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Jharkhand IAS पूजा सिंघल दोबारा रिम्‍स में हुई भर्ती, सांस लेने में हो रही है परेशानी, शरीर में बेचैनी

बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागृह में बंद निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिघंल को सांस लेने में हो रही परेशानी और शरीर में बेचैनी महसूस होने के कारण रिम्‍स में दोबारा एडमिट कराया गया है। यहां उनकी स्थिति‍ नियंत्रण में है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 13 Dec 2022 08:55 AM (IST)
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निलंबित आईएएस पूजा सिंघल रिम्‍स रांची में दोबारा हुई एडमिट
राज्य ब्यूरो, रांची। बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागृह में बंद निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिघंल (Pooja Singhal) को सोमवार की शाम सांस लेने में परेशानी और बैचेनी होने पर रिम्स (Rajendra Institute of Medical Sciences) में भर्ती कराया गया है। चिकित्सकों के अनुसार उनकी स्थिति नियंत्रण में है। कुछ आवश्यक जांच के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी। कुछ दिन पहले ही पूजा को रिम्स से होटवार जेल में शिफ्ट किया गया था। ईडी की टीम ने छह मई को झारखंड के अलग-अलग जिलों में मनरेगा घोटाला मामले में छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान पूजा सिंघल के सीए सुमन सिंह के घर से करीब 19 करोड़ रुपये कैश मिले थे। इसके बाद पूजा की गिरफ्तारी हुई थी।

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इधर, मनी लांड्रिंग मामले में आरोपित निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल की जमानत याचिका (Bail plea) पर दो जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। यह सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल व जस्टिस अभय एस ओका की अदालत में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोमवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

इस जमानत याचिका में सिंघल ने अपनी बेटी की बीमारी का हवाला दिया है। सिंघल के वकील ने कोर्ट से कहा कि पूजा की बेटी की तबीयत खराब है। बेटी को स्पीच सिंड्रोम नामक बीमारी है। ऐसे में उसकी देखभाल की जरूरत है, इसके लिए पूजा को जमानत दी जाए। इस पर कोर्ट ने ईडी को निर्देश दिया है कि वह बच्ची की स्थिति का सत्यापन करके बताए। इस मामले में अब अगली सुनवाई 2 जनवरी को होगी।

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हाइकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एसएलपी दायर कर जमानत देने की मांग की है। बता दें कि पूर्व में झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने पूजा सिंघल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि भ्रष्ट आइएएस अधिकारी को जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता है इसलिए उनकी याचिका खारिज की जाती है।

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