आठवीं कक्षा की छात्रा गुरुबारी का खेल के प्रति जुनून ऐसा है कि दिन भर वह खेतों में कुलांचे भरती रहती है।

गरीबी के बीच कभी मांड़ पीकर तो कभी खाली पेट वह स्कूल चली जाती और वहां भी दौड़ लगाती। स्कूल प्रबंधन ने उसकी प्रतिभा को देखते हुए रांची में होने वाले राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक के पास नाम भेजा।

वहां से वह भाग लेने लिए रांची पहुंची। गुरुबारी ने 100 मीटर की दौड़ उसने 14.60 सेकेंड में और 200 मीटर दौड़ 29.20 सेकेंड में पूरी की।

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