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झारखंड में औषधीय पौधों की प्रचुरता, डाक्यूमेंटेशन कराएगी सरकार

झारखंड में औषधीय पौधों की प्रचुरता है लेकिन इसका डाक्यूमेंटेशन नहीं होने से इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता। न ही इसपर कोई खास चिकित्सीय शोध ही हो पा रहा है। अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने डाक्यूमेंटेशन के लिए तैयारी शुरू की है।

By Vikram GiriEdited By: Updated: Mon, 05 Jul 2021 11:42 AM (IST)
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झारखंड में औषधीय पौधों की प्रचुरता, डाक्यूमेंटेशन कराएगी सरकार। जागरण
रांची, राज्य ब्यूरो । झारखंड में औषधीय पौधों की प्रचुरता है, लेकिन इसका डाक्यूमेंटेशन नहीं होने से इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाता। न ही इसपर कोई खास चिकित्सीय शोध ही हो पा रहा है। अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने डाक्यूमेंटेशन के लिए तैयारी शुरू की है। स्वास्थ्य विभाग ने सबसे पहले झारखंड में पाए जानेवाले औषधीय पौधाें की जानकारी रखनेवाले व्यक्तियों की पहचान करने का निर्णय लिया है।

इसके लिए स्वयंसेवी संस्था प्रकृति बचाओ फाउंडेशन से सहयोग लिया जा रहा है। वहीं, औषधीय पौधों के डाक्यूमेंटेशन के लिए एक्शन प्लान तैयार करने का अनुरोध डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान से किया है। स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों के अनुसार इसे लेकर संस्थान में एक-दो बैठकें भी हो चुकी हैं। इसके द्वारा तैयार एक्शन प्लान के आधार पर औषधीय पौधों का डाक्यूमेंटेशन किया जाएगा। इधर, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत औषधीय पौधों के डाक्यूमेंटेशन के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। इस कार्य के लिए इस मिशन के तहत 54 लाख रुपये का बजट प्रस्ताव रखा है।

झारखंड में 248 प्रकार के पाए जाते औषधीय पौधे

रांची स्थित बीआइटी मेसरा, पूर्व में एक शोध में पाया था कि झारखंड में 248 प्रकार के औषधीय पौधे पाए जाते हैं। यहां के लगभग 168 प्रकार के औषधीय पौधों के किसी न किसी भाग छाल, फल, फूल, जड़, तना, पत्ता का उपयोग यहां की जनजातियां स्वास्थ्य समस्या को दूर करने के लिए करती हैं। गिलोई, करंज, भुई, सतावार, कालमेघ, रामदतुअन, बेंगसाग, एकसीरा, इसरोल, मकचन, रल्ली, कामराज, चरकी झंखरी जैसे औषधीय पौधे यहां मिलते हैं जो चिकित्सीय कार्य में उपयोगी साबित हो सकते हैं। इनमें से कई औषधीय पौधे इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर हैं। वहीं कई ऐसे पौधे भी हैं जो विलुप्त हो रहे हैं।

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