यह छापेमारी मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव कुमार लाल, दो इंजीनियर कुलदीप मिंज व विकास कुमार तथा ठेकेदार मुन्ना सिंह के आवास पर हुई है।
इसमें सर्वाधिक 25 करोड़ रुपये से अधिक नकदी मंत्री के निजी सचिव संजीव कुमार लाल के नौकर जहांगीर आलम के हरमू रोड में सर सैयद रेसिडेंसी के ब्लॉक बी में फ्लैट नंबर 1ए से मिले हैं। वहीं ठेकेदार मुन्ना सिंह के आवास से 2 करोड़ 93 लाख रुपये बरामद किए गए। वहीं अन्य ठिकानों से 10 लाख रुपये बरामद किए गए।
ईडी ने वीरेंद्र राम के खिलाफ किया खुलासा
देर रात तक दर्जनों मशीनों से इन रुपयों की गिनती की जाती रही। इस छापेमारी में ईडी को सभी संबंधित ठिकानों से भारी मात्रा में दस्तावेज मिले हैं, जिनमें डिजिटल उपकरण भी शामिल हैं। ईडी ने यह कार्रवाई ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से जुड़े मामले में की है।
वीरेंद्र राम को टेंडर घोटाले में गत वर्ष ईडी ने 23 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वह जेल में बंद हैं। ईडी ने वीरेंद्र राम के विरुद्ध छानबीन में यह खुलासा किया था कि उन्होंने टेंडर कमीशन के माध्यम से करीब सवा सौ करोड़ की संपत्ति अर्जित की है।
ईडी ने उसके बाद एक-एक वीरेंद्र राम के पांच अन्य सहयोगियों को भी दबोचा था। उसी मामले में ईडी ने यह छापेमारी की है। मंत्री आलमगीर आलम ग्रामीण विकास विभाग के ही विभागीय मंत्री हैं।
रुपयों की बरामदगी के बाद बार-बार बेहोश होते रहे निजी सचिव
मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव कुमार लाल रुपयों की बरामदगी के बाद बार-बार बेहोश होते रहे। उनके सरकारी आवास पर ही उनका नौकर जहांगीर आलम रहता था।सर सैयद रेसिडेंसी का फ्लैट जहांगीर आलम के नाम पर ही तीन महीने पहले लिया गया था, लेकिन वह वहां नहीं रहता था। ईडी ने जब संजीव कुमार लाल के सरकारी आवास पर छापेमारी की तो जहांगीर वहीं मिला।
ईडी रह गई भौचक्का
छानबीन में उसने अपने फ्लैट की जानकारी दी, जहां की चाबी के साथ ईडी उसे लेकर उसके फ्लैट पर पहुंची। जब ईडी ने फ्लैट खोला तो वहां रुपयों को देखकर भौचक्क रह गई।वहां करीब 25 करोड़ रुपये से अधिक रुपये होने के अनुमान हैं, जिसकी गिनती देर रात तक चलती रही। ईडी सभी संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। छापेमारी देर रात तक चलती रही।ईडी ने पीपी कंपाउंड में ठेकेदार मुन्ना सिंह, सेल सिटी में इंजीनियर विकास कुमार व बोड़ेया में ठेकेदार कुलदीप मिंज के ठिकानों को भी तलाशा है। सूचना है कि मुन्ना सिंह के यहां से भी भारी मात्रा में नकदी की बरामदगी है।
अब तक ये हो चुके हैं गिरफ्तार
ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम, उनका भतीजा आलोक रंजन, वीरेंद्र राम के चार्टर्ड अकाउंटेंट मुकेश मित्तल का सहयोगी हरिश यादव, उनके सहयोगी नीरज मित्तल, राम प्रकाश भाटिया व तारा चंद।
10 हजार रुपये की रिश्वत पर खड़ा हुआ केस
10 हजार रुपये की रिश्वत पर खड़ा हुआ केस अब करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग तक पहुंच गया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो झारखंड ने 11 जनवरी 2020 को कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा व आलोक रंजन के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में चार्जशीट की थी।
उक्त चार्जशीट के आधार पर ही ईडी ने 17 सितंबर 2020 को केस दर्ज किया था। दरअसल 13 नवंबर 2019 को एसीबी जमशेदपुर में जय माता दी इंटरप्राइजेज के ठेकेदार विकास कुमार शर्मा ने सड़क निर्माण विभाग के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
सुरेश प्रसाद वर्मा को ईडी ने रिश्वत लेते साल 2019 में किया था गिरफ्तार
उनका आरोप था कि सुरेश प्रसाद वर्मा ने उनके लंबित चार लाख 54 हजार 964 रुपये के बकाया भुगतान को जारी करने के एवज में 28 हजार रुपये की रिश्वत मांगी है। एसीबी ने सत्यापन के बाद सुरेश प्रसाद वर्मा को 14 नवंबर 2019 को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।
उसी दिन एसीबी ने सुरेश प्रसाद वर्मा की पत्नी पुष्पा वर्मा के आवास पर छापेमारी की थी, जहां से 63 हजार 870 रुपये नकदी, जेवरात, जमीन व बैंक से संबंधित कागजात मिले थे।
किराएदार को आवास से जब्त किए गए 2.67 करोड़
अगले दिन 15 नवंबर 2019 को उसी आवास के पहले तल्ले पर उनके किराएदार आलोक रंजन के आवास पर छापेमारी की थी, जहां से 2.67 करोड़ रुपये नकदी जब्त किए गए थे।तब आलोक रंजन को भी गिरफ्तार किया गया था। एसीबी को छानबीन में बरामद 2.67 करोड़ रुपये नकदी के बारे में सुरेश प्रसाद वर्मा का कोई लिंक नहीं मिला था।
बाद में सुरेश प्रसाद वर्मा व उनके पारिवारिक सदस्यों ने खुलासा किया कि उक्त राशि वीरेंद्र कुमार राम के हैं। वीरेंद्र कुमार राम व उनकी पत्नी राजकुमारी देवी अक्सर आलोक रंजन के उक्त किराए के मकान में आते-जाते रहते थे।
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