Tatkal Ticket पर दलालों का डाका! इस तरीके से रेलवे और आम लोगों को लगा रहे चूना, करतूत जान दंग रह जाएंगे आप
आपको रेलवे टिकट भले ही न मिले लेकिन टिकट दलाल से टिकट कटाते हैं तो टिकट मिलने की शत प्रतिशत गारंटी है। क्योंकि टिकट दलाल ही आम लोगों की हकमारी कर रहे हैं। आमलोगों के लिए खुलने वाला तत्काल समय के दौरान ही बड़े ही शातिर ढंग से दलाल टिकट काट लेते हैं। स्पेशल सॉफ्टवेयर से तत्काल टिकट पर दलाल डाका डाल रहे हैं।
शक्ति सिंह, रांची। आपको रेलवे टिकट भले ही न मिले, लेकिन टिकट दलाल से टिकट कटाते हैं तो टिकट मिलने की शत प्रतिशत गारंटी है। क्योंकि, टिकट दलाल ही आम लोगों की हकमारी कर रहे हैं। आमलोगों के लिए खुलने वाला तत्काल समय के दौरान ही बड़े ही शातिर ढंग से दलाल टिकट काट लेते हैं। स्पेशल सॉफ्टवेयर से तत्काल टिकट पर दलाल डाका डाल रहे हैं।
वह भी एक नहीं, बल्कि कई टिकट चंद सेकेंड में काट लेते हैं। वहीं, आम लोगों को काटते-काटते टाइम ओवर हो जाता है। यह एक बड़ी गुत्थी है, जिसे समझने की जरूरत है। दरअसल, कई एजेंट अपना एक सॉफ्टवेयर डेवलप करके रखते हैं। उस सॉफ्टवेयर की मदद से एक साथ कई यात्रियों की सारी जानकारी पहले से ही फीड कर देते हैं।
तत्काल के खुलते ही चंद सेकेंड सभी टिकट कंफर्म हो जाते हैं। यह सारा काम निजी आइडी पर ही होता है। क्योंकि, तत्काल खुलने के पहले 15 मिनट में सिर्फ आमलोगों को ही निजी आइडी से टिकट काटने की अनुमति रहती है।
15 मिनट के बाद एजेंट आइआरसीटीसी के आथराज्ड कॉमर्शियल आइडी से टिकट काट सकते हैं तब तक काफी विलंब हो जाता है। अधिकतर टिकट बुक हो जाते हैं। इसलिए, टिकट की गारंटी बुकिंग के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं, जो पूरी तरह से प्रतिबंध है।
एक दलाल बनाते 22-25 फेक ID
एक दलाल 22-25 निजी आइडी बनाते हैं ताकि निर्धारित संख्या में प्रयोग करने बाद आइडी से टिकट काटना बंद कर दें। बदल-बदल कर निजी आइडी का इस्तेमाल करते हैं। एक निजी आइडी, जो आधार से लिंक नहीं है। उससे एक माह में छह टिकट और आधार से लिंक आइडी से एक माह में 12 टिकट काट सकते हैं।निजी ID का करते हैं व्यवसायीकरण
दलाल निजी आइडी का व्यवसायीकरण करते हैं, जो रेलवे द्वारा पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। ऐसा करने वालों पर रेलवे द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाती है। यहां तक की उसका एजेंटशिप भी रद्द कर दिया जाता है।
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