Returned to Hindu Religion: रांची में ईसाई धर्म अपना चुके 16 लोगों ने की घर वापसी
Returned to Hindu Religion Ranchi Jharkhand News 16 लोगों ने रविवार को रांची में घर वापसी की। इसके लिए सरना स्थल एचईसी सेक्टर तीन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति ने कार्यक्रम का आयोजन किया।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Sun, 10 Oct 2021 04:53 PM (IST)
रांची, जासं। ईसाई धर्म अपना चुके तीन परिवार के 16 लोगों ने रविवार को रांची में घर वापसी की। इसके लिए सरना स्थल एचईसी सेक्टर तीन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति ने कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। घर वापसी होने पर झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति ने सबों को सम्मानित किया। सरहुल पूजा स्थल पर हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष मेघा उरांव ने की।
कार्यक्रम की शुरुआत मेघा उरांव और भाजपा प्रदेश कार्य समिति के सदस्य मुकेश गुप्ता ने घर वापसी करने वाले लोगों के पांव धोकर, उन्हें माला और धोती देकर की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि बहकावे और लालच में आकर दूसरे धर्म को अपनाने की गलती का अहसास हुआ। वे लोग अब फिर से अपने धर्म में वापस आ गए हैं। वापस आए लोगों को धार्मिक तरीके से वचनबद्ध किया गया, ताकि लोग ऐसी गलती दोबारा न करें।
धर्म परिवर्तित किए लोगों के अनुसार ईसाई धर्म के लोग हमारी मजबूरी का फायदा उठा कर उनके धर्म में आने के लिए बार-बार दबाव दे रहे थे। इस कारण उन्होंने हालात से समझौता करते हुए डर से ईसाई धर्म की डोर थाम ली। आर्थिक और शारीरिक कष्ट से गुजर रहे लोगों को पैसा और धार्मिक शक्ति का लोभ देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए आकर्षित किया जाता है। लालच में फंसे लोग, जो फिर अपने धर्म में लौटना चाहते हैं, उन्हें धमकी दी जाती है, दबाव बनाया जाता है।
घर वापसी करने वालों ने यह कहा
'5 साल पहले मैं काफी बीमार रहता था। मुझे एक व्यक्ति ने कहा कि ईसाई धर्म में आकर प्रार्थना करो, इससे बीमारी ठीक हो जाएगी। वह व्यक्ति इस बात को लेकर बार-बार मुझ पर दबाव देने लगा। इस कारण मैं और मेरी पत्नी ने दूसरे धर्म में प्रवेश किया। अब मुझे अहसास हुआ है कि अपना धर्म और अपना भगवान अपना ही होता है। इस कारण मैं फिर से वापस अपने धर्म में आ गया।' -गोपाल लोहार।
'दो वर्ष पहले तबीयत खराब रहने पर बहुत जगह इलाज करवाया। झाड़-फूंक, पूजा पाठ भी करवाया, लेकिन बीमारी ठीक नहीं हुआ। मेरी हालत को देखकर गांव के एक व्यक्ति ने मुझे ईसाई धर्म को अपनाने के लिए बोला। उस वक्त मेरी हालत ऐसी थी कि घर वाले भी कुछ नहीं बोल पाए। मैं अपने घर और धर्म में वापस आना चाहता था। जब यह बात मैंने ईसाई धर्म के लोगों से कही तो मुझे धमकी मिलने लगी। महीने भर पहले हिम्मत की। अपना धर्म और घर वापस पाकर काफी खुश हूं।' -श्रीकांत उरांव मुंडा।
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