बिहार के बाद जाति जनगणना को लेकर झारखंड में सुगबुगाहट तेज, हेमंत सोरेन बोले- यह हमारी पुरानी मांग
बिहार के बाद अब झारखंड में भी जाति आधारित जनगणना को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि जाति आधारित जनगणना को लेकर 2021 से ही प्रयासरत हैं। राज्यपाल को विधानसभा से पारित कर आरक्षण से संबंधित विधेयक भेज दिया है। मुख्यमंत्री ने सर्व सम्मति से दो साल पहले जातीय जनगणना के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।
By Pradeep singhEdited By: Shashank ShekharUpdated: Thu, 05 Oct 2023 10:29 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, रांची। बिहार के बाद जाति आधारित जनगणना को लेकर झारखंड में भी सुगबुगाहट बढ़ गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर 2021 से ही प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल को विधानसभा से पारित कर आरक्षण से संबंधित विधेयक भेजा गया है। सरकार का स्पष्ट मानना है कि जो जिस समूह में जितनी संख्या में हैं, उतना अधिकार उनको मिले।
दो साल पहले प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी दलों की सहमति से दो साल पहले जाति आधारित जनगणना के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। दिल्ली में झारखंड के सर्वदलीय शिष्टमंडल के सदस्यों ने जाति आधारित जनगणना कराने संबंधी मांग पत्र गृह मंत्री को सितंबर 2021 में सौंपा था।मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से कहा था कि संविधान में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के विकास के लिए विशेष सुविधा एवं आरक्षण की व्यवस्था की है।
आजादी के बाद से आज तक की कराई गई जनगणना में जातिगत आंकड़े नहीं रहने से विशेषकर पिछड़े वर्ग के लोगों को विशेष सुविधाएं पहुंचाने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।
पिछड़े-अति पिछड़े अपेक्षित विकास नहीं कर पा रहे हैं- हेमंत सोरेन
पत्र में यह भी लिखा गया कि पिछड़े-अति पिछड़े अपेक्षित प्रगति नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में यदि अब जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी तो पिछड़ी-अति पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक स्थिति का ना तो सही आकलन हो सकेगा।
ना ही उनकी बेहतरी व उत्थान संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा और ना ही उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो पाएगा।मालूम हो कि आज से 90 साल पहले जातिगत जनगणना 1931 में की गई थी एवं उसी के आधार पर मंडल कमीशन के द्वारा पिछड़े वर्गों को आरक्षण उपलब्ध कराने की अनुशंसा की गई थी।
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