Jharkhand News: भ्रष्टाचार के आरोपितों पर विभाग मेहरबान! एक स्टेप भी नहीं बढ़ी ACB जांच; विभागों में भटकती रह गई फाइल
झारखंड में भ्रष्टाचार के आरोपितों के खिलाफ जांच करने वाली एसीबी की जांच के रास्ते का रोड़ा सरकार का विभाग ही हैं। ऐसे कई मामलें हैं जिसमें जांच एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी है। इनके खिलाफ जांच की फाइलें विभागों में भटकती रह गई है। कई मामलों में तो मंत्रिमंडल निगरानी विभाग ने पैतृक विभाग को ही जांच के लिए लिख डाला।
By Dilip KumarEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sun, 19 Nov 2023 08:59 PM (IST)
दिलीप कुमार, रांची। भ्रष्टाचार के आरोपितों के विरुद्ध जांच करने वाली राज्य सरकार की एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच के रास्ते की बाधा स्वयं सरकार के विभाग ही हैं।
ऐसे मामलों की संख्या कई दर्जन हैं, जिसमें एसीबी की जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी। आरोपितों के विरुद्ध जांच की फाइलें विभागों में ही भटकती रह गईं।इन्हीं मामलों में से सात मामले सामने आए हैं, जिसमें एसीबी ने पीई दर्ज करने के बिंदु पर राज्य सरकार की मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से पत्राचार किया।
इन मामलों में मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने एसीबी को पीई दर्ज करने के लिए अनुमति तो नहीं दी, लेकिन उस मामले में आरोपित पदाधिकारी-कर्मी के विरुद्ध जांच के बिंदु पर उसके पैतृक विभाग से ही मंतव्य के लिए पत्राचार कर दिया।कुछ मामलों में तो मंत्रिमंडल निगरानी विभाग ने संबंधित पैतृक विभाग को ही जांच के लिए लिख डाला। जिस विभाग में पदस्थापित हैं, उसी विभाग को जब जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी तो कितना न्याय मिल पाएगा, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकेगा। उल्लेखित फाइलों पर अब तक यही निकलकर सामने आया है।
केस, आरोपित व फाइल की अद्यतन स्थिति
1. मनोज कुमार: रांची के जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार के विरुद्ध पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में वर्ष 2019 में केस दर्ज हुआ था। शिकायतकर्ता बिहार के गया फतेहपुर निवासी राजू यादव हैं। एसीबी ने पीई दर्ज करने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति मांगी। मंत्रिमंडल निगरानी विभाग ने इस मामले में सहकारिता विभाग से मंतव्य के लिए पत्र लिखा। फाइल सहकारिता विभाग में लंबित है।
2. सुरेश टोप्पो: ये रेंजर हैं। लालखटंगा स्थित जैव विविधता उद्यान पार्क में दस करोड़ रुपये के सरकारी राशि के गबन का आरोप लगा है। उनके विरुद्ध वर्ष 2019 में हजारीबाग के संजय तिवारी ने शिकायत की थी। एसीबी ने मामला दर्ज करने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को लिखा। मंत्रिमंडल निगरानी विभाग ने अनुमति देने के बजाय, उनके संबंधित विभाग वन एवं पर्यावरण विभाग को मंतव्य के लिए लिखा था। फाइल वहीं पड़ी है।
3. ओमप्रकाश सिंह: ये नगर विकास विभाग में कार्यपालक अभियंता हैं। इनके विरुद्ध अरगोड़ा के न्यू एजी कालोनी कडरू निवासी संजय कुमार सिंह ने वर्ष 2019 में लिखित शिकायत की थी। इनपर आरोप है कि इन्होंने पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। एसीबी के आवेदन पर मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग ने उनके पैतृक विभाग से ही पूरे मामले की जांच कराने के लिए लिख दिया। नगर विकास विभाग में ही फाइल लंबित है।
4. राजीव रंजन : ये हजारीबाग के पश्चिमी वन प्रमंडल पदाधिकारी हैं। इनके विरुद्ध वर्ष 2018 में हजारीबाग के ही दिनेश यादव ने लिखित शिकायत की थी। इनपर पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। इस मामले में भी एसीबी ने जब पीई दर्ज करने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुमति मांगी तो विभाग ने उनके पैतृक विभाग वन एवं पर्यावरण विभाग से ही आय से अधिक संपत्ति की जांच के लिए लिख दिया। नतीजा, फाइल वहीं पर अटकी पड़ी है।
5. विजय शंकर, विमल कुमार झा व जतीन दास : विजय शंकर जल संसाधन विभाग में तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, विमल कुमार झा तत्कालीन सहायक अभियंता व जतीन दास तत्कालीन कार्यपालक अभियंता थे। इनके विरुद्ध रांची के हिनू निवासी अरुण कुमार ने पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया था। एसीबी ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से पीई दर्ज करने के बिंदु पर अनुमति मांगी। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर वस्तु स्थिति से अवगत कराया और अपना दायित्व पूरा कर लिया। फाइल जस की तस पड़ी है।
6. राम कुमार मधेशिया : गुमला के तत्कालीन जिला अवर निबंधक रहे हैं। इनके विरुद्ध वर्ष 2018 में जिला अधिवक्ता संघ गुमला के अध्यक्ष ने निबंधन कार्यालय गुमला में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। इस मामले में एसीबी ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से मार्गदर्शन मांगा। इसपर मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को मंतव्य के लिए भेजा था। फाइल वहीं पर पड़ी हुई है।
7. उमाशंकर त्रिपाठी : ये बोकारो के अमीन हैं। इनके विरुद्ध वर्ष 2014 में बोकारो के चास निवासी कमलेश चौबे ने पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में लिखित शिकायत की थी। इस मामले में भी एसीबी के पत्र के आलोक में मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव मंतव्य के लिए लिखा था। फाइल वहीं पर डंप पड़ी है।यह भी पढ़ें: झारखंड के जमशेदपुर में बिक रहे हलाल सर्टिफिकेट के मिठाई-नमकीन, योगी सरकार ने यूपी में दी है सख्त कार्रवाई के निर्देश
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