Move to Jagran APP

Bhagyashree Interview: फिल्मों का बायकाट करना ठीक नहीं, हजारों कलाकारों के श्रम से बनती है फिल्म

Bhagyashree फिल्म अभिनेत्री भाग्यश्री ने कहा है कि फिल्मों का बायकाट करना उचित नहीं है। कोई भी फिल्म हजारों कलाकारों के श्रम से बनती है। इससे उनका रोजी रोटी चलता है। इस बात का हमें जरूर ख्याल रखना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: M EkhlaqueUpdated: Sun, 02 Oct 2022 06:05 PM (IST)
Hero Image
Actress Bhagyashree Interview: अभिनेत्री भाग्यश्री दैनिक जागरण के कार्यक्रम में रांची पहुंचीं।
रांची, (संजय कृष्ण)। Actress Bhagyashree Interview मैंने प्यार किया फेम अदाकारा भाग्यश्री ने कहा बालीवुड की कुछ फिल्मों के बहिष्कार का जो ट्रेंड चल रहा है, उसे ठीक नहीं कहा जा सकता। आपका यदि एक व्यक्ति से द्वेष हो तो उसका खामियाजा सबको भुगतना पड़ता है। उसमें संगीतकार है, नृत्य निर्देशक है, सह कलाकार हैं... ऐसे हजारों लोगों का श्रम शामिल होता है। इससे अधिक की रोजी-रोटी चलती है। हमें इनका भी ध्यान रखना चाहिए। यह किसी एक धारा के लिए नहीं, सबके लिए है।

दैनिक जागरण के कार्यक्रम में रांची पहुंचीं भाग्यश्री

वे दैनिक जागरण के कार्यक्रम में रांची आई थीं। उन्होंने कई सवालों के बेबाकी से जवाब दिए। दूसरी बार रांची आईं भाग्यश्री ने कहा कि यहां का प्राकृतिक परिवेश बहुत अच्छा है। यहां फिल्म स्टूडियो की भी संभावना है। बस थोड़े और काम की जरूरत है। पहला यह कि शहरों में थोड़ी साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाए। इसे और स्वच्छ और सुंदर बनाया जाए। शूटिंग के लिए बेहतर ट्रांसपोर्ट और सुरक्षा के पर्याप्त व्यवस्था हो। यहां चारों तरफ फाल है। सब कुछ प्रकृति ने दे रखा है।

जीरो फिगर नहीं, स्वास्थ्य जरूरी है

जीरो फिगर नहीं, स्वस्थ रहना जरूरी है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कैसे स्वस्थ रहें। क्या खाए-पीए। ऐसा न हो कि जीरो फिगर के चक्कर में अपने शरीर का ही कबाड़ा कर डालें। हमारे यहां स्वस्थ रहने के कई घरेलू नुस्खे रहे हैं। किचन एक तरह से आयुर्वेदशाला भी है। गर्म पानी और केसर ग्लोरी के लिए किया जाता है। हल्दी-दूध न जाने कब से हमारे यहां प्रचलित है। योग भी हमें स्वस्थ रखता है। खान-पान ऐसा हो, जो हमें शक्ति प्रदान करे और स्वस्थ रखे।

क्या दक्षिण की फिल्में बालीवुड की अपेक्षा ज्यादा राष्ट्रवादी हैं

फिल्में दक्षिण की हों या बालीवुड की, एक कलाकार तो वही करता है, जो कहा जाता है। फिल्म तो वस्तुत: प्रोड्यूसर और डायरेक्टर की होती है। विषय उसका होता है। हम तो बस कठपुतली हैं। काम वह कराता है। जहां तक दक्षिण की बात है, वहां एक्शनप्रधान फिल्में खूब हैं। भव्य सेट बनते हैं। पर, अब यह दीवार भी टूट गई है।

आपके जीवन में भाग्य प्रबल रहा या कर्म

दरअसल हमारे हाथ में सिर्फ कर्म करना है। हम कर्म ही कर सकते हैं। जो हमारे वश में है, वही कर सकते हैं। पर, मैं मानती हूं कि सब ऊपर वाले के हाथ में है। मुख्य कर्ता तो वही है।

लंबे समय बाद आपने फिल्मों में वापसी की

इसकी कई वजहें हैं। शादी के बाद घर-परिवार में व्यस्त हो गई। इसके बाद ससुर का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा तो उनकी सेवा में समय लग गया। फिर मेरे हाथ में दिक्कत आई। एक हाथ उठ ही नहीं रहा था। लंबे समय तक उपचार चला। इसके बाद ठीक हुआ। इस तरह कई परेशानियां आईं। अब सब ठीक है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।