दैनिक जागरण के अभियान को एडीजी लाठकर ने सराहा, कहा- दुर्घटना के कारणों की समीक्षा के बाद हल ढूंढेगी पुलिस
दैनिक जागरण के सीनियर कोरेस्पोंडेंट दिलीप कुमार ने झारखंड पुलिस के नोडल पदाधिकारी यातायात व एडीजी (अभियान) संजय आनंदराव लाठकर से बात की तो उन्होंने सड़क सुरक्षा से संबंधित कई अहम मुद्दों पर बातचीत की और अन्य सवालों के जवाब भी दिए।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Sun, 04 Dec 2022 04:52 PM (IST)
रांची, जासं। झारखंड में सड़क दुर्घटनाओं को रोकना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है। जितनी मौतें अन्य अपराधों में नहीं होती हैं, उससे कई गुना ज्यादा मौत दुर्घटनाओं की वजह से होती हैं। नशे की हालत में वाहन चलाना, तेज रफ्तार, बिना संकेतक वाले स्थान पर कट, सड़क पार करने के लिए अंडरपास या फुट ओवरब्रिज नहीं होना, जागरूकता की कमी सहित कई ऐसे कारण हैं, जिनके चलते सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं। सड़क हादसा रोकने के लिए क्या रोड-मैप है सहित कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर झारखंड पुलिस के नोडल पदाधिकारी यातायात व एडीजी (अभियान) संजय आनंदराव लाठकर से जागरण के सीनियर कोरेस्पोंडेंट दिलीप कुमार ने बातचीत की।
सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की हो रही समीक्षा: एडीजी
उनसे पूछा गया राज्य में 142 ब्लैक स्पाट हैं, जहां बराबर दुर्घटनाएं होती हैं। ऐसे ब्लैक स्पाट का क्या हल निकाला जा रहा है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, पांच साल के ब्लैक स्पाट के डेटा पर काम चल रहा है। स्पाट चिन्हित किए जा रहे हैं। यहां दुर्घटनाओं के कारणों की समीक्षा की जा रही है।नशे में वाहन चलाने व तेज रफ्तार कारण मिला तो उसके समाधान की दिशा में काम होगा। सड़क पार करने के प्रति जागरूकता पर जोर होगा, अंडर पास व फुट ओवरब्रिज की जरूरत पड़ी तो संबंधित विभाग से समन्वय बनाकर समाधान की दिशा में काम होगा। राज्य में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए नोडल अधिकारी एडीजी अभियान के सहयोग में डीआइजी नेतरहाट को लगाया गया है।
पहले सड़कें खराब थीं तो वाहनों की स्पीड 30-40 किमी प्रति घंटे होती थी व लोग सड़क पार कर जाते थे। अब सड़कें बढ़िया हैं तो वाहन 80-90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलते हैं। ऐसी स्थिति में सड़क पार करने के नियमों का भी पालन करना होगा। लोग कैसे जागरूक होंगे, इसके लिए सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं विचार करेंगी। l पिछले पांच साल में हिट एंड रन के 3200 केस दर्ज किए गए। इनमें से केवल 800 केस की ही पुलिस ने रिपोर्ट सौंपी है। शेष लंबित हैं।
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अगला सवाल इनके निष्पादन की योजना पर पूछा गया, तो इसके जवाब में अधिकारी ने कहा, फिलहाल पांच साल व इससे ऊपर के केस के निष्पादन की जिम्मेदारी मिली है। इसके अगले फेज में पांच साल के भीतर के कांडों के निष्पादन की दिशा में भी काम होगा। अभी राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया गया है कि सभी जिलों में एक जिला यातायात नोडल अधिकारी होगा, जो डीएसपी मुख्यालय या डीएसपी कंट्रोल रूप के पास अतिरिक्त प्रभार के रूप में होगा। वह अधिकारी भी ऐसे कांडों के निष्पादन की दिशा में काम करेगा।
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